भरत अपने ननिहाल से वापस अयोध्या पहुँचते हैं। अयोध्या में स्थितियाँ बहुत विकट थीं। एक तरफ राज सिंहासन प्रतीक्षा कर रहा था। दूसरी तरफ पिता की…
View More आचार्य चार्वाक के मत का दूसरा नाम ‘लोकायत’ क्यों पड़ा?Category: चहेते पन्ने
जयन्ती विशेषः अपने प्रिय कवि माखनलाल चतुर्वेदी की याद और पुष्प की अभिलाषा
आज फेसबुक स्क्रॉल करते हुए ‘डायरी’ की एक पोस्ट सामने आ गई। पोस्ट में एक सुन्दर तस्वीर पर माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता लिखी थी।…
View More जयन्ती विशेषः अपने प्रिय कवि माखनलाल चतुर्वेदी की याद और पुष्प की अभिलाषानिर्मल वर्मा की जयन्ती और एक प्रश्न, किताबों से बड़ा ज्ञान या ज्ञान से बड़ी किताबें?
किताबें ज्ञान का स्रोत हैं या फिर ज्ञान किताबों के सृजन का माध्यम? इस प्रश्न पर विचार का भरा-पूरा कारण दिया है इस कविता ने। प्रश्न के…
View More निर्मल वर्मा की जयन्ती और एक प्रश्न, किताबों से बड़ा ज्ञान या ज्ञान से बड़ी किताबें?चार्वाक हमें भूत-भविष्य के बोझ से मुक्त करना चाहते हैं, पर क्या हम हो पाए हैं?
आचार्य चार्वाक बड़ी सुन्दर बात कहते हैं। उनकी बातें आज वर्तमान युग के एकदम अनुकूल हैं। बल्कि एक विचार तो यह भी हो सकता है कि वर्तमान बैंकिंग प्रणाली में प्रचलित…
View More चार्वाक हमें भूत-भविष्य के बोझ से मुक्त करना चाहते हैं, पर क्या हम हो पाए हैं?मैं अगर चाय छोड़ सकता हूँ, तो यक़ीन करना चाहिए- कोई कुछ भी कर सकता है
चाय। चाय केवल इसीलिए नहीं पी जाती कि अच्छी लगती है। चाय पीने के और भी कई कारण हो सकते हैं। चाय आदर-सत्कार की अनिवार्य…
View More मैं अगर चाय छोड़ सकता हूँ, तो यक़ीन करना चाहिए- कोई कुछ भी कर सकता हैअहो! भारत के तेज से युक्त यह होली दिख रही है..
जिस उम्र में लोग आधुनिकता और दुनियावी चमक-दमक के पीछे भागते हैं, उस उम्र में कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो संस्कृत और संस्कृति को…
View More अहो! भारत के तेज से युक्त यह होली दिख रही है..काश, चाँद की आभा भी नीली होती, सितारे भी और अंधेरा भी नीला हो जाता!
इसी गाढ़ी नीली दीवार के पीछे लटका है, माघ के शुक्ल पक्ष का चाँद, जो पूनम से होते हुए आज चौथ पर एक चौथाई कम हो गया…
View More काश, चाँद की आभा भी नीली होती, सितारे भी और अंधेरा भी नीला हो जाता!मैं 70-80 के दशक का बचपन हूँ…
ये लाइनें किसने लिखीं, पता नहीं। लेकिन जिसने भी लिखीं, क्या खूब और कितनी सच्ची लिखी हैं। दिल से लिखी हैं। सीधे दिल तक पहुँचती…
View More मैं 70-80 के दशक का बचपन हूँ…परम् ब्रह्म को जानने, प्राप्त करने का क्रम कैसे शुरू हुआ होगा?
क्या है कि बहुत से मनुष्यों की प्रकृति बेचैन रहने की होती है। उनको कुछ ना कुछ चाहिए, जिसमें वे उलझे रहें। ऐसे ही कुछ लोगों…
View More परम् ब्रह्म को जानने, प्राप्त करने का क्रम कैसे शुरू हुआ होगा?काश, ‘26 जनवरी वाले वे बड़े लोग’ इस बच्चे से रह जाते!
वीडियो में दिख रहा ये छोटा सा बच्चा दिल्ली के मयूर विहार स्थित रयान इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ता है। धैर्य जोशी नाम है इसका। इसी…
View More काश, ‘26 जनवरी वाले वे बड़े लोग’ इस बच्चे से रह जाते!