Bhopal Gas Tragedy

इस मुद्दे को यहीं क्यों थम जाना चाहिए?

विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 16/6/2022

भाषण के दौरान कई बार अर्जुन की पीड़ा और दर्द भी सामने आया। उन्होंने कहा, मैं मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बने रहना चाहता था। मेरी इच्छा थी वहां रहकर उन लोगों को कटघरे में करने का काम करूं जो घटना के लिए जिम्मेदार थे। लेकिन मैं अपने नेता की इच्छा के मुताबिक पंजाब चला गया।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अपना दोष दूसरों के सिर नहीं मढ़ना चाहता। लेकिन मैं जिम्मेदारी से नहीं भागा।’ अर्जुन ने कहा, ‘मैंने राजीव गांधी से कहा था, मैं घटना के लिए तो जिम्मेदार नहीं हूं।’ अर्जुनसिंह ने कहा कि मैं इस बारे में कुछ ज्यादा नहीं कहना चाहता क्योंकि इससे कटुता बढ़ेगी। अब इस मुद्दे को थम जाना चाहिए।…

यह बड़ी विचित्र बात है। उनके ज्यादा कहने से कटुता किसके बीच बढ़ेगी? क्या उनके और कांग्रेस हाईकमान के बीच? लेकिन इससे गैस पीड़ितों और सवा सौ करोड़ सामान्य नागरिकों को क्या लेना-देना? वे तो चाहते हैं कि साजिशों की असलियत सामने आए। और इस मुद्दे को यहीं क्यों थम जाना चाहिए? यह एक जिम्मेदार राजनेता का बयान नहीं हो सकता। क्या सिर्फ इसलिए यह मुद्दा यहीं थम जाना चाहिए कि यही उन्हें और उनकी पार्टी के लिए सुविधाजनक होगा? राजनीति और प्रशासन के बारे में एबीसीडी जानने वाला बच्चा भी समझ सकता है कि अगर केंद्र से बार-बार फोन आ रहे थे तो ऐसा कैसे हो सकता है कि राजीव गांधी को ज्ञात नहीं होगा? फिर अर्जुनसिंह का उन्हें क्लीन चिट देना क्या मायने रखता है? वे सच सामने भी रख रहे हैं और उस पर शब्दजाल बिछाकर कहते भी जा रहे हैं कि नहीं, यह सच नहीं है।…

तत्कालीन गृह सचिव कृपाशंकर शर्मा कह रहे हैं कि गृहमंत्रालय से एंडरसन के मामले में कोई फोन मेरे पास नहीं आया। न ही सीएम ने मुझे कोई सूचना दी थी। पूर्व डीजीपी सुभाषचंद्र त्रिपाठी का कहना है कि हिरासत में सलामती कायम न रहने का डर हो तो न्यायिक हिरासत में रख सकते थे। भाजपा के बुजुर्ग नेता सुंदरलाल पटवा की राय है कि अगर अर्जुन त्रासदी के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हैं तो फिर इस्तीफे की पेशकश करने के बजाए सीधे पद छोड़ क्यों नही दिया। पूर्व आईएएस अधिकारी एमएन बुच साहब का मानना है कि किसी को जमानत पर छोड़ने का अधिकार मजिस्ट्रेट या पुलिस के पास तो है, लेकिन मुख्य सचिव के पास बिल्कुल नहीं है। तत्कालीन मुख्यमंत्री का यह बयान असल में कोई अर्थ नहीं रखता।…

मौजूदा सीएम शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह किसी को बचाने की खातिर सच्चाई बयान नहीं कर रहे हैं। राज्यसभा में अर्जुनसिंह के संबंध में उन्होंने कहा कि उन्हें सच सामने लाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अर्जुन के इस दावे को गलत बताया कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि एंडरसन को दिल्ली ले जाने के लिए राजकीय विमान कैसे इस्तेमाल किया गया। चौहान ने कहा कि उन्होंने उस समय की राजकीय विमान की लॉगबुक देखी है, जिसमें लिखा है कि सीएम के निर्देश पर विशेष उड़ान। कोई भी सरकारी विमान बिना मुख्यमंत्री की अनुमति के उड़ नहीं सकता।

13 अगस्त 2010, शुक्रवार।… गृहमंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को राज्यसभा में दो टूक ऐलान कर दिया है कि सरकार अब न तो मुआवजे पर नए सिरे से विचार करेगी और न ही रिकॉर्ड में बीमारियों का वर्गीकरण होगा। मरने वालों के आंकड़े भी अब कम या ज्यादा नहीं होंगे। सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि उसके पास इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वारेन एंडरसरन को छोड़ने का फोन किसने किया था। यानी अब एंडरसन को भगाने वाले की जवाबदेही तय हो पाना नामुमकिन है। संसद में बहस का जवाब देते हुए चिदंबरम ने यूपीए सरकार का खुलकर बचाव किया। उनके इस ऐलान के साथ कि सरकार मुआवजे की रकम पर नए सिरे से कोई विचार नहीं करेगी, ये साफ हो गया कि भोपाल के शेष बचे 20 वार्डों को अब गैस पीड़ित घोषित नहीं किया जाएगा।

