ये बदलते भारत की कुछ और जीवन्त तस्वीरें हैं। लेकिन जैसा कि अमूमन होता है, इनमें कोई मसाला नहीं है इसलिए ये सुर्ख़ियाँ भी तुलनात्मक…
View More पूरा ‘अस्पताल’ आसमान से ज़मीन पर गिरा दिया और कुछ भी टूटा-फूटा नहीं!!Tag: रोचक-सोचक
दादी के बटुए से निकला पुस्तकों का होटल – ‘आज्जीचं पुस्तकांचं होटेल’
दादी-नानाी के बटुए से क्या-कुछ नहीं निकलता। क़िस्से-कहानियाँ निकलते हैं। घर चलाने, रिश्ते निभाने, सेहतमन्द रहने के नुस्ख़े निकलते हैं। कभी-कभी तो बहुत ज़बर्दस्त आइडिया…
View More दादी के बटुए से निकला पुस्तकों का होटल – ‘आज्जीचं पुस्तकांचं होटेल’सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए
घर से काम करने की सुविधा (वर्क फ्रॉम होम- डब्ल्यूएफएच) ने मुझे मेरे शौक़, मेरे ‘राग-अनुराग’, यानी क्रिकेट के साथ जुड़े रहने की गुंजाइश दी…
View More सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए‘जल पुरुष’ राजेन्द्र सिंह जैसे लोगों ने राह दिखाई, फिर भी जल-संकट से क्यूँ जूझते हम?
गर्मियों के मौसम देश के किसी न किसी हिस्से में ‘पानी की कमी’ की ख़बरें अक्सर पढ़ती हूँ। मिसाल के तौर पर बेंगलुरू में पानी…
View More ‘जल पुरुष’ राजेन्द्र सिंह जैसे लोगों ने राह दिखाई, फिर भी जल-संकट से क्यूँ जूझते हम?‘संस्कृत की संस्कृति’ : ‘परिवार दिवस’- क्या हम ‘परिवार’ की भारतीय अवधारणा समझते हैं?
नए दौर के चलन के मुताबिक, आज 15 मई, बुधवार को ‘परिवार दिवस’ मना लिया गया। हालाँकि कोई भी दिवस मनाना मेरे लिए बस इतना…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : ‘परिवार दिवस’- क्या हम ‘परिवार’ की भारतीय अवधारणा समझते हैं?भगवान सबके पास नहीं हो सकते, इसलिए माँ बनाई, उसके लिए रोज 10 मिनट दीजिए
माता के समान कोई छाया नहीं। कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं। नमस्कार, आप सभी को।…
View More भगवान सबके पास नहीं हो सकते, इसलिए माँ बनाई, उसके लिए रोज 10 मिनट दीजिएएक फ्रेम, असीम प्रेम : हम तीन से छह दोस्त हो सकते थे, नहीं हो पाए
आज फेसबुक पर याद गली में चला गया। वहाँ कुछ बरस पुरानी यादें ताज़ादम होने को बेताब दिखीं। देखा कि चार बरस पहले आज ही…
View More एक फ्रेम, असीम प्रेम : हम तीन से छह दोस्त हो सकते थे, नहीं हो पाएमाँ की ममता किसी ‘मदर्स डे’ की मोहताज है क्या? आज ही पढ़ लीजिए, एक बानगी!
बाज़ारवाद के हिसाब ‘मदर्स डे’ या माँ का दिवस मई महीने के दूसरे रविवार (इस बार 12 तारीख़) को होता है, तो होता होगा। क्योंकि…
View More माँ की ममता किसी ‘मदर्स डे’ की मोहताज है क्या? आज ही पढ़ लीजिए, एक बानगी!क्रिकेट से दूर रहने के इतने सालों बाद भी मैं बल्लेबाज़ी करना भूला कैसे नहीं?
पिछले हफ़्ते मैं बहुत थका हुआ महसूस कर रहा था। थोड़े फ़ुर्सत के पल बिताना चाहता था। लिहाज़ा, मैंने फ़ैसला किया कि मैं शनिवार को…
View More क्रिकेट से दूर रहने के इतने सालों बाद भी मैं बल्लेबाज़ी करना भूला कैसे नहीं?…फिर आदेश आता है कि शैक्षणिक कार्यो को प्राथमिकता पर रखें, कैसे रखें?
कभी आदेश होता है, “बच्चों को हीट-स्ट्रोक से बचने के उपाय बताएँ। उन्हें जागरूक करें। उनका ख्याल रखें।” हालाँकि मैं ऐसे आदेश के बिना भी…
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