Gas Tragedy

यह सात जून के फैसले के अस्तित्व पर सवाल है!

विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 26/5/2022

…नई दिल्ली में कैबिनेट ने जीओएम की सिफारिशों पर मुहर लगा दी।… मृतकों के परिजनों को 10 लाख, स्थायी विकलांगों को 5 लाख और कैंसर व गुर्दे की बीमारियों से ग्रस्त प्रभावितों को 2 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाई जाएगी और डाऊ केमिकल्स की जवाबदेही तय करने के लिए वैधानिक सलाह ली जाएगी। कैबिनेट ने डाऊ केमिकल्स के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोटी की जबलपुर पीठ में मुकदमे को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। सरकार एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए कागजात तैयार कर रही है। विदेश मंत्रालय और अन्य एजेंसियां अतिरिक्त दस्तावेज जुटा रही हैं। ….इसके बाद एंडरसन को लाने के लिए दबाव बनाया जाएगा।

…मप्र सरकार गैस कांड मामले में कमजोर धाराएं लगाए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध अपील दायर करने जा रही है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि गुरुवार को विदेश प्रवास से लौटते ही मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक में इस मसले से जुड़े बिंदुओं की समीक्षा की। इसमें गैस राहत मंत्री बाबूलाल गौर और प्रदेश के महाधिवक्ता आरडी जैन सहित अन्य महकमों के अधिकारी मौजूद थे। यह भी तय हुआ कि सीजेएम कोर्ट के सात जून के निर्णय के खिलाफ जिला और सत्र न्यायालय भोपाल में अपील दायर की जाएगी। बैठक में सरकार की ओर से गठित विधि विशेषज्ञों की समिति की सिफारिशों पर भी विचार किया गया। यह भी निर्णय हुआ कि ट्रायल कोर्ट में सीबीआई की ओर से पूरक आरोप पत्र दायर करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया जाए। विधि विभाग को इस बात का परीक्षण करने के लिए भी कहा गया कि पीड़ितों के मुआवजे में वृद्धि के लिए प्रदेश सरकार किस तरह की न्यायालयीन कार्रवाई कर सकती है। सरकार ने इस संबंध में हस्तक्षेपकर्ता के रूप में अपील दायर करने का विकल्प खुला रखा।

….मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि गैस कांड मामले से जुड़े घटनाक्रमों को लेकर व्यवस्था नहीं बल्कि व्यक्ति दोषी हैं। ऐसे व्यक्तियों की जवाबदेही तय करने के लिए सरकार एक समिति का गठन करने जा रही है। मुख्यमंत्री ने भोपाल के शेष बीस वार्डाें को भी गैसप्रभावित घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में दिल्ली में मंत्री समूह की बैठक में लिए गए फैसलों और कतिपय विसंगतियों की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि मंत्री समूह ने सिफारिशों में उन 10,047 गैस पीड़ितों को छोड़ दिया, जो वास्तव में मृतक श्रेणी के हैं। लेकिन मुआवजा गंभीर प्रभावितों की श्रेणी में दिया गया।…

18 जून – नीदरलैंड से मुख्यमंत्री ने संदेश दिया है कि वे एक बार फिर गैस पीड़ितों की बस्तियों में जाएंगे। यदि केंद्र सरकार ने मुआवजा नही दिया तो प्रदेश सरकार अपने बजट से मुआवजे की व्यवस्था करेगी।
24 जून– मुख्यमंत्रीजी ने विदेश प्रवास के दौरान प्रदेश सरकार के जरिए पीड़ितों को मुआवजा देने की बात नहीं कही थी। उन्होंने तो गैस पीड़ितों के बीच जाकर उनके आंसू पोछने की बात कही थी।

…गैस रिसाव के वक्त सबसे पहले पहुंचकर हजारों लोगों की जान बचाने वाले ले. कर्नल गुरुचरण सिंह खनूजा जयपुर में गुमनामी की जिंदगी बिताने को मजबूर हैं। गैस के असर से न सिर्फ उनके फेफड़े खराब हो गए बल्कि उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई। जिंदगी से जद्दोजहद कर रहे 71 वर्षीय खनूजा को सहारे की तलाश है। सरकार की उपेक्षा से निराश खनूजा की आंखें यह कहते हुए नम हो गई।

उन्होंने बताया कि गैस कांड में पूरे परिवार के प्रभावित होने के बावजूद सरकार से मुआवजा लेने के लिए उन्हें कितने पापड़ बेलने पड़े। पहले 40 फिर 70 हजार रुपए देने की बात कही गई, लेकिन मिले सिर्फ 30 हजार रुपए। खनूजा बैरागढ़ भोपाल में मेजर थे। 2-3 दिसंबर 1984 को रात उनकी बटालियन सबसे पहले रिसाव वाले इलाके में पहुंची थी। किताब ‘इट वॉज फाइव पास्ट मिडनाइट इन भोपाल’ में भी उनका जिक्र है। इसमें बताया गया है कि उस रात किस तरह खनूजा और उनकी टीम ने काम किया। गैस त्रासदी से दस दिन पहले ही पलवल के पास खनूजा के 12 रिश्तेदारों को मार दिया गया था। इसके बावजूद वे ड्यूटी से पीछे नहीं हटे। खनूजा के परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। बेटा सेना में चंडीगढ़ और बेटियां पुणे में हैं। जोधपुर से रिटायर होने बाद वे जयपुर में बस गए। यहां जय इंजीनियरिंग में नौकरी की। पिगमेंटल रेटिनल डिस्ट्रोफी के कारण उनको आंख की रोशनी लगातार जाती रही। जब बिल्कुल कम दिखाई देने लग तब 1993 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। शुरू में उन्हें हर छह माह में इलाज कराने लखनऊ जाना पड़ता था। अब इलाज सिकंदराबाद के सिविल अस्पताल के डॉक्टर कर रहे हैं।

अब तक इतनी लंबी कहानी में कर्नल गुरुचरण पहले ऐसे शख्स हैं जिनके किरदार पर सिर फख्र से ऊंचा हो रहा है। उनके बारे में यह खबर पढ़कर मुझे धर्मरक्षक गुरू तेगबहादुर याद आ रहे हैं। गुरु गोविंदसिंह और मासूम जोरावर व फतहसिंह भी। सर्वस्वदानी, सदियों बाद भी जिनकी मिसाल मुल्क के अंधेरे आसमान में चांद की तरह जगमगा रही है। गुरुओं के शिष्यों को ‘सरदार’ साहस के इन्हीं गुणों के कारण कहा गया होगा। शिष्य ही सिख कहलाये।…

…चार जुलाई 2010, रविवार गैस हादसे से जुड़े कवरेज में यह सबसे बड़ा खुलासा है। यह सात जून के फैसले के अस्तित्व पर सवाल है। अदालत की बड़ी अनदेखी।…. केशव महेंद्रा सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ 2 जुलाई 1999 को तत्कालीन सीजेएम एसडी बौरासी ने जो आरोप तय किए थे उनके हिसाब से न तो सजा हुई और न ही जुर्माना। यदि अदालत बौरासी के लगाए गए आरोपों के हिसाब से फैसला देती को आरोपियों पर जुर्माना महज 12 लाख न होकर कई गुना अधिक हो सकता था। आरोपियों को सजा भी दो साल नहीं बल्कि सात साल होती।

सीजेएम कोर्ट के फैसले के बाद विवेक तन्खा की अगुवाई में गठित विधि विशेषज्ञों की कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में गैस त्रासदी मामले में हुई कानूनी खामियों का जिक्र किया है। सीजेएम के फैसले के खिलाफ राज्य शासन ने जिला न्यायाधीश की अदालत में जो अपील और रिवीजन पेश की है, उसमें भी जुर्माना और सजा दोनों बढ़ाए जाने की मांग की गई है। तत्कालीन सीजेएम बौरासी ने गैस त्रासदी में मारे गए लोगों की संख्या 3,828 मानते हुए प्रत्येक मृतक के हिसाब से सजा एवं जुर्माने दिए जाने के लिए आरोप तय किए थे। जबकि हाल में फैसला सुनाने वाली अदालत ने इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए एक व्यक्ति की मौत को आधार मानकर प्रत्येक आरोपी पर एक लाख रुपए का जुर्माना और दो साल की जेल की सजा सुनाई। सेवानिवृत्त जज रेणु शर्मा के मुताबिक आरोप पत्र में तय तथ्यों को ध्यान में रखा जाता तो अभियुक्तों पर कई गुना अधिक जुर्माना करने के पर्याप्त आधार थे।
(जारी….)
——
(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
——
श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ  
38. विलंब से हुआ न्याय अन्याय है तात् 
37. यूनियन कार्बाइड इंडिया उर्फ एवर रेडी इंडिया! 
36. कचरे का क्या….. अब तक पड़ा हुआ है 
35. जल्दी करो भई, मंत्रियों को वर्ल्ड कप फुटबॉल देखने जाना है! 
34. अब हर चूक दुरुस्त करेंगे…पर हुजूर अब तक हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे थे? 
33. और ये हैं जिनकी वजह से केस कमजोर होता गया… 
32. उन्होंने आकाओं के इशारों पर काम में जुटना अपनी बेहतरी के लिए ‘विधिसम्मत’ समझा
31. जानिए…एंडरसरन की रिहाई में तब के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की क्या भूमिका थी?
30. पढ़िए…एंडरसरन की रिहाई के लिए कौन, किसके दबाव में था?
29. यह अमेरिका में कुछ खास लोगों के लिए भी बड़ी खबर थी
28. सरकारें हादसे की बदबूदार बिछात पर गंदी गोटियां ही चलती नज़र आ रही हैं!
27. केंद्र ने सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी
26.एंडरसन सात दिसंबर को क्या भोपाल के लोगों की मदद के लिए आया था?
25.भोपाल गैस त्रासदी के समय बड़े पदों पर रहे कुछ अफसरों के साक्षात्कार… 
24. वह तरबूज चबाते हुए कह रहे थे- सात दिसंबर और भोपाल को भूल जाइए
23. गैस हादसा भोपाल के इतिहास में अकेली त्रासदी नहीं है
22. ये जनता के धन पर पलने वाले घृणित परजीवी..
21. कुंवर साहब उस रोज बंगले से निकले, 10 जनपथ गए और फिर चुप हो रहे!
20. आप क्या सोचते हैं? क्या नाइंसाफियां सिर्फ हादसे के वक्त ही हुई?
19. सिफारिशें मानने में क्या है, मान लेते हैं…
18. उन्होंने सीबीआई के साथ गैस पीड़तों को भी बकरा बनाया
17. इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?
16. पहले हम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं… गुलाम, ढुलमुल और लापरवाह! 
15. किसी को उम्मीद नहीं थी कि अदालत का फैसला पुराना रायता ऐसा फैला देगा
14. अर्जुन सिंह ने कहा था- उनकी मंशा एंडरसन को तंग करने की नहीं थी
13. एंडरसन की रिहाई ही नहीं, गिरफ्तारी भी ‘बड़ा घोटाला’ थी
12. जो शक्तिशाली हैं, संभवतः उनका यही चरित्र है…दोहरा!
11. भोपाल गैस त्रासदी घृणित विश्वासघात की कहानी है
10. वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया!

सोशल मीडिया पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *