खुशी अरोड़ा, दिल्ली से
गीली मिट्टी अनगढ़ी, गुरुवर हमको जान,
ज्ञान प्रकाशित कीजिए, आप समर्थ बलवान।
आप सभी को मेरा प्यार भरा सुप्रभात। मैं आज ‘शिक्षक दिवस’ के उपलक्ष्य में इस लेख के जरिए शिक्षकों के प्रति अपना प्यार, सम्मान प्रकट करना चाहती हूँ। उनका हमारी ज़िन्दगी में क्या महत्त्व है यह भी बताना चाहती हूँ।
जैसा कि हम सब जानते हैं, गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर होता है। एक विद्यार्थी के लिए गुरु ही उसका परमेश्वर होता है। हमारी ज़िन्दगी में गुरु का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि जिन पर गुरुओं का आशीर्वाद होता है या साया होता है वे हमेशा ऊंचाइयाँ व तरक़्की हासिल करते हैं। हालाँकि सबकी ज़िन्दगी में गुरु का महत्त्व अलग होता है। ऐसे ही मेरी ज़िन्दगी में भी गुरु का महत्त्व अलग है। मेरी ज़िन्दगी में मेरे गुरुओं का आशीर्वाद, उनके द्वारा दिया गया स्नेह व ज्ञान मेरे लिए बहुत मूल्यवान है।
हमारे गुरु हमें पढ़ाते ही नहीं, बल्कि हमारे भविष्य को आकार भी देते हैं। वह हमारी गलतियाँ बताते हैं, ताकि हम उसमें सुधार कर सकें और उन गलतियों से सीख कर उन्हें आगे न दोहराएँ। वह हमें एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाते हैं। जिस प्रकार कुम्हार एक गीली मिट्टी को किसी नई चीज में गढ़ता है, वैसे ही गुरु हमारे व्यक्तित्त्व को गढ़ते हैं। इस ईर्ष्याभरी दुनिया में सिर्फ गुरु ही हैं, जो आपसे कभी ईर्ष्या नहीं करते। वह हमेशा आपसे प्यार करते हैं। वह आपको निरन्तर प्रेरित करते हैं।
हम हर वर्ष पाँच सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाते हैं। लेकिन एक छात्र ‘शिक्षक दिवस’ रोज मना सकता है। यह ज़रूरी नहीं कि ‘शिक्षक दिवस’ के दिन ही आप अपने शिक्षक के प्रति प्यार व सम्मान दिखाएँ। अगर हम अपने शिक्षकों को रोज सम्मान व प्यार देंगे तो वह हमसे हमेशा खुश होंगे। वह हमें अच्छे ज्ञान का और तरक़्क़ी का आशीर्वाद देंगे, जो हमारे उज्जवल भविष्य में काम आएगा। सो, हमें अपने शिक्षकों को रोज तहे दिल से धन्यवाद करना चाहिए कि वह अपनी ज़िन्दगी का अनमोल ज्ञान हम पर रोज लुटाते हैं। हमसे बदले में कुछ नहीं माँगते। बस, यही अपेक्षा रखते हैं कि आगे चलकर हम अपने माता-पिता सहित उनका नाम रोशन करें। एक काबिल और अच्छे इंसान बनें।
तो आइए आज ‘शिक्षक दिवस’ पर हम सभी यह प्रण लें कि हम अपने शिक्षकों को रोज गर्व महसूस कराएँगे। उनकी हमेशा इज़्ज़त करेंगे। उनकी मेहनत, उनके दिए गए ज्ञान और सुन्दर विचारों को कभी नहीं भूलेंगे। हम सदा उनके विचारों का अपनी ज़िन्दगी में उपयोग करेंगे। हम चाहे कितने भी सफल हो जाएँ, लेकिन हम अपने गुरुओं का आदर करना कभी नहीं भूलेंगे।
आप का तहे दिल से धन्यवाद मेरे इस लेख को पढ़ने के लिए।
—–
(नोट : खुशी दिल्ली के आरपीवीवी सूरजमल विहार स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती हैं। उन्होंने ‘अपनीडायरीलिखिए’ सेक्शन में लिखकर यह पोस्ट #अपनीडिजिटलडायरी तक पहुँचाई है। वह डायरी की पाठकों में से एक हैं।)
—–
खुशी के पिछले लेख
2- कितना बेहतर हो, अगर हम लड़कियों को उनकी सुरक्षा करना भी सिखाएँ!
1. संस्कार हमारे जीवन में कैसे अच्छी या बुरी भूमिका निभाते हैं?