Nikesh-Mohan Yadav

देखिए, मीडिया कैसे पक्षपाती तौर पर काम करता है, मेरे अनुभव का किस्सा है!

निकेश जैन, इन्दौर मध्य प्रदेश

मीडिया कैसे पक्षपाती तौर पर काम करता है, इसका मुझे कुछ महीनों पहले ख़ुद अनुभव हुआ। बात तब की है, जब एक कार्यक्रम के सिलसिले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव बेंगलुरू आए। उनका कार्यक्रम यहाँ कारोबारी जगत के प्रतिनिधियों से मिलने का था। उन प्रतिनिधियों में चूँकि मैं भी शामिल था, इसलिए उनकी मुलाक़ात मुझसे भी हुई। मैंने उन्हें अपनी कम्पनी एड्यूरिगो के बारे में बताया। साथ में यह भी बताया कि हम अपनी कम्पनी के माध्यम से मध्यप्रदेश में कैसे नई सम्भावनाओं के द्वार खोल सकते हैं। 

मुख्यमंत्री के साथ मेरी चन्द मिनटों की मुलाक़ात के दौरान वहीं कुछ पत्रकार भी मौज़ूद थे। तो, इस मुलाक़ात के बाद जैसे ही मैं बाहर निकला, उन्हीं पत्रकारों में से एक लपककर मेरे पास आए। उन्होंने मुझसे कहा किया कि वे मुझसे कुछ और बातचीत करना चाहते हैं। साथ ही आग्रह किया कि अगर मैं उनके होटल आ सकूँ तो बेहतर हो। मुझे लगा कि उन्हें मेरी कम्पनी, उसके कामकाज, आदि के बारे में कुछ जानना होगा। और फिर उनका होटल मेरे घर के रास्ते में था, तो मैंने उन्हें मना नहीं किया। बल्कि तय समय पर उनके होटल पहुँच गया। 

शाम के पाँच बजे के आस-पास मेरी उन पत्रकार से उन्हीं के हाेटल के कैफे में मुलाक़ात हुई। उन्होंने अपना और अपने अख़बार का परिचय देते हुए बड़ी शान से बताया वे वामपन्थ के समर्थक हैं। मैं जानबूझकर दोनों का ही नाम यहाँ नहीं लिख रहा हूँ। तो उन्होंने बातचीत शुरू करते ही मुख्यमंत्री मोहन यादव को भला-बुरा कहना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, मध्य प्रदेश के बारे में भी उन्होंने अच्छी राय व्यक्त नहीं की। उन्होंने मुख्यमंत्री पर सवाल उठाया, “देखिए, इनके राज्य में कितनी समस्याएँ हैं और ये यहाँ बेंगलुरू में वक़्त बर्बाद कर रहे हैं।”

यही नहीं, उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि मैं उन्हें मध्य प्रदेश के बारे में ऐसी कुछ जानकारियाँ दूँ, जिनके आधार पर वे इस राज्य और यहाँ के मुख्यमंत्री को निशाना बना सकें। उनकी ऐसी बातें सुनकर मैं दंग रह गया। पहले तो मुझे समझ में ही नहीं आया कि मैं उन्हें कैसे और क्या प्रतिक्रिया दूँ। फिर मैंने तय किया कि मुझे इनकी ग़लतफ़हमी दूर करनी ही चाहिए। अपने अन्दाज़ में इनकी नज़र पर चढ़ा चश्मा उतारना चाहिए। वही मैंने किया। 

मैंने उन्हें बताया कि मैं मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर में पैदा हुआ। वहीं बड़ा हुआ। मैंने मध्य प्रदेश की हालत उस दौर में अपनी आँखों से देखी है, जब अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह जैसे नेता राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। लगभग 20 साल तक उनका शासन रहा। तब हर क्षेत्र में वहाँ इतने बुरे हाल थे कि मेरे जैसा युवा किसी भी सूरत में, बिना संकोच के राज्य को छोड़कर कहीं दूसरी, बेहतर जगह चले जाने का मन बना लेते थे। लेकिन फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। उस दौरान हमने पूरे प्रदेश की सूरत बदलते हुए देखी और अपने शहर इन्दौर की भी। आज मोहन यादव उन्हीं के कामों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसमें ग़लत क्या है? 

इस बार चौंकने की बारी उन पत्रकार की थी। उन्हें शायद उम्मीद नहीं थी कि मैं इतनी तीखी प्रतिक्रिया करूँगा। इसके बाद अलबत्ता, मुझे वहाँ रुकना गवारा न हुआ। मैंने पूरी विनम्रता के साथ उनसे कहा कि मुझे देर हो रही है। इसलिए मुझे अब निकलना होगा। और मैं वहाँ से चला आया। लेकिन मेरे लिए सच में, यह बहुत ख़राब अनुभव था। इसे मैं भूल नहीं सकता। पर एक बात ज़रूर कहूँगा कि ‘राष्ट्र निर्माण वाक़ई कोई आसान काम नहीं है। इसमें सबसे पहले तो हमें अपने भीतर के लोगों का ही प्रतिरोध झेलना पड़ता है।” नहीं क्या?

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निकेश का मूल लेख

How biased media works – a first hand experience.

Just a couple months ago I got an opportunity to meet Madhya Pradesh Chief Minister Shri Mohan Yadav in Bangalore during a conclave. I attended a business delegate meeting and got a few minutes to talk about Edurigo and how we could add value to MP.

Few journalists were also there in the room covering that meeting.

When I came out of that meeting I was approached by a journalist who was in the meeting and wanted to meet me in his hotel to get some more bytes.

His hotel was on the way to my house so I said I would stop by towards evening. Around 5pm I reached his hotel and we met in the cafe.

He introduced himself as a journalists from a leftist news paper (I am hiding the name of that media house) . He said – “I am a leftist” and started bad mouthing Chief Minister and the MP state. He said “his state (MP) has so many problems but he is wasting time here in Bangalore”. He said, I need some information from you so that I can show the CM his place!!

I was shocked. I just didn’t expect anything like this and wasn’t sure how to react but I decided to be real me 🙂

I told him “You know, I am born and brought up in Indore. I have seen the condition of the state under congress CMs like Arjun Singh and Digvijay Singh for 20 years. The state was in such a mess that a young guy like me just wanted to run away from the state. Then we saw the progress of the state and my town Indore under BJP leader Shivraj Singh Chouhan for good 15 years! Mohan Yadav is trying to build on that legacy, what’s wrong?.”

Now this time that journalist was shocked because he didn’t expect that kind of response from me.

Then I politely said – I am getting late so need to leave and left the cafe.

This is how some media houses are working in India. They are true “Snakes in the Ganga” who are trying to break India or want to slow the growth rate.

Building a nation is not an easy thing – you have to deal with more resistance from within.

Thoughts? 

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(निकेश जैन, शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख अपेक्षित संशोधनों और भाषायी बदलावों के साथ #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने इसे लिंक्डइन पर लिखा है।)

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