टीम डायरी
टेलीविज़न पर अक़्सर एक विज्ञापन आया करता है। उसमें एक युवती लोगों से पूछती फिरती है, “क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है?” और फिर टूथपेस्ट का प्रचार करते हुए बताया जाता है कि उसमें नमक होना दाँतों के लिए बहुत फ़ायदेमन्द है। इससे दाँत मज़बूत होते हैं। हालाँकि टूथपेस्ट ही अपने आप में दाँतों के लिए फ़ायदेमन्द है या नुक़सानदायक, इस पर तमाम बातें कही-सुनी जाती हैं। मगर इसी के बीच एक नया मसला सामने आ गया है। वह है, नमक में माइक्रोप्लास्टिक यानि प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों की मौज़ूदगी का।
पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले एक संगठन ‘दिल्ली टॉक्सिक्स लिंक’ ने देश के भीतर बेचे जा रहे विभिन्न कम्पनियों के नमक के साथ ही साथ चीनी के भी नमूने लिए और उनकी जाँच कराई। इसमें पाया कि कई कम्पनियों के नमक और चीनी में प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मौज़ूद हैं। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि प्लास्टिक के सूक्ष्म कण प्रॉसेसिंग तथा पैकिंग की प्रक्रिया के दौरान नमक और चीनी में शामिल होते हैं। अध्ययन की विस्तृत रिपोर्ट इस संगठन ने मंगलवार को ही जारी की है। इसमें और भी जानकारियाँ हैं।
बताया गया है कि किस कम्पनी के नमक और चीनी में कितने-कितने आकार-प्रकार के माइक्रोप्लास्टिक पाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, माइक्रोप्लास्टिक से भी छोटे नैनोप्लास्टिक कण कहलाते हैं। इनकी मौज़ूदगी तो क़रीब करीब सभी पदार्थों में होती है। यहाँ तक कि जिस हवा में हम साँस लिया करते हैं, उसमें भी। बल्कि इनसे भी आगे माइक्रो और नैनोप्लास्टिक के मिले-जुले रूप माइक्रोनैनोप्लास्टिक के बारे में तो कहते है कि ये इतने छोटे होते हैं कि शरीर के भीतरी अंगों में आसानी से घुस जाते हैं। घुस चुके हैं।
है न अचरज की बात? साथ ही, चिन्ता करने और सचेत रहने की भी। क्योंकि तभी हम अपने जीवन में कम से कम उस प्लास्टिक का उपयोग तो कम कर ही पाएँगे, जो हमें आँखों से नजर आता है। नहीं तो यत्र, तत्र, सर्वत्र विद्यमान प्लास्टिक हमें भयंकर मौत देगा, इसमें कोई सन्देह नहीं।