पूरा जीवन राय बनाने में, विचारों को संश्लित करने में, सघन अनुभूतियों की जमीन को उर्वरा बनाने में ही निकलता नज़र आ रहा है। यह…
View More ‘मत कर तू अभिमान’ सिर्फ गाने से या कहने से नहीं चलेगा!Category: चुनिन्दा पन्ने
पंडित रविशंकर, एक प्रेरक शख़्सियत, जिसने ‘ज़िन्दगी’ को थामा तो उसके मायने बदल दिए
पंडित रविशंकर आज 101 साल के हो गए। ऐसा इसलिए कहना ठीक है, क्योंकि उनके जैसे लोगों की सिर्फ़ देह ही दुनिया छोड़ती है। शख़्सियत…
View More पंडित रविशंकर, एक प्रेरक शख़्सियत, जिसने ‘ज़िन्दगी’ को थामा तो उसके मायने बदल दिएक्या हम प्रतिभाओं को परखने में गलती करते हैं?
क्या हम प्रतिभाओं को परखने में, उनका आकलन करने में गलती करते हैं? मेरे दिमाग में यह सवाल अक्सर ही आता है। बीते दो-ढाई दशक…
View More क्या हम प्रतिभाओं को परखने में गलती करते हैं?हिन्दी में लिखना ही तुम्हारी शरण अर्हता का प्रमाण है!
हिन्दी के लेखक लोग #NoToFree चला रहे हैं, माने मुफ़्त में कुछ नहीं। इसके विरोध में मेरा #YesToFree है। मैं सभी तरह के कार्यक्रमों, मंचों,…
View More हिन्दी में लिखना ही तुम्हारी शरण अर्हता का प्रमाण है!‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!
बुद्ध दर्शन। ये परवर्ती दर्शन है। लेकिन बुद्ध दर्शन परम्परा का आदि दर्शन है, ‘चार्वाक दर्शन’। सवाल हो सकता है कि यह बौद्ध परम्परा का…
View More ‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!जब कोई विमान अपने ताकतवर पंखों से चीरता हुआ इसके भीतर पहुँच जाता है तो…
हम सब अपने एकांत में बेहद क्रूर और दुराचारी होते हैं। भीड़ में बेहद डरपोक और शिष्ट। याद आता है कि कैसे एक शान्त नदी अपने…
View More जब कोई विमान अपने ताकतवर पंखों से चीरता हुआ इसके भीतर पहुँच जाता है तो…सही है, भारतीय संस्कृति तभी विकसित हो सकी, जब जीवन व्यवस्थित था!
#अपनीडिजिटलडायरी पर भारतीय दर्शन श्रृंखला का पहला लेख पढ़ा। शुरुआत बहुत अच्छी है। मेरी भी यही मान्यता है कि भारतीय संस्कृति अपने उदातग स्वरूप में, समृद्ध…
View More सही है, भारतीय संस्कृति तभी विकसित हो सकी, जब जीवन व्यवस्थित था!किसी ने पूछा कि पेड़ का रंग कैसा हो, तो मैंने बहुत सोचकर देर से ज़वाब दिया – नीला!
एक दीवार है, जो गाढ़ी नीली रँगी है। जब कमरा बना था, तो इस पिछली दीवार को गाढ़ा नीला रंग लगाया था। ठीक पिछले पड़ोसी की दीवार से लगकर इसे कंक्रीट की छत पर उठाया था, जो अब इस कमरे की ज़मीन बन गई…
View More किसी ने पूछा कि पेड़ का रंग कैसा हो, तो मैंने बहुत सोचकर देर से ज़वाब दिया – नीला!क्यों आज हमें एक समतामूलक समाज की बड़ी ज़रूरत है?
जिस विषय में बहुत लिखा गया हो, उसके बारे में लिखना कठिन होता है। जिस सम्बन्ध में सबको खूब ज्ञान हो, उस बारे कुछ समझाना…
View More क्यों आज हमें एक समतामूलक समाज की बड़ी ज़रूरत है?कोई दिवस – महिला दिवस नहीं – हर दिन तुम्हारा है…
सुबह उठो, अपने आपको च्यूँटी काटो जागो, अपने उन दो पाँवों को निहारो जो आगे बढ़ते हैं सदैव इन्हीं पाँवों पर तन – मन और आत्मा…
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