एंडरसन के प्रत्यर्पण के मामले में उन्होंने कहा कि पहले इस संबंध में हमारे आग्रह को ठुकरा दिया गया था। लेकिन निचली अदालत के फैसले के बाद एंडरसन के खिलाफ काफी सबूत मिले हैं, जिन्हें पेश कर एक बार फिर प्रत्यर्पण की कोशिश की जाएगी। तत्कालीन विदेश सचिव एमके रसगोत्रा के वक्तव्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एंडरसन को सुरक्षित भारत यात्रा का आश्वासन दिया गया था। हालांकि उन्होंने कहा कि इससे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का कोई लेना-देना नहीं था।

गौर कीजिए, मंत्रियों से कोई पूछ भी नहीं रहा कि राजीव गांधी का हाथ था या नहीं, लेकिन वे बार-बार सुबह-शाम पानी पी-पीकर यह जरूर दोहरा रहे हैं कि नहीं उनका कोई लेना-देना नहीं था। जब मैंने कोई चोरी की ही नहीं है तो बार-बार यह दोहराने का क्या मतलब है कि मैं चोर नहीं हूं।…

शिवराजसिंह चौहान कह रहे हैं कि केंद्र को ज़िद छोड़कर भोपाल के गैस पीड़ितों के साथ न्याय करना चाहिए। 15 हजार मृतकों और शेष 20 वार्डों को गैस पीड़ित घोषित कर सभी पांच लाख प्रभावितों को मुआवजा दिया जाए। केंद्र के सामने सारे तथ्य आने के बावजूद वह और मुआवजा नहीं दिलाती है तो यह भोपाल के साथ अन्याय होगा।…

दिल्ली में अरुण जेटली कटाक्ष कर रहे हैं-प्रधानमंत्री को ये पता नहीं था कि एंडरसन को रिहा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री को भी इसका पता नहीं था। और अब केंद्र को ये भी पता नहीं कि किस अधिकारी ने फोन किया था। लगता है किसी दूसरे ग्रह से किसी ने किसी को फोन कर दिया होगा!

पी. चिदंबरम ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं। वे ईंट का जवाब पत्थर से दे रहे हैं। कहते हैं-आप पांच साल सत्ता में रहे तो क्यों नहीं पता कर लिया था कि किसने किसे फोन किया! तब की सरकार अगर कोशिश करती तो बहुत सारे लोग बताने को जीवित भी होते। आप लोगों की कोशिश केवल राजीव गांधी को घेरने की है, जो पूरी नहीं होगी।…
(जारी….)
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(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
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श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ  
40. अर्जुनसिंह ने राजीव गांधी को क्लीन चिट देकर राजनीतिक वफादारी का सबूत पेश कर दिया!
39. यह सात जून के फैसले के अस्तित्व पर सवाल है! 
38. विलंब से हुआ न्याय अन्याय है तात् 
37. यूनियन कार्बाइड इंडिया उर्फ एवर रेडी इंडिया! 
36. कचरे का क्या….. अब तक पड़ा हुआ है 
35. जल्दी करो भई, मंत्रियों को वर्ल्ड कप फुटबॉल देखने जाना है! 
34. अब हर चूक दुरुस्त करेंगे…पर हुजूर अब तक हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे थे? 
33. और ये हैं जिनकी वजह से केस कमजोर होता गया… 
32. उन्होंने आकाओं के इशारों पर काम में जुटना अपनी बेहतरी के लिए ‘विधिसम्मत’ समझा
31. जानिए…एंडरसरन की रिहाई में तब के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की क्या भूमिका थी?
30. पढ़िए…एंडरसरन की रिहाई के लिए कौन, किसके दबाव में था?
29. यह अमेरिका में कुछ खास लोगों के लिए भी बड़ी खबर थी
28. सरकारें हादसे की बदबूदार बिछात पर गंदी गोटियां ही चलती नज़र आ रही हैं!
27. केंद्र ने सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी
26.एंडरसन सात दिसंबर को क्या भोपाल के लोगों की मदद के लिए आया था?
25.भोपाल गैस त्रासदी के समय बड़े पदों पर रहे कुछ अफसरों के साक्षात्कार… 
24. वह तरबूज चबाते हुए कह रहे थे- सात दिसंबर और भोपाल को भूल जाइए
23. गैस हादसा भोपाल के इतिहास में अकेली त्रासदी नहीं है
22. ये जनता के धन पर पलने वाले घृणित परजीवी..
21. कुंवर साहब उस रोज बंगले से निकले, 10 जनपथ गए और फिर चुप हो रहे!
20. आप क्या सोचते हैं? क्या नाइंसाफियां सिर्फ हादसे के वक्त ही हुई?
19. सिफारिशें मानने में क्या है, मान लेते हैं…
18. उन्होंने सीबीआई के साथ गैस पीड़तों को भी बकरा बनाया
17. इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?
16. पहले हम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं… गुलाम, ढुलमुल और लापरवाह! 
15. किसी को उम्मीद नहीं थी कि अदालत का फैसला पुराना रायता ऐसा फैला देगा
14. अर्जुन सिंह ने कहा था- उनकी मंशा एंडरसन को तंग करने की नहीं थी
13. एंडरसन की रिहाई ही नहीं, गिरफ्तारी भी ‘बड़ा घोटाला’ थी
12. जो शक्तिशाली हैं, संभवतः उनका यही चरित्र है…दोहरा!
11. भोपाल गैस त्रासदी घृणित विश्वासघात की कहानी है
10. वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया!

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