क्या कोरोना और कश्मीर के बीच भी कोई सम्बन्ध हो सकता है?

सोचने और समझने में थोड़ा अजब लग सकता है। लेकिन सच हो तो शायद अचरज न लगे। मामला कोरोना और कश्मीर के बीच सम्बन्ध का है। इससे तीन देश जुड़े हैं। चीन, भारत, पाकिस्तान। तीनों के लिए कोरोना महामारी बड़ी मुश्किल बनी हुई है। तीनों के लिए कश्मीर का मुद्दा अक़्सर ऐसी बड़ी मुश्किलों से निकलने का आसान ज़रिया बनता है। इसीलिए सम्भव है, इस बार भी बनने जा रहा हो। लिहाज़ा तीनों देशों के नज़रिए से ये अन्तर्सम्बन्ध समझने की कोशिश तो की ही जा सकती है।

चीन, सबसे पहले। दुनिया की बड़ी महाशक्ति। इतनी बड़ी कि इस देश से निकली ‘कोरोना’ महामारी के सामने दुनिया त्राहिमाम् कर रही है। पूरे विश्व में लगभग 48 लाख लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 3.19 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ऑंकड़ा लगातार बढ़ ही रहा है। सो, इस भयंकर त्रासदी को लेकर चीन तमाम आरोपों से घिरता जा रहा है। पहला- कोरोना का विषाणु चीन के वुहान शहर में स्थित एक प्रयोगशाला में बनाया गया और यह मानवीय ग़लती से विश्व में फैला।

दूसरा आराेप- चीन ने लगातार इस विषाणु की प्रकृति और उसके यहाँ होने वाले संक्रमण, मौतों आदि के सम्बन्ध में दुनिया को ग़ुमराह किया। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी सही जानकारी नहीं दी। मिसाल के तौर पर चीन ने कोरोना का संक्रमण फैलने की जानकारी दिसम्बर में दी। साथ ही इससे होने वाली मौतों का आँकड़ा 4,634 बताया है। संक्रमितों का 84,029 कुल। जबकि चीन के राष्ट्रीय रक्षा तकनीक विश्वविद्यायल की रपट ही बता रही है कि वहाँ विषाणु पिछले साल अक्टूबर महीने में फैल चुका था।

यही नहीं। वहाँ संक्रमित मरीज़ाें का आँकड़ा भी 6.4 लाख तक पहुँचा था। इस आधार पर मरने वालों की संख्या भी पाँच-छह गुणा तक ज़्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। चीन इन सभी आरोपों को लगातार ख़ारिज़ कर रहा है। फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंगलवार को ही ख़त्म हुई बैठक में 130 देशों के दस्तख़त से एक संकल्प पारित हुआ है। इसमें कोरोना की उत्पत्ति और प्रसार के मामले की निष्पक्ष जाँच कराने की बात की गई है। चीन को भी मज़बूरन इस पर अपनी सहमति देनी पड़ी है।

सो, इधर कश्मीर से लगते लद्दाख के गालवान इलाके में उसने तनाव बढ़ा दिया है। यहाँ भारत-चीन की फौज़ें आमने-सामने खड़ी हो गईं हैं। याद रखा जा सकता है कि गालवान इलाके से ही 1962 में भारत-चीन के बीच लड़ाई शुरू हुई थी। इतना ही नहीं चीन ने पाकिस्तान से करार भी किया है। इसके तहत वह पाकिस्तान के अवैध अधिकार वाले भारतीय कश्मीरी क्षेत्र में एक बाँध बनाने जा रहा है। सिक्किम और नेपाल की तरफ़ भी विवाद भड़काने की जो कोशिशें चीन कर रहा है, वे अलग।

दूसरा पक्ष भारत। दुनिया की उभरती महाशक्ति। लेकिन इस हैसियत के बावज़ूद कोरोना महामारी पर प्रभावी नियंत्रण अब तक हो नहीं पाया है। यहाँ एक लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और तीन हजार से कुछ अधिक मौतें। वह भी तब जबकि यहाँ दुनिया की सबसे बड़ी तालाबन्दी हुई। यह बीते 50-55 दिनों से जारी है। ऐसी तालाबन्दी के दौरान दुनिया के अन्य देशों में जहाँ संक्रमित मरीज़ों के मिलने की तादाद कम होते देखी गई। वहीं भारत में यह अब भी लगातार बढ़ ही रही है।

