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चुनिन्दा पन्ने
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कुमार गन्धर्व : जिनके गाए ‘निर्गुण’ से गुण-अवगुण परिभाषित कर पाता हूँ!
4 years ago
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‘मत कर तू अभिमान’ सिर्फ गाने से या कहने से नहीं चलेगा!
4 years ago
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पंडित रविशंकर, एक प्रेरक शख़्सियत, जिसने ‘ज़िन्दगी’ को थामा तो उसके मायने बदल दिए
4 years ago
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क्या हम प्रतिभाओं को परखने में गलती करते हैं?
4 years ago
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हिन्दी में लिखना ही तुम्हारी शरण अर्हता का प्रमाण है!
4 years ago
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‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!
4 years ago
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जब कोई विमान अपने ताकतवर पंखों से चीरता हुआ इसके भीतर पहुँच जाता है तो…
4 years ago
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सही है, भारतीय संस्कृति तभी विकसित हो सकी, जब जीवन व्यवस्थित था!
4 years ago
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किसी ने पूछा कि पेड़ का रंग कैसा हो, तो मैंने बहुत सोचकर देर से ज़वाब दिया – नीला!
4 years ago
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क्यों आज हमें एक समतामूलक समाज की बड़ी ज़रूरत है?
4 years ago
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