ऐसा हम नहीं, बड़े-बुज़ुर्ग कह गए हैं…

बड़ों की बातें हैं। इसी तरह की होती हैं। सालों पहले कही जाती हैं। सालों बाद तक सुनी जाती हैं। उनकी कीमत कहे जाते वक्त…

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पहले मुर्गी आई या अंडा, ये महज़ एक पहेली नहीं है!

उसके घर के बाहर चबूतरे पर कुछ बच्चे बैठे-ठाले पहेलियाँ बुझा रहे थे। इन्हीं में से एक पहेली थी, “मुर्गी पहले आई या अंडा आया।” पूछने…

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हम अपने रत्नों का सही सम्मान करना कब सीखेंगे?

ये तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ कहती है। वाराणसी की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र। शहनाई का दूसरा नाम कहे जाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह…

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कबीर की वाणी, कोरोना की कहानी…साधो ये मुर्दों का गाँव…!

आज संत कबीरदास जी की जयन्ती है। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि। सन् 1398 में कबीरदास जी का जन्म हुआ, ऐसा बताया जाता है। मतलब आज…

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जब हमारा अस्तित्त्व नहीं था, संघर्ष तब भी था और जीत भी हमारी थी!

किसी ने वॉट्सएप पर एक सन्देश भेजा। पढ़ते ही इतना प्रासंगिक और सत्यपरक लगा कि मैंने इसे तुरन्त #अपनीडिजिटलडायरी के साथ साझा करने का निर्णय…

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ये क्या है, किसी विचार का समर्थन या उससे ग्रस्त-त्रस्त हो जाना?

मामला पूरी तरह निजी है। फिर भी विचार के लिए एक रोचक विषय है और सोचक यानि सोचनीय भी। क्योंकि इसी तरह के मामले अक्सर समाज…

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खुशी, कुछ सीखो अपनी बहन परेशानी से!

एक छोटी सी कविता। बड़ा सा विचार। ये बताता है कि ख़ुशी की तलाश में भटकते हम दरअसल उसे अपने नज़दीक देख नहीं पाते। महसूस…

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हिन्दी पत्रकारिता और पत्रकारों से जुड़े संयोग-दुर्योग की कहानी!

ये सिर्फ़ दो-तीन मिसालें ही हैं। लेकिन शुरुआत से अब तक हिन्दी पत्रकारिता और उसके पत्रकारों के साथ लगभग स्थायी भाव से जुड़े संयोग-दुर्याोगों की मुकम्मल कहानी कहती हैं।…

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सुकून वहाँ नहीं जहाँ हम ढूँढ़ते हैं

जीवन की आपाधापी। तरक्की के ऊँचे पायदान। खूब पैसा। तमाम सुविधाएँ। लेकिन क्या इन सब को पाकर हम खुश हैं? संतुष्ट हैं? हमारा मन शान्त…

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हमारी सोच और ईश्वर का न्याय

अक्सर हम ईश्वर के न्याय पर सवाल उठाते हैं। हमारी यह मनोदशा खास तौर पर उस समय होती है, जब हमें लगता है कि हमारे…

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