महात्मा गाँधी को संत और राजनेता का असहज मिश्रण क्यों कहा जाता था?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 30/10/2021

बंगाल के विभाजन के ख़िलाफ़ हुआ आंदोलन वैसे तो राष्ट्रीय स्वरूप का था, फिर भी कुछ मुसलमानों ने इसका विरोध किया। इसे हिंदुओं की प्रतिक्रिया माना। ख़ास तौर पर मुसलिम आबादी की प्रतिक्रिया इस आंदोलन के विरुद्ध तीखी थी। उस पृष्ठभूमि में रूढ़िवादी मुसलिमों को प्रेरित किया कि कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए उन्हें भी राजनीतिक संगठन बनाना चाहिए। इस समय तक आज़ादी के आंदोलन का नेतृत्व पूरी तरह कांग्रेस के हाथ में आ चुका था। साथ ही उसके बारे में यह राय भी बनने लगी थी कि उसके संगठन पर अतिवादी नेता हावी हो गए हैं। लिहाज़ा अल्पसंख्यक मुसलिम प्रतिक्रिया के रूप में 1906 में मुस्लिम लीग अस्तित्त्व में आई। उसी साल एक मुसलिम प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन वायसराय से मिला। उनके सामने उसने आगामी प्रशासनिक सुधारों के ज़रिए मुसलिमों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की गारंटी की माँग रख दी। 

इसके कुछ समय बाद कांग्रेस पर महात्मा गाँधी का नियंत्रण हो गया। उन्होंने अपने कर्म-दर्शन से सभी को आकर्षित किया। स्वतंत्रता आंदोलन अब ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के इक़लौते लक्ष्य पर केंद्रित हो गया था। गाँधी मानते थे कि जब तक विदेशी सरकार भारत पर शासन कर रही है, कोई भी स्थायी सुधार संभव नहीं है। वे धरना, अनशन, बहिष्कार जैसे साधनों से दबाव बनाकर अपनी माँगें मनवाने के पक्षधर थे। उनका विश्वास था कि इससे शर्मिंदा होकर अंग्रेज भारत छोड़ने को मज़बूर हो जाएँगे।

गाँधी ने पश्चिमी शिक्षा प्राप्त की थी। इंग्लैंड में कानून का अध्ययन किया था। वे रूसी विचारक क्रोपोत्किन के शांतिवादी अराजकतावाद के विचार से गहरे प्रभावित थे। टॉल्स्टॉय ने उन्हें सहनशील प्रतिरोध का मार्ग सुझाया था। हिंदु परंपरा में यह तत्त्व पहले से मौज़ूद था। उनका दृढ़ विश्वास था कि बड़े पैमाने पर हिंसक कार्रवाई केवल बड़े पैमाने पर अत्याचार को बढ़ावा देगी। जबकि स्वेच्छा से ख़ुद को पुलिसिया हिंसा और कारावास के लिए प्रस्तुत कर देने से भारतीय अंग्रेजों को शर्मिंदा होने पर मज़बूर कर देंगे। इस तरह गाँधी ने ‘अहिंसात्मक असहयोग’ के रूप में अपना दृष्टिकोण सबके सामने रखा।

यद्यपि गाँधी का विचार लोगों को उन कानूनों को तोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी था, जो जनता के हितों के ख़िलाफ़ थे। वहीं जहाँ तक ‘असहयोग’ का मसला था, तो गाँधी यह नीति अपनाकर अक़्सर अंग्रेजों का सहयोग भी करते नज़र आते थे। संभवत: इसीलिए उनके विचारों को हर किसी ने स्वीकार नहीं किया। लेकिन, उनकी साधुता, उनकी अत्यधिक ईमानदारी और बहुसंख्य जनता के बीच व्यक्तिगत लोकप्रियता के कारण उन्होंने अतिवादी विचार रखने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को भी प्रभावित किया। 

गाँधी क़िरदारों का अच्छा अनुमान लगा लिया करते थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू (1889-1964) में समाजवाद और मार्क्सवाद के शब्दजाल में छिपे उदारवादी व्यक्तित्त्व को बहुत जल्द पहचान लिया था। हालाँकि गाँधी स्वयं पश्चिमी विज्ञान और अर्थशास्त्र के विरोधी थे। पश्चिम के राजनीतिक संस्थानों में भी उनकी विशेष दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने सुधारों के लिए स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद जैसे सुधारकों की तरह ही भारतीय और विशेष रूप से हिंदु परंपरा की ओर ध्यान किया। उन्होंने हिंदु जीवन पर पश्चिमी धर्मनिरपेक्ष विचारों के बुरे प्रभावों को समझा। लेकिन वे यह भी समझ चुके थे कि इस तरह के विचारों में निहित न्याय की अपील करके ही अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है। 

 इस तरह गाँधी के विचार वास्तव में कई जगह स्पष्ट विरोधाभासी लगते थे। इसीलिए वह किसी संत और राजनेता का असहज मिश्रण थे। उन्होंने कांग्रेस को जनता के बीच एक पहचान दी। कारण कि उन्हें यह संगठन राजनीतिक अर्थों में गैर-वैचारिक होने के नाते सभी विचारधाराओं को समाहित करने लायक नज़र आया। वहीं, नेहरू के व्यक्तित्त्व में उतावलापन था। उनकी भाषा भी थी। हालाँकि इसके बावज़ूद उन्होंने गाँधी या कांग्रेस का साथ कभी नहीं छोड़ा। वहीं दूसरी तरफ, सुभाष चंद्र बोस (1897-1945) थे। वे 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने। इसके बाद महात्मा गाँधी की इच्छा के विरुद्ध दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव में दावेदारी जताने लगे। हालाँकि उन्हें इस्तीफ़ा देने पर मज़बूर कर दिया गया। 

नेहरू सहित कई कांग्रेसी बोस को फासीवादी करार दे रहे थे। वास्तव में वे कुछ समय तक फासीवाद और साम्यवाद के बीच एक मेलजोल के समर्थक भी रहे। उन्होंने 1934 में लिखा, “साम्यवाद और फासीवाद के बीच के विरोध के बावज़ूद दोनों के कुछ लक्षण मिलते हैं। ये दोनों ही विचार राष्ट्र को व्यक्ति से ऊपर मानते हैं। दोनों संसदीय लोकतंत्र की निंदा करते हैं। दोनों पार्टी पार्टी की तानाशाही तथा असंतुष्ट अल्पसंख्यकों के निर्मम दमन में विश्वास करते हैं। दोनों देश के योजनाबद्ध औद्योगिक पुनर्गठन में विश्वास करते हैं। इस साम्य में जो बेहतर है, उस पर भारत में काफी काम हो सकता है।”

बोस को ऐसे ही विचारों और उनसे जुड़ी गतिविधियों के कारण 1941 में नज़रबंद कर दिया गया था। लेकिन नाटकीय रूप से उससे बच निकले और देश छोड़कर जर्मनी पहुँच गए। वहाँ उन्होंने एक ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ का ख़ाका खींचा। उन्होंने 1943 में टोक्यो पहुँचकर ‘इंडिया इंडिपेंडेंस लीग’ नामक संगठन का कार्यभार संभाला। उसकी स्थापना जापान में 1916 में की गई थी। यहाँ बोस ने युद्ध-बंदियों को साथ लेकर ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ को संगठित रूप दिया। उन्हें उम्मीद थी कि वे जापानी सेना के मदद से भारत में दाख़िल हो जाएँगे। लेकिन उनकी ये कोशिश और उम्मीद पूरी तरह असर नहीं दिखा सकी।

एक विमान दुर्घटना में घायल होने के बाद 1945 में फॉर्मोसा में उनका निधन हो गया। बोस शायद इक़लौते राष्ट्रवादी क्रांतिकारी भारतीय नेता थे, जिन्होंने सही अर्थों में क्रांतिकारी मार्ग अपनाया। उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े देशों के लिए अनुकूल प्रणाली के रूप में संसदीय लोकतंत्र पर विश्वास नहीं था। वह नाजी जर्मनी के फासीवाद से प्रभावित थे। फिर भी उन्होंने धार्मिक और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की निरंतरता का प्रतिनिधित्व किया। उनके कई राजनीतिक विचार जर्मनी, इटली और सोवियत संघ से आए थे। लेकिन स्वतंत्र भारत के लिए उनका मॉडल तुर्की के कमाल अतातुर्क के सिद्धांत पर कहीं अधिक आधारित था। वह मानते थे कि जब एक मजबूत केंद्रीय शक्ति सामाजिक परिवर्तन की समस्याओं को हल कर देगी, तब शायद, जनता लोकतंत्र के लिए तैयार होगी।
(जारी…..)
अनुवाद : अभिनव, सम्पादन : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ :
73.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कौन से अध्यक्ष ब्रिटिश संसद के लिए चुने गए थे?
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67. कलकत्ता कला विद्यालय के प्राचार्य ईबी हैवेल ने इस क्षेत्र में कौन से अहम बदलाव किए?
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65. बाल-विवाह के विरोधी किस समाज-सुधारक ने बेटी की शादी 13 की उम्र में की थी?
64. ब्रिटिश सरकार के दौर में महिला शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
63. देश जब आज़ाद हुआ, तब कितने प्रतिशत आबादी अशिक्षित थी?
62. लॉर्ड कर्जन को कुछ भारतीयों ने ‘उच्च शिक्षा के सर्वनाश का लेखक’ क्यों कहा?
61. आईसीएस में पहली बार कितने भारतीयों का चयन हुआ था और कब?
60. वायसराय जॉन लॉरेंस को ‘हमारा सबसे बड़ा शत्रु’ किस अंग्रेज ने कहा था?
59. कारखानों में काम करने की न्यूनतम उम्र अंग्रेजों ने पहली बार कितनी तय की थी?
58. प्लास्टिक उत्पादों से भारतीयों का परिचय बड़े पैमाने पर कब हुआ?
57. भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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