Pyre

एकांत कीअकुलाहट : ऐसा न हो कहीं कि मेरी वजह से…

कल अचानक वह शख़्स चल बसा, जो हाड़तोड़ मजदूरी करता था। एक जगह सुबह खाते-बही लिखता। फिर दिन भर किसी बन्द पड़ी फेक्ट्री में किसी…

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mrachkatikam-18

मृच्छकटिकम्-18 : सत्य कहिए, सत्य बोलने से सुख प्राप्त होता है

चारुदत्त न्यायाधीश से विदूषक को अपने निर्दोष होने की गवाही के लिए बुलाने का अनुरोध करता है। इसके बाद विदूषक के आने की प्रतीक्षा करते…

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Mistake

देखिए और गौर कीजिए, कैसे लोग आपकी ख़ामियाँ ढूँढ़ने में तेजी दिखाते हैं लेकिन…

बहुत छोटा सा वीडियो है। महज़ ढाई मिनट का। लेकिन इसमें सन्देश बहुत बड़ा है। ऐसा जो कोई साल-दो साल नहीं ज़िन्दगीभर टिके रहने, काम…

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Health

स्वास्थ्य सेवाओं के मामले हमारा देश सच में, अमेरिका से बेहतर ही है

इसी साल के मई महीने की बात है। मुझे मेरी बेटी की ग्रेजुएशन सेरेमनी के लिए न्यू यॉर्क जाना था। यात्रा से 24 घंटे पहले…

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मृच्छकटिकम्-17 : विपत्ति के समय मनुष्य पर छोटे-छोटे दोष से भी बड़े अनिष्ट हो जाते हैं

वसंतसेना को मृत समझकर शकार उसे उद्यान में छोड़कर चला आता है। वह सोचता है कि वसंतसेना की हत्या के अपराध का दोष क्यों न…

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Gratitude

कृतज्ञता हमें वास्तव में मानवीय बना देती है

पिता जी के जब पैर छूता हूँ, तो वे कहते हैं ‘खुश रहो’। वैसे कभी नहीं पूछा कि ‘आप ‘खुश रहो’ क्यों कहते हो? ‘आयुष्मान…

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मृच्छकटिकम्-16 : प्रेम में प्रतीक्षा दुष्कर है…

वसंतसेना बदली हुई गाड़ी से उद्यान की तरफ जा रही होती है। वसंतसेना की प्रतीक्षा में अधीर चारुदत्त बार-बार विदूषक से मार्ग देखने का अनुरोध…

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mrachkatikam-15

मृच्छकटिकम्-15 : जो शरणागत का परित्याग करता है, उसका विजयलक्ष्मी परित्याग कर देती है

चारुदत्त के साथ स्नेहिल मिलन से वसंतसेना अत्यधिक प्रसन्न है। दोनों रात्रि में साथ विश्राम करते हैं। सुबह जब वसंतसेना जगती है, तब तक चारुदत्त…

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प्रकृति मतान्धता का भार ही भारी मन से उठा रही है

आजकल यदि किसी प्रकार कोई परंपरा में निष्ठावान् व्यक्ति हम जैसे ज्ञानलवदुर्विदग्ध के सम्मुखी हो जाए तो क्या मज़ाल कि हम उस व्यक्ति को सुनेंगे।…

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मृच्छकटिकम्-14 : इस संसार में धनरहित मनुष्य का जीवन व्यर्थ है

वसंतसेना अपने सेवक के साथ चारुदत्त के घर जाने के लिए निकलती है। बादल आकाशीय बिजली की चमक और तेज बारिश के साथ बरस रहे…

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