प्यार को आसरा देने वाले का किस्सा

रैना द्विवेदी, भोपाल, मध्य प्रदेश से; 17/12/2020

कहने को तो यह एक बोध-कथा है। लेकिन गौर करें तो सम-बोधकथा सी लगेगी। ऐसी जो समान रूप से हमारी भावनाओं, संवेदनाओं को सम्बोधित करती है। सीधे हमको हमसे रू-ब-रू कराती है। हमें बताती है कि हमारी रोजमर्रा की आपाधापी अगर हमसे कोई चूक हो रही है तो वह कहाँ? और उसे अगर हम सुधारना चाहें तो वह कैसे? इसीलिए सुनने लायक बन पड़ी है। एक बार ही नहीं कई बार, बार-बार।

कुछ अच्छी चीजें हमारे अभ्यास में आ जाएँ, उसके लिए यही एक तरीका भी तो है… बार-बार उनसे दो-चार होते रहना!

———

(#अपनीडिजिटलडायरी​ के लिए ये किस्से भोपाल से रैना द्विवेदी संकलित कर रही हैं। सुना रही हैं। वे इन्हें ऑडियाे या वीडियो स्वरूप में बनाकर व्हाट्सऐप सन्देश के तौर पर डायरी को भेज रही हैं।)

सोशल मीडिया पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *