संस्कृति को किसी कानून की ज़रूरत कहाँ होती है?

निकेश जैन, बेंगलुरू, कर्नाटक से, 16/8/2021

उस वक्त शाम के 5.25 बज रहे थे। मैं जर्मनी में अपने एक ग्राहक के साथ उनके दफ़्तर में बैठा हुआ था। बातचीत जारी थी कि अचानक वह कुर्सी से उठते हुए मुझसे बोले, “निकेश, मुझे एक मिनट का वक़्त दो। मैं बस यूँ गया और यूँ आया।” इतना कहकर वे तेजी से दफ़्तर के बाहर निकल गए। 

बमुश्किल दो मिनट बाद ही हाँफते हुए लौटे और मुझसे कहने लगे, “हाँ अब हम अपनी बातचीत जारी रख सकते हैं।” मैं अब तक कुछ समझ नहीं पाया था। इसलिए मैंने उनसे सवाल किया, “आख़िर हुआ क्या था माइकल?”

इस पर उनका ज़वाब था, “अगर मुझे किसी कारण शाम 5.30 के बाद भी काम करना पड़ता है, तो पहले अपने प्रबन्धक को बताना होता है। सामान्य स्थिति में अगर 5.30 तक दफ्तर नहीं छोड़ा तो अपने-आप एक ई-मेल मेरे प्रबन्धक के पास चला जाएगा। फिर उन्हें अपने उच्चाधिकारी को स्पष्टीकरण देना होगा कि क्यों किसी कर्मचारी को दफ़्तर के निर्धारित समय के बाद भी काम करना पड़ा।” 

उनका यह ज़वाब सुनकर मेरे कानों में तो जैसे संगीत-सा बजने लगा। 

दरअसल, जर्मनी में कानून है कि कर्मचारी दफ़्तर के निर्धारित घंटों से अधिक काम नहीं कर सकते। छुट्टी के दिनों और वे जब ख़ुद कहीं छुट्टियाँ मनाने गए हों, तब भी काम नहीं कर सकते। 

हालाँकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि हर कर्मचारी ठीक सुबह 8.30 बजे दफ़्तर पहुँचता है। सप्ताह के सभी कार्यदिवसों में आठ घंटे जुटकर काम करता है। पूरी क्षमता के साथ।

हमें भारत में भी ऐसी कार्य संस्कृति विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए। 

श्रम कानून यहाँ अभी जल्द नहीं आने वाले। पर संस्कृति को किसी कानून की ज़रूरत कहाँ होती है? इसके लिए तो सिर्फ़ अनुशासन और इच्छा चाहिए। 

क्या हम इस तरह की संस्कृति के लिए तैयार हैं?     

———————
(Original WriteUp)

It was 5:25 PM on a weekday. I was at a client’s location in Germany. My discussion with my counter part was going on and suddenly he said “Nikesh, give me a minute” and he ran outside his office.

He came back in 2 minutes huffing and puffing and said now we can continue. I asked him what happened Michael?

He said “if I have to work after 5:30 PM then I have to inform my manager in advance. If I don’t check out by 5:30 PM then an automated email will go to my manager and he will have to explain to his manager why an employee had to work beyond office hours!!!”

All this was music to my ears:)

Apparently, Germany has laws that employees can’t work beyond office hours. They can’t work on holidays and can’t work while on vacation.

Of course on the other side of it they start bang at 8:30 AM and give solid (read efficient) 8 hours at work every week day.

We in India should try to build that kind of work culture.

Labour laws are not coming anytime soon but culture doesn’t need laws it just requires some decipline and desire.
——–
(निकेश जैन, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने यह लेख लिंक्डइन पर लिखा है।)

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