एक किस्सा..पीठ पीछे की बातों में दिलचस्पी लेने, यकीन करने वालों के लिए!

टीम डायरी, 9/7/2021

प्राचीन ग्रीस की कहानी है। वहाँ के एक बड़े दार्शनिक हुए हैं, सुकरात। एक बार कोई परिचित उनके पास आए। आते ही बड़ी आतुरता से कहने लगे, “आपको पता है, आपके अमुक दोस्त के बारे में मैंने अभी-अभी क्या सुना है?” इस पर सुकरात ने उनसे कहा, “थोड़ा ठहरिए। इससे पहले कि आप मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताएँ, मेरे तीन प्रश्नों का उत्तर दीजिए।” वे सज्जन बोले, “ठीक है, पूछिए।” 

इस पर सुकरात ने उनसे पहला सवाल किया, “क्या आपने मेरे मित्र के बारे में जो सुना, उसके बारे में आपको पूरा भरोसा है कि वह सच है?” ज़वाब में उन्होंने कहा, “नहीं।” 

तब सुकरात ने दूसरा प्रश्न किया, “क्या आप मेरे मित्र के बारे में जो बताने वाले हैं, वह कोई अच्छी बात है?” तो उन्होंने कहा, “अरे नहीं, बल्कि इससे उलट है।” 

फिर सुकरात ने तीसरा सवाल किया, “क्या आप जो कुछ भी मुझे उस दोस्त के बारे में बताएँगे, वह मेरे लिए उपयोगी होगा?” इसके उत्तर में उन साहब ने कहा, “नहीं, मुझे नहीं लगता कि वह आपके लिए उपयोगी होगा।” 

“यानि इसका मतलब ये हुआ कि आप मुझे जो भी मेरे मित्र के बारे में बताने वाले हैं, न तो उसकी सच्चाई के बारे में आपको भरोसा है। वह न कोई अच्छी बात है। तिस पर वह मेरे लिए उपयोगी भी नहीं। फिर आप मुझे वह क्यों बताना चाहते हैं? और मैं भी उसे क्यों सुनूँ?” सुकरात ने बड़े सपाट लहज़े में उनसे पूछा।

इसका उन सज्जन के पास कोई उत्तर नहीं था। 

कहते हैं, सुकरात लगभग हर तथ्य को, सूचना को, जानकारी को अपने तक पहुँचने से पहले ही इसी तरह की तीन कसौटियों पर परखा करते थे। उनकी किसी एक कसौटी पर भी वह खरी उतरती, तो ही उसे ग्रहण करते थे। अन्यथा नहीं। 

हमारी भारतीय संस्कृति में भी इसी तरह की एक प्रक्रिया का वर्णन मिलता है। उसे ‘नीर-क्षीर विवेक’ कहते हैं। यानि जो कुछ भी हमारे सामने आए, उसमें से सिर्फ़ काम की चीजों (क्षीर या दूध) को ग्रहण करना। बेमतलब की, अनावश्यक बातों (नीर या पानी) को छोड़ देना।

जो लोग ‘कान के कच्चे’ कहे जाते हैं, जो दूसरों की आधारहीन बातों में पड़कर अपनों पर सन्देह करते हैं, जिन्हें पीठ पीछे कही-सुनी जाने वाली बातों में दिलचस्पी होती है, जो ऐसी चीजों पर यक़ीन कर लिया करते हैं, उनके लिए ख़ास तौर पर ‘नीर-क्षीर’ विवेक की यह कहानी काम की हो सकती है।  

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(#अपनीडिजिटलडायरी के लिए यह रोचक-सोचक कहानी मूल रूप से विलियम पॉटू के फेसबुक अकाउंट से साभार ली गई है। विलियम न्यूज़ीलैंड में रहते हैं। डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में काम करते हैं।)

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