कभी सोचा है क्या, कि क्रिकेट की कमेंट्री संस्कृत भाषा में भी हो सकती है? हिन्दी, अंग्रेजी में तो सभी बरषों से सुनते हैं, मगर…
View More धोती-कुर्ते में तिलकधारी क्रिकेटर और संस्कृत की कमेंट्री!Category: चहेते पन्ने
बाँसुरी की धुन पर जनकल्याण की कामना और नववर्ष की मंगलकामनाएँ
नए साल की सुबह की शुरुआत अगर बाँसुरी की धुन से हो जाए तो कितना ही बेहतर। वह भी जनकल्याण की कामना करती ‘वैष्णव जन’…
View More बाँसुरी की धुन पर जनकल्याण की कामना और नववर्ष की मंगलकामनाएँA writer worth your time, who unfolded ‘The Mysterious World’
Young minds make up dreams like no other, they weave stories so new, and fascinating that you cannot help but stop and listen, this cannot…
View More A writer worth your time, who unfolded ‘The Mysterious World’“पहले लोग कहते थे- इससे कुछ नहीं होगा, लेकिन आज ‘भारत का व्हीलचेयर ‘वॉरियर’ कहते हैं”
पढ़िएगा और सोचिएगा ज़रूर एक बार, जब ज़िन्दगी से हार मान लेने का मन होता हो, तब ख़ास तौर पर… “मैं 14 साल का था,…
View More “पहले लोग कहते थे- इससे कुछ नहीं होगा, लेकिन आज ‘भारत का व्हीलचेयर ‘वॉरियर’ कहते हैं”“अगर मैं एक शब्द में श्रीनिवास रामानुजन को समाना चाहूँ तो कहूँगा, ‘भारतीयता’।”
यह बड़ी अजीब सी बात है कि साहित्यिक होते हुए भी मैं किसी कवि या लेखक की जीवनगाथा पढ़कर उतना द्रवित कभी न हो सका,…
View More “अगर मैं एक शब्द में श्रीनिवास रामानुजन को समाना चाहूँ तो कहूँगा, ‘भारतीयता’।”सुनिए…आप उनको “सुन-भर” लेंगे, तो वे “जी-भर जी” लेंगे
“सर क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?” ऐसा सुनने के बाद मेरे लिए “हाँ” कहना बड़ा ही कठिन होता। फिर भी बहुत आत्मविश्वास से…
View More सुनिए…आप उनको “सुन-भर” लेंगे, तो वे “जी-भर जी” लेंगेअद्भुत : देख, समझकर मुँह से यही निकलेगा!
संवेदनाएँ, भावनाएँ, रिश्ते, नाते, रिवाज़, ‘संस्कार (अंतिम भी)… ये सिर्फ़ इंसानों के दायरे में ही आने वाली चीज़ें नहीं हैं। बल्कि इन लफ़्ज़ों के अपने…
View More अद्भुत : देख, समझकर मुँह से यही निकलेगा!सुर, लय, ताल नहीं बिगड़नी चाहिए… चाहे कुछ भी हो जाए!
हिन्दुस्तान के मशहूर तबला-वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के किसी कार्यक्रम का यह छोटा-सा वीडियो ज़िन्दगी का बड़ा सबक है। ग़ौर कीजिए, एक मुश्किल, एक बाधा…
View More सुर, लय, ताल नहीं बिगड़नी चाहिए… चाहे कुछ भी हो जाए!मृच्छकटिकम्-12 : संसार में पुरुष को मित्र और स्त्री ये दो ही सबसे प्रिय होते हैं
वसंतसेना से मुक्त होने के बाद मदनिका अब शर्विलक से साथ गाड़ी में बैठकर चलने को तैयार है। तभी घोषणा सुनाई देती है कि किसी…
View More मृच्छकटिकम्-12 : संसार में पुरुष को मित्र और स्त्री ये दो ही सबसे प्रिय होते हैंनृत्य की आधुनिकता में परम्परा का मेल!
आम तौर पर लोग परम्पराओं में आधुनिकता का घाल-मेल किया करते हैं। लेकिन भोपाल की भरतनाट्यम-प्रशिक्षु वैष्णवी द्विवेदी ने स्व-प्रेरणा से ही आधुनिक कंपोजीशन ‘स्वल्ला’ में…
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