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सरोकार
चुनिन्दा पन्ने
‘मायावी अंबा और शैतान’ : मुझे अपना ख्याल रखने के लिए किसी ‘डायन’ की जरूरत नहीं!
2 years ago
चहेते पन्ने
सँभलो हुक़्मरान ; यमुना ने नहीं, दिल्ली दरबार की चौखट पर ‘यमराज’ ने आमद दी है!
2 years ago
चुनिन्दा पन्ने
‘मायावी अंबा और शैतान’ : वह उस दिशा में बढ़ रहा है, जहाँ मौत निश्चित है!
2 years ago
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प्रकृति की विनाश-लीला अस्ल में हमारी विकास-लीला का ज़वाब है, चेत जाइए!
2 years ago
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‘मायावी अंबा और शैतान’ : सुअरों की तरह हम मार दिए जाने वाले हैं!
2 years ago
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‘दिल्ली रोबोटिक्स लीग’ : स्कूली बच्चों के लिए एक सरकारी आयोजन… कभी, कहीं सुना है?
2 years ago
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‘मायावी अंबा और शैतान’ : बुढ़िया, तूने उस कलंकिनी का नाम लेने की हिम्मत कैसे की!
2 years ago
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‘मायावी अंबा और शैतान’ : “मर जाने दो इसे”, ये पहले शब्द थे, जो उसके लिए निकाले गए
2 years ago
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‘मायावी अंबा और शैतान’ : मौत को जिंदगी से कहीं ज्यादा जगह चाहिए होती है!
2 years ago
चुनिन्दा पन्ने
मायावी अंबा और शैतान : “अरे ये लाशें हैं, लाशें… इन्हें कुछ महसूस नहीं होगा”
2 years ago
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