क्या लद्दाख के मोर्चे पर तैनात चीन की सेना में पाकिस्तानी सैनिक भी हैं?

टीम डायरी, 5/10/2020

क्या लद्दाख के मोर्चे पर महीनों से भारत के लिए चुनौती बनकर खड़ी चीन की सेना में पाकिस्तान के सैनिक भी शामिल हैं? यह सवाल चीन के पत्रकार शेन शेवी के एक वीडियो के कारण पैदा हुआ है। लगभग 52 सेकेंड का यह वीडियो शेवी ने ट्विटर पर साझा किया है। इस वीडियो का ख़ुलासा पहली बार ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) चैनल ने किया।

शेन शेवी ने वीडियो साझा करते हुए यह नहीं बताया है कि ये किस जगह का है। अंग्रेजी में सिर्फ़ इतना लिखा है, “Here, we met with Chinese #PLA warriors along #China #India LAC. Maybe some of them were standing at the #GalwanValley.” मतलब, “ये हमारी पीएलए (Peoples Liberation Army, चीन की सेना का पूरा नाम) के लड़ाके हैं। भारत-चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के नज़दीक ही कहीं। हो सकता है, इनमें से कुछ गलवाँ घाटी की झड़प में भी शामिल रहे हों!” याद दिला दें कि चीन और भारत के सैनिकों में लद्दाख क्षेत्र की गलवाँ घाटी में बीती 15 जून को खूनी झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के सैनिक भी मारे गए। लेकिन चीन ने उस संख्या का ख़ुलासा नहीं किया। 

बहरहाल, गलवाँ की याद दिलाते हुए शेन शेवी ने जो वीडियो साझा किया है, उसमें चीन के सैनिक राष्ट्रभक्ति से जुड़ा काेई गीत गा रहे हैं। लेकिन उनके बीच दाढ़ी वाला एक सैनिक भी है, जिसका चेहरा चीनी सैनिकों के चेहरे से बिल्कुल मेल नहीं खाता। उसी के आधार पर मीडिया और सामाजिक माध्यमों (Social Media) पर अटकलबाज़ियों का ये दौर शुरू हुआ है कि सम्भव है, चीन की सेना में पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल हों। चूँकि चीन और पाकिस्तान के बीच नज़दीकी सामरिक, राजनयिक, आर्थिक और व्यावसायिक सम्बन्ध हैं। कश्मीर घाटी और लद्दाख में दोनों देशों के रणनीतिक हित एक जैसे हैं। साथ ही दोनों भारत को अपने लिए गम्भीर ख़तरा मानते हैं। इसीलिए इन अटकलों को पूरी तरह ख़ारिज़ भी नहीं किया जा सकता।

लेकिन अगर ये अटकलबाज़ी सही है तो इससे ‘रोचक-सोचक’ सा एक सवाल भी जरूर उठता है कि क्या चीन की सेना वाकई अपने-आप को पहाड़ी मोर्चे की लड़ाई में कमज़ोर महसूस कर रही है? जैसा कि सामरिक विशेषज्ञ दावा भी करते हैं। इसीलिए वह पाकिस्तानी सैनिकों की मदद ले रही है, जो भारतीय जवानों से कई बार पहाड़ों पर भिड़ चुके हैं? भले ही अधिकांश बार मुँह की खाकर ही वापस क्यों न लौटे हों?

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