बुद्ध बताते हैं, दु:ख से छुटकारा पाने का सही मार्ग क्या है

अनुज राज पाठक, दिल्ली से, 6/7/2021

एक दिन बुद्ध प्रवचन देने के लिए अपने शिष्यों की सभा में पहुँचे। सभी शिष्य यह देख आश्चर्यचकित रह गए कि बुद्ध अपने साथ एक कपड़े का टुकड़ा लेकर आए हैं। जबकि वे हमेशा खाली हाथ आते थे। थोड़ी देर बुद्ध बिना बोले बैठे रहे और चुपचाप उस कपड़े के टुकड़े में गाँठें लगाते रहे। पाँच-छह गाँठें लगाने के बाद शिष्यों से पूछते हैं, “क्या यह कपड़े का वही टुकड़ा है जो गाँठें लगने के पहले था?” 

एक विद्वान शिष्य ने कहा, “एक तरह से देखें तो यह वही रुमाल है क्योंकि इसके मूल तत्त्व में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। दूसरी दृष्टि से देखें तो अब चूँकि इसमें पाँच गाठें हैं तो यह पहले जैसा नहीं रहा। इसलिए मूल प्रकृति तो नहीं बदली, हाँ इसका बाहरी रूप जरूर बदल गया है। इसके पदार्थ और मात्रा में कोई बदलाव नहीं हुआ है तो इसे पहले जैसा भी मान सकते हैं। गाँठों के कारण अलग भी मान सकते हैं।”

बुद्ध ने कहा ठीक है। अब मैं इन गाँठों को खोल देता हूँ। यह कहकर बुद्ध टुकड़े के दोनों सिरों को विपरीत दिशा में खींचने लगे। यह देख शिष्य बोला, “तथागत, यह क्या कर रहे हैं? इससे तो ये गाँठें और कस जाएँगी। हो सकता है, फिर खुलें भी नहीं।”  तो बुद्ध पूछते हैं, “फिर मुझे क्या करना चाहिए?”  उत्तर में शिष्य बहुत महत्त्वपूर्ण बात कहता है कि सबसे पहले यह देखना होगा कि ये गाँठें लगीं कैसे। यह पता चलते ही इन्हें खोलना आसान हो जाएगा। 

अब बुद्ध बोले, “जो तुमने कहा, वही सत्य है। यही बात मैं बताना चाह रहा था कि जिस समस्या में पड़े हो उससे निकलने का यही रास्ता है कि पहले यह देखा जाए कि उसमें पड़े कैसे? इसका ज्ञान होते ही समस्या का निदान मिल जाएगा। वह खत्म हो जाएगी। दुःख में कैसे पड़े, यह पता चल गया तो उससे निकलने का मार्ग मिल गया, समझो। यह सही ज्ञान ही दुःख दूर करने का मार्ग है।”

बुद्ध अपने अन्तिम और चौथे आर्यसत्य के रूप में “दुःख निरोध गामिनी प्रतिपद” या दुःख निरोध मार्ग बताते हैं। इसे अष्टांगिक मार्ग भी कहते हैं। यह अष्टांगिक मार्ग क्यों है? क्योंकि इसमें आठ अंग हैं। यह तीन भागों में बँटा है। ये तीन भाग हैं – 1) ज्ञान 2) शील 3) समाधि। 

 सम्यक ज्ञान समस्याओं, दुखों को स्वत: दूर कर देता है। सम्यक ज्ञान है क्या इसे आगे देखेंगे…
———-
(अनुज, मूल रूप से बरेली, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। दिल्ली में रहते हैं और अध्यापन कार्य से जुड़े हैं। वे #अपनीडिजिटलडायरी के संस्थापक सदस्यों में से हैं। यह लेख, उनकी ‘भारतीय दर्शन’ श्रृंखला की 18वीं कड़ी है।)
——— 
अनुज राज की ‘भारतीय दर्शन’ श्रृंखला की पिछली कड़ियां ये रहीं….

17वीं कड़ी : बुद्ध त्याग का तीसरे आर्य-सत्य के रूप में परिचय क्यों कराते हैं?

16वीं कड़ी : प्रश्न है, सदियाँ बीत जाने के बाद भी बुद्ध एक ही क्यों हुए भला?

15वीं कड़ी : धर्म-पालन की तृष्णा भी कैसे दु:ख का कारण बन सकती है?

14वीं कड़ी : “अपने प्रकाशक खुद बनो”, बुद्ध के इस कथन का अर्थ क्या है?

13वीं कड़ी : बुद्ध की दृष्टि में दु:ख क्या है और आर्यसत्य कौन से हैं?

12वीं कड़ी : वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध का पुनर्जन्म और धर्मचक्रप्रवर्तन

11वीं कड़ी : सिद्धार्थ के बुद्ध हो जाने की यात्रा की भूमिका कैसे तैयार हुई?

10वीं कड़ी :विवादित होने पर भी चार्वाक दर्शन लोकप्रिय क्यों रहा है?

नौवीं कड़ी : दर्शन हमें परिवर्तन की राह दिखाता है, विश्वरथ से विश्वामित्र हो जाने की!

आठवीं कड़ी : यह वैश्विक महामारी कोरोना हमें किस ‘दर्शन’ से साक्षात् करा रही है? 

सातवीं कड़ी : ज्ञान हमें दुःख से, भय से मुक्ति दिलाता है, जानें कैसे?

छठी कड़ी : स्वयं को जानना है तो वेद को जानें, वे समस्त ज्ञान का स्रोत है

पांचवीं कड़ी : आचार्य चार्वाक के मत का दूसरा नाम ‘लोकायत’ क्यों पड़ा?

चौथी कड़ी : चार्वाक हमें भूत-भविष्य के बोझ से मुक्त करना चाहते हैं, पर क्या हम हो पाए हैं?

तीसरी कड़ी : ‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!

दूसरी कड़ी : परम् ब्रह्म को जानने, प्राप्त करने का क्रम कैसे शुरू हुआ होगा?

पहली कड़ी :भारतीय दर्शन की उत्पत्ति कैसे हुई होगी?

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

गाँव की दूसरी चिठ्ठी : रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ…!!

मेरे प्यारे बाशिन्दे, मैं तुम्हें यह पत्र लिखते हुए थोड़ा सा भी खुश नहीं हो… Read More

14 hours ago

ट्रम्प की दोस्ती का अनुभव क्या मोदीजी को नई सोच की ओर प्रेरित करेगा?

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ चलाए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो… Read More

2 days ago

ईमानदारी से व्यापार नहीं किया जा सकता, इस बात में कितनी सच्चाई है?

अगर आप ईमानदार हैं, तो आप कुछ बेच नहीं सकते। क़रीब 20 साल पहले जब मैं… Read More

3 days ago

जो हम हैं, वही बने रहें, उसे ही पसन्द करने लगें… दुनिया के फ़रेब से ख़ुद बाहर आ जाएँगे!

कल रात मोबाइल स्क्रॉल करते हुए मुझे Garden Spells का एक वाक्यांश मिला, you are… Read More

3 days ago

‘एशेज़ क्रिकेट श्रृंखला’ और ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की कहानियाँ बड़े दिलचस्प तौर से जुड़ी हैं!

यह 1970 के दशक की बात है। इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई… Read More

4 days ago

‘ग़ैरमुस्लिमों के लिए अन्यायपूर्ण वक़्फ़’ में कानूनी संशोधन कितना सुधार लाएगा?

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव उतार पर है। इसके बाद आशंका है कि वक़्फ़ संशोधन अधिनियम… Read More

5 days ago