केंद्र ने सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी

विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 10/2/2022

मंत्री समूह की बैठक से संकेत मिले हैं कि सरकार पीड़ितों के लिए तीन हजार करोड़ रुपए का मुआवजा घोषित कर सकती है। ये राशि योजना आयोग द्वारा मंजूर 982 करोड़ की उस रकम से अलग होगी जिसे अब केवल मंत्री समूह की हरी झंडी मिलना बाकी है। दूसरी और केंद्र सरकार का एंडरसन पर रुख भी साफ हो गया है। बैठक में सदस्यों को सौंपे गए एजेंडे से संकेत मिले हैं कि सरकार एंडरसन के प्रत्यर्पण पर जोर नहीं देना चाहती, सारा जोर अब मुआवजे पर ही होगा। हालांकि मंत्री समूह डाऊ केमिकल की जवाबदेही तय करने जा रहा है।… 

इधर, मप्र के गैस राहत व पुनर्वास मंत्री बाबूलाल गौर ने बैठक के बाद कहा, ‘प्रदेश सरकार को यकीन है कि लाखों पीड़ितों के लिए बैठक से खुशखबरी मिलेगी।’ दूसरी ओर बैठक के पहले दिन ही आगे की रणनीतियों का खुलासा हो गया है। बैठक में मुख्य जोर मुआवजे पर रहा, न कि एंडरसन पर। यहां तक कि बैठक में केंद्र सरकार एंडरसन के प्रत्यर्पण मामले में अमेरिकी सरकार के तर्कों से सहमत दिखी। सूत्रों के मुताबिक, चिदंबरम द्वारा सदस्यों को दिए गए एजेंडा पेपर में एंडरसन मसले पर केंद्र की स्थिति साफ की गई। इसमें कहा गया है कि विदेश मंत्रालय की तरफ से वर्ष 2004, 07 और 08 में अमेरिका से एंडरसन के प्रत्यर्पण की कोशिशें हुई थीं। लेकिन पर्याप्त सबूतों के अभाव में कोशिशें नाकाम रहीं। 

ऐसे में शनिवार और रविवार को होने वाली दो-दो सत्रों की बैठक में अगर एंडरसन के मामले पर पुनर्विचार नहीं हुआ, तो इससे मामले पर सरकार का रुख जाहिर हो जाएगा। एजेंडा पेपर से एक और अहम फैसले की जानकारी मिली। सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने भोपाल में जमा 350 मीट्रिक टन रासायनिक कचरे को हटाए जाने लेकर डाऊ केमिकल्स की जवाबदेही स्पष्ट रूप से तय करने की कही। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2006 में तत्कालीन निवेश आयोग के अध्यक्ष रतन टाटा की मलबे को पब्लिक प्राइवेट साझेदारी के तहत राष्ट्रीय हित में साफ करने की सिफारिश को खारिज कर दिया है। 

मंत्री समूह राहत, पुनर्वास और कानूनी विकल्पों को लेकर अपनी रिपोर्ट को सोमवार को अंतिम रूप देगा। चिदंबरम ने कहा, ‘हम अपना बेहतरीन नतीजा देने की कोशिश करेंगे और उन सभी लोगों के लिए अत्यंत सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाएंगे, जो इस त्रासदी की वजह से प्रभावित हुए।’ मंत्री समूह राहत, पुनर्वास और कानूनी विकल्पों को लेकर रिपोर्ट को सोमवार को अंतिम रूप देगा। चिदंबरम ने कहा मंत्री समूह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने संकेत दिए कि पीड़ितों को मिलने वाला मुआवजा बढ़ सकता है। दूसरी ओर बैठक में मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी विधि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पेश कर दी है। इसमें राज्य सरकार ने केस दोबारा खुलवाने और एंडरसन के प्रत्यर्पण पर जोर दिया है। 

….पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह बता रहे हैं कि केंद्र सरकार ने गैस त्रासदी मामले में सीबीआई को यूनियन कार्बाइड के अमेरिका और हांगकांग स्थित कारखाने और ऑफिस जाकर जांच करने की अनुमति तक नहीं दी थी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इसके लिए कई बार अनुमति मांगी, लेकिन सरकार ने हर बार उसे ठुकरा दिया। 

सिंह ने बताया कि एजेंसी के डीएसपी बीके शुक्ला ने मामले की सुनवाई कर रही भोपाल की अदालत में 18 नवंबर 1987 को जो आरोप पत्र पेश किया था, उसमें यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन के मुख्य ऑफिस जाकर जांच करने बात साफ तौर पर कही गई थी। कागजातों से यह साबित किया जा चुका था कि यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूआईसीएल) यूनियन कार्बाइड ईस्टर्न इंकारपोरेशन, हांगकांग का नियंत्रण है। शुक्ला कोर्ट को बताया था कि इसकी फूलप्रूफ पुष्टि के लिए हांगकांग जाकर कंपनी अधिकारियों से पूछताछ करना जरूरी था। ऐसा ही अमेरिका के वेस्ट वर्जीनिया स्थित यूसीसी प्लांट जाकर भी किया जाना आवश्यक था। अदालत ने इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए, लेकिन केंद्र ने कभी सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी। सिंह ने कहा, सुप्रीम कोर्ट या चुनाव आयोग की तरह सीबीआई संवैधानिक रूप से स्वायत्त संस्था नहीं है। एजेंसी न तो केंद्र के निर्देशों की अवहेलना कर सकती है न ही सीधे दूसरे देशों को पत्र लिख सकती है। इसकी एक विधिवत प्रक्रिया है जिसका रास्ता विधि मंत्रालय, विदेश मंत्रालय आदि विभागों से होकर जाता है।  

भाजपा ने मांग की है कि कांग्रेस नेतृत्व बिना समय गंवाए एंडरसन को भगाने में अपनी भूमिका स्वीकार करे। पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा कि हालिया खुलासों से यह साफ है कि एंडरसन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में था। ऐसे में कांग्रेस अब जनता का ध्यान बंटाने के बजाय सीधे यह स्वीकार करें कि एंडरसन को भगाने का इंतजाम पार्टी के निर्देश पर किया गया था, चाहे वह तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री नरसिंह राव हों या तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी।

(जारी….)
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(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
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श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ 
26.एंडरसन सात दिसंबर को क्या भोपाल के लोगों की मदद के लिए आया था?
25.भोपाल गैस त्रासदी के समय बड़े पदों पर रहे कुछ अफसरों के साक्षात्कार… 
24. वह तरबूज चबाते हुए कह रहे थे- सात दिसंबर और भोपाल को भूल जाइए
23. गैस हादसा भोपाल के इतिहास में अकेली त्रासदी नहीं है
22. ये जनता के धन पर पलने वाले घृणित परजीवी..
21. कुंवर साहब उस रोज बंगले से निकले, 10 जनपथ गए और फिर चुप हो रहे!
20. आप क्या सोचते हैं? क्या नाइंसाफियां सिर्फ हादसे के वक्त ही हुई?
19. सिफारिशें मानने में क्या है, मान लेते हैं…
18. उन्होंने सीबीआई के साथ गैस पीड़तों को भी बकरा बनाया
17. इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?
16. पहले हम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं… गुलाम, ढुलमुल और लापरवाह! 
15. किसी को उम्मीद नहीं थी कि अदालत का फैसला पुराना रायता ऐसा फैला देगा
14. अर्जुन सिंह ने कहा था- उनकी मंशा एंडरसन को तंग करने की नहीं थी
13. एंडरसन की रिहाई ही नहीं, गिरफ्तारी भी ‘बड़ा घोटाला’ थी
12. जो शक्तिशाली हैं, संभवतः उनका यही चरित्र है…दोहरा!
11. भोपाल गैस त्रासदी घृणित विश्वासघात की कहानी है
10. वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया!

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