रिकॉर्डबनाऊ कार्यक्रमों से न पेड़ बचेंगे, न जंगल, इन्हें बचाना इन ग्रामीणों से सीखें!

टीम डायरी

पूरे देश में इन दिनों ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम चल रहा है। अच्छा है, ऐसे कार्यक्रम चलने चाहिए। लेकिन इसमें परेशानी बस एक है कि यह कार्यक्रम सरकारी है। और दूसरी परेशानी ये कि मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों की सरकारों ने इस कार्यक्रम के साथ रिकॉर्डबनाऊ अभियान भी छेड़ दिया है। मतलब कौन कितनी अधिक संख्या में पौधे लगाता है, इसका रिकॉर्ड बनाना। इससे पौधे लग तो रहे हैं, लेकिन भविष्य में वे पेड़ बन ही जाएँगे, इसकी गारंटी नहीं। और अगर बन भी गए तो उन्हें कोई काटेगा नहीं, इसकी गारंटी तो बिल्कुल भी नहीं। 

इसका एक प्रमाण मध्य प्रदेश से ही देखा जा सकता है। साल 2017 की बात है। मध्य प्रदेश में उस वक़्त शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे, जो अब केन्द्र में कृषि मंत्री बन चुके हैं। उनकी सरकार ने तब जुलाई के महीने में 12 घंटे के भीतर नर्मदा नदी के किनारे छह करोड़ पौधे लगाने का कार्यक्रम बनाया। आयोजन हुआ और बताया गया कि इतनी ही अवधि में 6.6 करोड़ पौधे लगा दिए गए हैं। इस तरह विश्व रिकॉर्डों की गिनीज़ बुक में मध्य प्रदेश का नाम दर्ज़ हुआ है। उसने उत्तर प्रदेश का रिकॉर्ड तोड़ा, जहाँ 2016 में 24 घंटे में पाँच करोड़ पौधे लगे थे। 

लेकिन इसके अगले साल जब मध्य प्रदेश में काग्रेस की सरकार बनी तो पता चला कि उस रिकॉर्डबनाऊ अभियान में करोड़ों की बात तो दूर लाख पौधे भी नहीं लगे। और जो लगे उनमें से महज़ 15 प्रतिशत पौधे ही जीवित बचे। हालाँकि इसके बावज़ूद इस तरह के कार्यक्रम अन्य राज्यों में भी पुरज़ोर तरीक़े से चलाए जा रहे हैं। मसलन- असम की हिमन्त बिस्वसरमा सरकार ने 2023 में पौधारोपण के एक नहीं नौ विश्व रिकॉर्ड बना डाले थे। मगर वहाँ भी सवाल वही है और अनुत्तरित भी कि रिकॉर्डबनाऊ अभियानों में लगाए पौधों में से बचे कितने?  

हालाँकि इस सवाल का ज़वाब सरकारों की ओर से शायद ही कभी मिले। क्योंकि इसका ज़वाब या इस बारे में चिन्ता भी करना उनकी प्राथमिकता सूची में नहीं होगा। उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में होता है लोकप्रियता, जिसके लिए वे ऐसी परियोजनाएँ चलाने के क़तई हिचकिचाती नहीं, जिनमें लाखों-लाख पेड़ों की बलि हर साल दे दी जाती है। तो फिर क्या करें कि पेड़ और जंगल बचे रहे हैं क्योंकि उनका रहना तो बेहद ज़रूरी है?

