टीम डायरी
संवेदनाएँ, भावनाएँ, रिश्ते, नाते, रिवाज़, ‘संस्कार (अंतिम भी)… ये सिर्फ़ इंसानों के दायरे में ही आने वाली चीज़ें नहीं हैं। बल्कि इन लफ़्ज़ों के अपने दायरे बहुत बड़े हुआ करते हैं, जिनमें इंसानों के अलावा क़ुदरत की और तमाम चीज़ें आया करती हैं। भले ख़ुद को ‘ज़्यादा’ समझने वाले इंसानों को यह सब न दिखता हो। मगर रहती हैं। और कभी-कभी कुछ लोगों को दिख भी जाती हैं। मिसाल के तौर पर, यह वीडियो बनाने वाले लोगों काे दिखी हैं।
इन लोगों ने शायद कहीं इस पतंगे को ज़मीन खोदते देखा होगा। उसकी ये हरक़त कुछ अलग सी लगी तो कैमरा खोल लिया और महज़ सवा मिनट के भीतर रिश्तों का, संवेदनाओं का एक पूरा जहान खुल गया उनके सामने। क्योंकि यह पतंगा अपने साथी का बे-जान ज़िस्म दफ़्न करने के लिए ज़मीन में क़ब्र खोद रहा था। साथी के अंतिम संस्कार के लिए।
देखिएगा, किस तरह उसने क़ब्र तैयार की है। फिर अपने साथी के बे-जान ज़िस्म को कुछ दूरी से उठाकर लाया है। आख़िरी तौर पर दफ़्न करने से पहले रास्ते में उसे अपने सीने से सटाया है। और फिर ज़मीन की कोख़ में लिटा दिया है, हमेशा के लिए। अद्भुत है न?