वैष्णवी द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश से, 30/4/2021
वक़्त मुश्किल है। एक अदृश्य दुश्मन (कोरोना) है, जिसने मानवता के ख़िलाफ़ जंग छेड़ रखी है। हमारे घरों में घुसकर हमारे अपनों को वह हमसे छीन रहा है। व्यवस्थाएँ पस्त हैं और अव्यवस्थाएँ मस्त। पूरा माहौल निराशाजनक है।
लेकिन वास्तव में यही हमारे लिए परीक्षा की घड़ी है। घनघोर निराशा के अन्धकार में भी हमें अपने आप पर यक़ीन करना होगा। ईश्वर पर भरोसा रखना होगा। ये मानना होगा कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। उम्मीद का दीया जलाए रखना होगा।
ये एक छोटी सी कहानी हमें प्रतीकों में यही सन्देश दे रही है। सामाजिक माध्यमों (Social Media) से घूमती हुई यह छतरपुर, मध्य प्रदेश की निधि जैन के पास आई। उन्होंने इसे #अपनीडिजिटलडायरी को भेजा। और ‘डायरी’ की सदस्य भोपाल, मध्य प्रदेश की वैष्णवी द्विवेदी ने इसे अपनी आवाज में एक ख़ूबसूरत रूप दे दिया(
कहानी सुनने लायक है। गुनने लायक है। और ‘डायरी’ के ‘सरोकार’ से जुड़ती है। इसीलिए इसे यहाँ दर्ज़ किया जा रहा है।