नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश
तय कर लीजिए कि ‘आपकी टीम में कौन है’? क्योंकि इस सवाल के ज़वाब के तौर पर जो भी विकल्प हम-आप चुनेंगे, उसके परिणाम दूरगामी होंगे। इतने दूरगामी कि हमारी आने वाली कई पीढ़ियों तक उनका असर होगा। कैसे? यह भी बताते हैं, लेकिन उससे पहले थोड़ी-बहुत जानकारियाँ।
ऊपर शीर्षक में दो नाम दिए हैं। पहला- वैभव। इसका अर्थ है, ‘शान-ओ-शौक़त’ इस नाम वाले एक क्रिकेटर हैं, वैभव सूर्यवंशी। उम्र महज 14 साल के क़रीब है। मगर इस उम्र में ही उन्होंने इतनी मेहनत कर ली, अपना खेल इतना निखार लिया कि उन पर इण्डियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की राजस्थान रॉयल्स टीम ने 1.10 करोड़ रुपए की बोली लगाकर उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। यह फ़ैसला सही भी साबित हुआ। वैभव ने सोमवार, 28 अप्रैल को अपने तीसरे ही मैच में विरोधी टीम- गुजरात टाइटन्स के गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ चौके-छक्कों की बरसात कर दी। उन्होंने 11 छक्कों ओर सात चौकों के साथ महज 35 गेंदों में शतक ठोक दिया। कुल 38 गेंद खेलकर 101 रन बनाए उन्होंने। वह ऐसा करने वाले आईपीएल इतिहास के सबसे कम उम्र के बल्लेबाज बने। साथ ही आईपीएल में सबसे तेज शतक लगाने वाले दूसरे बल्लेबाज (पहले नम्बर पर वेस्टइन्डीज के क्रिस गेल, 30 गेंदों में शतक) भी।
इसके बाद अब मीडिया तथा सोशल मीडिया में सूर्यवंशी के ‘वैभव’ का यशोगान चल रहा है। उनकी मेहनत और उनके माता-पिता के संघर्ष की तमाम कहानियाँ कही-सुनी जा रही हैं। युवा और उनके अभिभावक उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। उनके जैसे होने-बनने का मंसूबा बाँध रहे हैं।
अब शीर्षक में दिए गए दूसरे नाम का ज़िक्र। आमिर। इसका मतलब है, ‘आदेश देने वाला’, ‘सेनापति, उच्चाधिकारी’। हिन्दी फिल्म उद्योग में इसी नाम के नामी अभिनेता हैं, आमिर खान। उनकी छवि ऐसी बनी या बनाई गई कि उन्हें लोग ‘मिस्टर परफेक्शनसिट’ कहने लगे। मतलब वे हर काम ठोक-बजाकर मुक़म्मल तरीक़े से करते हैं। उसमें किसी चूक की गुंजाइश नहीं छोड़ते। अलबत्ता, इन दिनों भरपूर गुंजाइश छोड़ रहे हैं कि उन पर सवाल उठा सकें। आमिर इस वक़्त हिन्दुस्तानियों, ख़ासकर युवाओं को अपने ‘परफेक्ट अन्दाज़’ में सपना बेच रहे हैं। क्रिकेट के खेल में ‘सपनों की टीम’ बनाकर मोटे पैसे कमाने का सपना। यह सपना या खेल क्या है? शुद्ध जुआ, जिसकी लत लगती है। इसमें आर्थिक जोख़िम भी भरपूर है। यह बात विज्ञापन करने वाली कम्पनी ख़ुद विज्ञापनों में वैधानिक चेतावनी के तौर पर बताती भी है। आमिर यह सब जानते हैं। इसके बाद भी ‘प्लेन घुमाए जा रहे’ हैं।
हालाँकि इधर सवाल हो सकता है कि यह ‘सपनों की टीम बनाकर पैसे बनाने का सपना बेचने का काम’ तो दूसरे लोग भी कर रहे हैं। हिन्दी फिल्म उद्योग के अन्य अभिनेता, क्रिकेट खेलने वाले बड़े-छोटे खिलाड़ी सब हैं। तो फिर ‘आमिर’ का ख़ास ज़िक्र क्यों? सही सवाल है। इसका ज़वाब भी है। इस तरह के विज्ञापन करने वाले खिलाड़ियों, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों, आदि में से लगभग सभी शुद्ध पेशेवर हैं। पैसों के लिए कीचड़-कीचड़ खेलना पड़े या उसमें उतरना पड़े तो उन्हें संकोच नहीं होता। पीछे ऐसी अनेक कहानियाँ भरी पड़ी हैं, जब पैसों के लिए तमाम अभिनेता-अभिनेत्री नग्नता का आलिंगन करते हुए देखे गए। इसी तरह कई क्रिकेट खिलाड़ी पैसों के लिए फिक्सिंग करते, अपने खेल और अपने देश से धोख़ाधड़ी करते पकड़े गए। तो ऐसे लोगों के बारे में क्या बात करनी?
लेकिन आमिर खान का मामला अलग है। उन्होंने जब-तब अपने सामाजिक सरोकार ज़ाहिर किए हैं। जैसे- साल 2016 में आमिर ने ‘पानी फाउण्डेशन’ की स्थापना की। यह गैरसरकारी संगठन देश के ख़ास ग्रामीण क्षेत्रों में जल-प्रबन्धन, जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करता है। इसी तरह साल 2012 में आमिर खान ‘सत्यमेव जयते’ नाम के कार्यक्रम में भी सक्रिय भागीदारी करते दिखे थे। दूरदर्शन और एक निजी टीवी चैनल पर प्रसारित इस कार्यक्रम में दहेज, यौन शोषण, चिकित्सा अनाचार, शराब, छुआछूत, पारिवारिक-सामाजिक सम्मान के लिए हत्या, जैसी समाज में व्याप्त बुराइयों को गम्भीरता से उठाया गया। इस कार्यक्रम के लिए जैसा कि आमिर ने ही बताया था कि वह ‘मामूली फीस’ लेते थे। यद्यपि उनकी ‘मामूली फीस’ भी तीन-चार करोड़ रुपए प्रति एपिसोड थी। इसीलिए उन पर सवाल बनता है कि आठ करोड़ रुपए की फीस लेकर ‘सपनों की टीम’ बनाने का जो ‘सपना’ वह बेच रहे हैं और लोगों को जुआ खेलने के लिए उकसा रहे हैं, उससे कौन सा सामाजिक सरोकार जुड़ा हुआ है भला?
इस मसले में यह तो हुई एक बात। इसके बाद दूसरी सवालिया बात हमारे-आपके लिए कि चलिए मान लें कि आमिर भी ग़ैरज़िम्मेदार बिरादरी के सदस्य निकले आख़िर, तो फिर हम तो सोचें कि हमारी-‘आपकी टीम में कौन’, क्रिकेटर का ‘वैभव’, या जुए से पैसा बनाने का सपना बेच रहे ‘आमिर’? इसका ज़वाब सोचना होगा। सोचकर कोई एक विकल्प भी चुनना होगा। और इस चुनाव से पहले जो शुरू में कहा, वह भी याद रखना होगा। जो विकल्प हम-आप चुनेंगे, उसके परिणाम दूरगामी होंगे। हमारी आने वाली कई पीढ़ियों तक असर होगा उनका।