निकेश जैन, इन्दौर, मध्य प्रदेश
उम्मीद करता हूँ कि भारत को जल्दी ही यह एहसास हो जाए कि हमें अब अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ज़रूरत है? ख़ासकर इस तथ्य के मद्देनज़र कि अगर हमें दुनियाभर में जारी प्रचार-दुष्प्रचार के बीच अपना पक्ष ज़ोरदार तरीके से रखना है और इस क्षेत्र में भी विजेता बनना है, तो ऐसा करना बेहद ज़रूरी है।
ऐसा मैं अपने अनुभव से कह रहा हूँ। बीते कुछ दिनों से लगातार मेरी टाइमलाइन पर पाकिस्तान के सोशल मीडिया अकाउंट्स की सजेस्टिव पोस्ट आ रही हैं। यूट्यूब और लिंक्डइन दोनों पर ही। मैं नहीं कह सकता कि यह पैसे देकर कराया जा रहा प्रमोशन है या फिर यूट्यूब और लिंक्डइन के अपने अन्दरूनी निर्देश अनुक्रम (एल्गोरिदम) की वज़ह से हो रहा है। लेकिन निश्चित रूप से यह दुष्प्रचार मशीनरी का एक हिस्सा तो है।
अब ज़रा सोचें कि इसमें फ़ायदा किस-किसका है? चीन के सामरिक उद्योग का? हो सकता है, क्योंकि अभी भारत द्वारा पाकिस्तान पर की गई सैन्य कार्रवाई के दौरान पाकिस्तानी फौज़ ने बड़े पैमाने पर चीनी हथियारों, मानवरहित विमानों, लड़ाकू विमानों, वायु सुरक्षा कवच, आदि का इस्तेमाल किया था। लेकिन वह सब बेअसर साबित हुआ। भारतीय फौज़ों के हमलों के सामने चीन का रक्षा साज-ओ-सामान टिक नहीं पाया। इससे यह साज़-ओ-सामान बनाने वाली चीन की कई कंपनियों के शेयरों की कीमत काफी गिर गई। इससे और नुकसान हो गया।
इसीलिए मेरा अनुमान है कि नुकसान से बचने और नया निवेश हासिल करने के लिए चीन को दुष्प्रचार-तंत्र का सहारा लेना पड़ रहा है। ठीक यही हालत पाकिस्तान की है, जिसने भारत के हाथों तीन दिन की लड़ाई में ही मुँह की खाई और अब दुष्प्रचार-तंत्र के माध्यम से वह यक़ीनन अपना चेहरा बचाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के साथ जब लड़ाई चल रही थी, तब यही दुष्प्रचार तंत्र ‘एक्स’ पर जोर-शोर से काम में लगा था।
यह बातें भारत के सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र के कर्ता-धर्ताओं को समझनी चाहिए। समझना चाहिए कि सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाला प्रचार-दुष्प्रचार भी एक युद्ध ही है। इसमें जीत उसी को हासिल होगी, जिसके पास अपना ऐसा तंत्र मज़बूत होगा। वहीं, जिसके पास अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स होंगे, उसका हाथ तो ऊपर ही समझिए। क्या लगता है, भारत के अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स होते तो स्थिति बेहतर न होती?
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निकेश का मूल लेख
Hope India realises soon that we need our own social media tools to win the narrative w*r.
For past few days I am seeing huge number of posts from Pakistani handles on my timeline as suggested posts from Li*kedIn and YouTube.
Can’t say for sure whether it’s algorithm or paid posts but it’s propoganda for sure.
Whose interests are served here?
China defence industry? They can’t afford the fact that their defence equipments failed miserably in the hand of Pak*st*n millitary.
Their radars, drones, missiles and jets just couldn’t do much against might of Indian military. The drop in share prices of the respective manufacturing company is not helping either.
To protect this loss, making an investment to spread their false propaganda makes sense for them I guess.
We had seen similar story earlier with Twitter as well.
Do you think our own social media platforms will help serve our story better?
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(निकेश जैन, कॉरपोरेट प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख अपेक्षित संशोधनों और भाषायी बदलावों के साथ #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने इसे लिंक्डइन पर लिखा है।)
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निकेश के पिछले 10 लेख
57- ईमानदारी से व्यापार नहीं किया जा सकता, इस बात में कितनी सच्चाई है?
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55 – पहलगाम आतंकी हमला : मेरी माँ-बहन बच गईं, लेकिन मैं शायद आतंकियों के सामने होता!
54 – हँसिए…,क्योंकि पश्चिम के मीडिया को लगता है कि मुग़लों से पहले भारत में कुछ था ही नहीं!
53 – भगवान महावीर के ‘अपरिग्रह’ सिद्धान्त ने मुझे हमेशा राह दिखाई, सबको दिखा सकता है
52 – “अपने बच्चों को इतना मत पढ़ाओ कि वे आपको अकेला छोड़ दें!”
51 – क्रिकेट में जुआ, हमने नहीं छुआ…क्योंकि हमारे माता-पिता ने हमारी परवरिश अच्छे से की!
50 – मेरी इतिहास की किताबों में ‘छावा’ (सम्भाजी महाराज) से जुड़ी कोई जानकारी क्यों नहीं थी?
49 – अमेरिका में कितने वेतन की उम्मीद करते हैं? 14,000 रुपए! हम गलतियों से ऐसे ही सीखते हैं!
48 – साल 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य क्या वाकई असम्भव है? या फिर कैसे सम्भव है?