कोंकण के कुडाल में खवास खान डेरा डाले बैठा था। वह बाजी घोरपड़े का इंतजार कर रहा था। इतने में दलबल सहित महाराज ही वहाँ…
View More शिवाजी महाराज : जब शिवाजी ने अपनी आऊसाहब को स्वर्ण से तौल दियाCategory: चुनिन्दा पन्ने
‘गौवंश आधारित जीवन शैली और अर्थव्यवस्था’ पर ऑनलाइन संगोष्ठी 26 मार्च को
हम ‘गौवंश आधारित जीवन शैली और अर्थव्यवस्था’ की संकल्पना किस तरह कर सकते हैं? इसकी अहमियत को कैसे समझ सकते हैं? इस बात को विशेषज्ञों…
View More ‘गौवंश आधारित जीवन शैली और अर्थव्यवस्था’ पर ऑनलाइन संगोष्ठी 26 मार्च कोशिवाजी महाराज : जब शाइस्ता खान की उँगलियाँ कटीं, पर जान बची और लाखों पाए
महाराज ने प्रतापगढ़ पर भवानीदेवी की प्राण-प्रतिष्ठा की (जुलाई 1661)। इधर, बरसात का मौसम होने से पहले ही मुगलों ने देहरीगढ़ को घेर लिया। लेकिन…
View More शिवाजी महाराज : जब शाइस्ता खान की उँगलियाँ कटीं, पर जान बची और लाखों पाएशिवाजी महाराज : “उखाड़ दो टाल इनके और बन्द करो इन्हें किले में!”
कारतलब खान से उगाही के तौर पर महाराज ने बहुत बड़ी रकम वसूल ली। सुरक्षा के लिए नेताजी को वहीं पर छोड़ तान्हाजी, पिलाजी आदि…
View More शिवाजी महाराज : “उखाड़ दो टाल इनके और बन्द करो इन्हें किले में!”दुर्रानी व सामवेद का उर्दू अनुवाद: वेद किसी की धरोहर नहीं, वे मानव के लिए ईश्वरीय वाणी हैं
झारखंड के रहने वाले एक मशहूर फिल्मकार हैं इक़बाल दुर्रानी। उन्होंने कुछ समय पहले ‘सामवेद’ का उर्दू में अनुवाद किया था। लेकिन इतना वक़्त बीत…
View More दुर्रानी व सामवेद का उर्दू अनुवाद: वेद किसी की धरोहर नहीं, वे मानव के लिए ईश्वरीय वाणी हैंशिवाजी ‘महाराज’ : एक ‘इस्लामाबाद’ महाराष्ट्र में भी, जानते हैं कहाँ?
जौहर ने महाराज को पूरे चार महीने पन्हाला में बन्द रखा था। लेकिन अब उनके अचानक भाग निकलने से उसके दुःख का पार नहीं रहा।…
View More शिवाजी ‘महाराज’ : एक ‘इस्लामाबाद’ महाराष्ट्र में भी, जानते हैं कहाँ?शिवाजी महाराज : अपने बलिदान से एक दर्रे को पावन कर गए बाजीप्रभु देशपांडे
कल-कल बहती आषाढ़ की धाराओं के साथ मावलों का खून बह रहा था। एक हो रहा था। उधर, बीच राह की कासारी नदी और नाले-पनाले…
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जासूस छिपकली के पैरों से टोह ले रहे थे। झाड़-झंखाड़ और नालों-पनालों से भरे लम्बे-चौड़े विस्तार में एक जगह पर उनकी नजर रुक गई। वहाँ…
View More शिवाजी महाराज :.. और सिद्दी जौहर का घेरा तोड़ शिवाजी विशालगढ़ की तरफ निकल भागेसड़कों पर इतना शोर, इतनी बदहवासी? आखिर क्यों?
कभी सड़क के किनारे खड़े होकर दो मिनट के लिए अपने फोन की ऑडियो रिकार्डिंग ऑन कर दीजिए। फिर घर पहुँचकर, हाथ-मुँह धोकर, कुछ खा-पीकर…
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“पन्हालगढ़ स्वराज्य में आ गया। पन्हाला जैसा प्रचंड और बलाढ्य गढ़ मिलने से स्वराज्य की ताकत बढ़ गई। पन्हाला से सटकर एक और छोटा सा…
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