टीम डायरी
इस मार्च महीने की तीन तारीख़ को दुनियाभर में ‘वर्ल्ड हियरिंग डे’ मनाया गया। मतलब ‘विश्व श्रवण दिवसˆ। इस मौके पर सबसे अहम जानकारी सामने आई, ‘इयर फोन’ और ‘इयर बड्स’ से सम्बन्धित, जिसे हम में से तमाम लोग अपने कान में घंटों तक ठूँसकर घूमते रहते हैं। नई उम्र के लड़के-लड़कियाँ तो 24 घंटों में से शायद 8-10 घंटे तक या इससे भी ज़्यादा अपने कानों में ये ‘इयर-फोन’, ‘इयर-बड्स’ लगाए रहते हैं।
इन लोगों से पूछो तो ये ‘इयर-फोन’ लगाने के सैकड़ों फ़ायदे गिना देते हैं। मसलन- फोन पर बात करने, संगीत या कोई कहानी-उपन्यास आदि सुनने के लिए हाथ से फोन पकड़ने की ज़रूरत नहीं रहती। हाथ ख़ाली होते हैं, तो गाड़ी चलाने या अन्य काम आसानी से हो जाते हैं, फोन पर अपने मतलब की चीज़ें सुनते हुए भी। बाहर के शोर से भी कोई व्यवधान नहीं होता। पढ़ने-लिखने में भी एकाग्रता बन जाती है, वग़ैरा, वग़ैरा।
लेकिन सोचने की बात है कि इयर-फोन, इयर-बड्स आदि के फ़ायदे गिनाने वालों में से किसी को भी उसके नुक़सान का अंदाज़ा है क्या? जबकि जानना चाहिए और जान भी लीजिए। अमेरिका सरकार के स्वास्थ्य विभाग के तहत एक संस्था है, ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन’। उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर 22 जनवरी 2021 को एक अध्ययन प्रकाशित किया गया। उसमें बताया गया कि रोज जो लोग 80 मिनट (यानि डेढ़ घंटे से भी कम) इयर-फोन का इस्तेमाल करते हैं, वे बहुत जल्द 22.6% तक बहरे हो सकते हैं। यही नहीं, जो लोग 80 मिनट से अधिक समय तक रोज़ इयर-फोन का उपयोग करते हैं, उनके बहरे होने का ख़तरा इससे भी चार-पाँच गुणा तक बढ़ जाता है। और ग़ौर कीजिए। ये आँकड़ा तीन-चार साल पुराना है, जो अब निश्चित ही बढ़ चुका होगा।
अब ज़रा विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों पर ध्यान दीजिए। इनके मुताबिक, दुनियाभर में अभी लगभग 116 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में ‘कम सुनाई देने की समस्या’ के शिकार हैं। इनमें लगभग 16-17 करोड़ लोग तो ‘बहरेपन’ के शिकार वाली श्रेणी में शामिल हैं। भारत में ऐसे क़रीब साढ़े छह करोड़ लोगों के होने का अनुमान है। और कम सुनाई देने की समस्या का अभी बड़ा कारण है, ‘इयर-फोन’ का अधिक उपयोग।
तो भाई, इसे छोड़िए न। छोड़ने के रास्ते भी हैं। वह भी एक नहीं, चार-पाँच। तकनीक का ज़माना है और तकनीकी जानकार ही इन रास्तों के बारे में बताते हैँ।
पहला – इयर-फोन या इयर-बड्स लगाइए ही मत। हैडफोन लगा लीजिए।
दूसरा – इयर-फोन लगाए बिना रहा नहीं जाता, तो उसका वॉल्यूम कम रखिए। जितना कम हो सके।
तीसरा – कम वॉल्यूम में अगर बाहरी शोर सुनाई देता है, तो नई तकनीक से लैस ‘इयर-फोन’ ख़रीद लीजिए। उनमें बाहरी शोर को कम करने की सुविधा (नॉइज़ कैंसलिंग फीचर) होती है।
चौथा – वॉल्यूम की अधिकमत स्वीकार्य सीमा (60% से ऊपर नहीं) निश्चित दीजिए। यह सुविधा भी होती है। इससे वॉल्यूम उस सीमा से अधिक बढ़ ही नहीं पाएगा।
पाँचवाँ – इयर-फाेन लगाया हो, इयर-बड्स या हैडफोन। हर 60 मिनट में एक बार उससे कुछ देर छुट्टी लेते रहिए।
कान सलामत रखिए, और ‘कानसेन’ बनिए।