यही नहीं। देशव्यापी तालाबन्दी से जो आर्थिक और रोज़गारी का नुकसान हुआ वह अलग है। एक रपट के मुताबिक आर्थिक गतिविधियाँ ठप होने से अब तक लाखों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। जबकि 12 करोड़ से ज़्यादा लोगों की नौकरियाँ जा चुकी हैं। अमानवीय स्थितियों में ‘परदेस’ से ‘देस’ लौटते कामगारों की ख़बरें रोज विश्वस्तर पर भारत की छवि पर सवाल खड़े कर रही हैं। शायद इसी सबके मद्देनज़र विपक्ष भी लामबन्द हो रहा है। विपक्ष के 15 दलों की 22 मई को बैठक हो रही है।

लिहाज़ा, फिर कश्मीर। केन्द्र सरकार ने सोमवार 18 मई को जम्मू-कश्मीर में निवास से जुड़ी नीति (डोमिसाइल पॉलिसी) को नए सिरे से लागू किया है। इसे लेकर देश के भीतर ही नहीं बाहर, पाकिस्तान तक में हलचल शुरू हो गई है। आरोप है कि इस संशोधित नीति से भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में जनसंख्या घनत्व का स्वरूप बदल रही है। यही नहीं, दूरदर्शन मई के दूसरे हफ़्ते से पाकिस्तान के अधिकार वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के मौसम का हाल भी दिखा रहा है। अपने प्रान्तों की तरह।

इसके बाद पाकिस्तान। लगातार परेशान हाल देश। चीन में जब कोरोना महामारी फैली, वह अपने नागरिकों को वहाँ से निकाल नहीं सका। भारत ने जब जम्मू-कश्मीर से जुड़ी धारा-370 को निष्क्रिय किया और उसे दो अलग राज्यों में बाँट दिया तो वह कोशिश करके भी कुछ नहीं कर सका। अपने आर्थिक हाल ठीक करने के लिए उसने लगभग हर बड़े देश, बड़ी वित्तीय संस्थाओं के दरवाज़े खटखटाए पर किसी ने कर्ज़ तक नहीं दिया। तिस पर वहाँ जब कोरोना फैला तो वह भी काबू से बाहर है।

ख़बरें हैं कि अब तक पाकिस्तान में 43,966 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 939 लोगों की मौत हो चुकी है। वहाँ अप्रैल की शुरुआत से मामले बढ़ने की रफ़्तार तेज हुई है। लिहाज़ा वहाँ की प्रान्तीय सरकारों ने अलग कब्रिस्तान के लिए ज़मीनें चिह्नित कर दी हैं। यहाँ कोरोना से मरने वाले मरीज़ों को दफ़नाया जा रहा है। कराची में अप्रैल महीने के शुरुआत में ही इस तरह की ज़मीन चिह्नित की गई थी।

लेकिन पाकिस्तान कश्मीर में अपनी ज़मीन नहीं खोना चाहता। लिहाज़ा जैसा कि ख़बरें बताती हैं कि उसने अपने अधिकार वाले कश्मीर (गिलगित-बाल्टिस्तान वाला इलाका) को पंजाब प्रान्त का हिस्सा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। यह तैयारी बीते साल दिसम्बर से चल रही है। पाकिस्तान के ही कुछ संगठनों ने यह ख़ुलासा किया है। हालाँकि पाकिस्तान की सरकार ने ऐसी किसी तैयारी से इंकार किया है। लेकिन ख़बर है कि चीन के समर्थन से वह इस दिशा में सावधानी से आगे बढ़ रहा है। लगातार।

इस तरह कुल मिलाकर लग ऐसा रहा है कि कोरोना काल में तीनों ही देश अपना चेहरा बचाने को किसी न किसी तरह कश्मीर से खेल रहे हैं। और अगर कहीं ये सच हुआ तो फिर सम्भावना यह भी बन सकती है कि कश्मीर का खेल कोरोना से भी भारी न पड़ जाए कहीं। क्योंकि कश्मीर सिर्फ़ इन तीन देशों की ही रुचि का विषय नहीं है।

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