बिक्रम, भोपाल, मध्य प्रदेश से, 11/1/2021
क्रिकेट से तो हम में से तमाम लोग वाकिफ़ हैं, लेकिन क्या ‘ब्लॉकेथॉन’ (Blockathon) को जानते-समझते हैं? सम्भव है, क्रिकेट से ताल्लुक रखने वाले कई लोग इससे भी बावस्ता हों। मगर क्या इसमें हम अपने जीवन-संघर्षों के लिए कोई सबक छिपा देख सकते हैं?… ये बहुतों के लिए मुश्किल सवाल हो सकता है। पर सच में, ब्लॉकेथॉन हमारे जीवन-संघर्ष से जुड़ता है। ये हमें उस संघर्ष में टिके रहने का बड़ा गुर सिखाता है।
यह शब्द-प्रसंग आज इसलिए क्योंकि भारत की क्रिकेट टीम ने ‘ब्लॉकेथॉन’ के जरिए ही ऑस्ट्रेलिया की लगभग तय दिख रही जीत को टाला है। ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच जीतने के लिए भारत के खिलाड़ियों पर नस्ली छींटाकशी से लेकर दीगर दिमागी दबाव बनाने तक, सब किया। लेकिन भारत इस मैच को बचा ले गया, जो उसकी जीत की तरह देखा जा रहा है।
दरअसल, क्रिकेट में ‘ब्लॉकेथॉन’ कहते हैं, गेन्द को ब्लॉक करने यानि ज़्यादा से ज़्यादा समय तक रोके रखने की मैराथन जैसी कोशिश को। यह रणनीति ख़ास तौर पर उस समय अपनाई जाती है, जब मैच में निश्चित दिख रही हार को बचाने के लिए संघर्ष कर रही टीम के पास कोई विकल्प नहीं होता। विशेष रूप से टेस्ट-क्रिकेट में। इसीलिए जो लोग टेस्ट क्रिकेट देखते-समझते हैं, वे इसे भी जानते होंगे, ऐसा माना जा सकता है।
क्रिकेट का खेल सिर्फ चौके, छक्के, तेज सिंगल या डबल का नहीं होता। कई बार खिलाड़ियों के पास गेन्द ब्लॉक करने के अलावा और कोई चारा नहीं होता।
ब्लॉक…ब्लॉक…ब्लॉक। तब तक… जब तक हार टल न जाए।
यह काम हर कोई नहीं कर सकता। वही कर सकता है, जिसे अपनी डिफेन्सिव स्किल्स (सुरक्षात्मक कौशल) पर भरोसा हो। वैसे, आक्रमण को भी बेस्ट फॉर्म ऑफ डिफेन्स (सुरक्षात्मक खेल का सर्वश्रेष्ठ स्वरूप) ही कहते हैं। लेकिन, जब डिफेन्स अपने मूल स्वरूप में होता है, तो उसे ब्लॉकेथॉन कहते हैं।
टेस्ट क्रिकेट में अक्सर ऐसी स्थिति आती है जब स्टंप्स (खेल की समाप्ति) तक विपक्षी टीम के गेन्दबाज़ों को थामे रखना होता है। जब ऐसी नौबत आती है और जब बल्लेबाज ऐसा करने में सक्षम हो रहा होता है, तब जो रोमांच पैदा होता है, उसकी बराबरी वनडे (एकदिवसीय) या टी-20 में हो ही नहीं सकती। क्योंकि वहाँ जीत या हार होती है। जबकि यहाँ (टेस्ट में) जीवित रहना होता है।
इसलिए टेस्ट क्रिकेट जीवन और जंग का आईना है। इसलिए टेस्ट क्रिकेट जीवन्त है। इसलिए टेस्ट क्रिकेट शानदार है।
लेकिन गौर करने लायक है कि ब्लॉकेथॉन की रणनीति सिर्फ़ क्रिकेट तक सीमित नहीं है। ‘बॉर्डर’ फिल्म कई लोगों ने देखी होगी। उसमें एक दृश्य है, लोंगेवाला की जंग का, जहाँ दुश्मन को किसी भी सूरत में सुबह तक रोकना होता है। क्योंकि लड़ाकू जहाजों की मदद सुबह से पहले नहीं पहुँच सकती। भारत के सैनिक वहाँ ‘ब्लॉकेथॉन’ की रणनीति अपनाते हैं और सफल भी रहते हैं। दुश्मन को अगले दिन शिकस्त दे दी जाती है।
जीवन में भी कई बार हम सबके सामने ऐसी परिस्थिति आती है। जब हमें पता होता है कि मुश्किलों को हराया नहीं जा सकता। लेकिन, तब तक उसका सामना किया जा सकता है, जब तक स्थिति में सुधार न आने लगे। लोंगेवाला की जंग की तरह। सिडनी के मुकाबले की तरह। जीतें भले नहीं, लेकिन जिद पर अड़ जाएँ और हारें भी नहीं।
‘ब्लॉकेथॉन’, हमें जीवन-संघर्ष में टिके रहने का यही सबसे अहम गुर सिखाता है!
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(बिक्रम, भोपाल में रहते हैं। एक निजी कम्पनी में काम करते हैं। खेल और खासकर क्रिकेट में उनकी विशेष रुचि है। उन्होंने व्हाट्सऐप सन्देश के जरिए #अपनीडिजिटलडायरी को यह लेख भेजा है।)