इसका ज़वाब ग्रामीण क्षेत्रों से आई तीन सच्ची कहानियों में देख सकते हैं। पहली- छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक जगह है, पीसेगाँव। वहाँ के लोग अपने किसी नाते-रिश्तेदार के गुज़रने के बाद उसकी याद में एक पौधा रोपते हैं। उस पौधे को उसी परिजन का नाम दे देते हैं। और फिर यह मानकर की उनका वह स्वर्गवासी प्रियजन इस पेड़ के रूप में उनके साथ है, पूरी ज़िन्दगी उसकी देखभाल करते हैं। उससे नाता निभाते हैं। बताते हैं कि गाँव में साल 2011 से यह परम्परा शुरू हुई और अब तक 1,000 से ज़्यादा ‘नातेदार पेड़’ वहाँ झूमने लगे हैं। 

दूसरी कहानी राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के ऊँखलिया गाँव की। यहाँ परम्परा है कि कोई भी व्यक्ति अपने घर का निर्माण शुरू करने से पहले अपनी उस ज़मीन पर नीम का पेड़ लगाता है। गाँववाले बताते हैं कि देश की आज़ादी के समय यह सिलसिला शुरू हुआ, जो आगे भी चलते रहने वाला है। बताया जाता है कि इस सिलसिले के शुरू होने से पहले गाँव के आस-पास का पूरा इलाक़ा तपती रेत से ढँका हुआ था। लेकिन अब यहाँ 1,500 से ज़्यादा नीम के पेड़ लगे हुए हैं। पूरा गाँव हरा-भरा है। हर घर में कम से कम एक-दो नीम के पेड़ तो हैं ही। 

तीसरी कहानी हिमाचल की। वहाँ स्थानीय देवी-देवताओं की बड़ी एहमियत है। इनका वहाँ लिहाज़ है और सम्मान भी। लिहाज़ा वहाँ के लोगों ने कई-कई बीघा में फैले सैकड़ों बाग़-बाग़ीचों का मालिक़ाना इन देवी-देवताओं के नाम कर दिया है। इसका मक़सद? देवताओं के लिहाज़ से हो या उनके सम्मान के कारण, कोई इन बाग़-बाग़ीचों का नुक़सान न करे। और यह मक़सद सालों-साल से बाख़ूबी हासिल भी किया गया है। 

यानि इन सभी मिसालों और कहानियों का मिला-जुला सबक क्या? रिकॉर्ड बनाना ही है, तो पौधे लगाने से अधिक पेड़ों को बचाने का बनाएँ। तभी जंगल बचेंगे, हम और हमारी धरती भी!

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Neelesh Dwivedi

Share
Published by
Neelesh Dwivedi

Recent Posts

“संविधान से पहले शरीयत”…,वक़्फ़ कानून के ख़िलाफ़ जारी फ़साद-प्रदर्शनों का मूल कारण!!

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भारी हिंसा हो गई। संसद से 4 अप्रैल को वक्फ… Read More

10 hours ago

भारतीय रेल -‘राष्ट्र की जीवनरेखा’, इस पर चूहे-तिलचट्‌टे दौड़ते हैं…फ्रांसीसी युवा का अनुभव!

भारतीय रेल का नारा है, ‘राष्ट्र की जीवन रेखा’। लेकिन इस जीवन रेखा पर अक्सर… Read More

1 day ago

हनुमान जयन्ती या जन्मोत्सव? आख़िर सही क्या है?

आज चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार, 12 अप्रैल को श्रीरामभक्त हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया गया। इस… Read More

3 days ago

चन्द ‘लापरवाह लोग’ + करोड़ों ‘बेपरवाह लोग’’ = विनाश!

चन्द ‘लापरवाह लोग’ + करोड़ों ‘बेपरवाह लोग’’ = विनाश! जी हाँ, दुनियाभर में हर तरह… Read More

4 days ago

भगवान महावीर के ‘अपरिग्रह’ सिद्धान्त ने मुझे हमेशा राह दिखाई, सबको दिखा सकता है

आज, 10 अप्रैल को भगवान महावीर की जयन्ती मनाई गई। उनके सिद्धान्तों में से एक… Read More

5 days ago

बेटी के नाम आठवीं पाती : तुम्हें जीवन की पाठशाला का पहला कदम मुबारक हो बिटवा

प्रिय मुनिया मेरी जान, मैं तुम्हें यह पत्र तब लिख रहा हूँ, जब तुमने पहली… Read More

6 days ago