डीपसीक पर प्रतिबंध… यह रणनीति अब चलेगी नहीं!

निकेश जैन, इन्दौर मध्य प्रदेश

अमेरिका और इटली में चीन के एआई (आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता) प्लेटफॉर्म ‘डीपसीक’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। तो क्या संरक्षणवाद अपने चरम पर है? वैसे, यह पहली बार नहीं है। 

अमेरिका इसी तरह पहले समान आधार बताकर टिकटॉक को भी प्रतिबन्धित करना चाहता था। लेकिन अब वह चाहता है कि उसे कोई अमेरिकी कम्पनी ख़रीद ले। यही नहीं, क्लाउड आधारित सेवाएँ देने वाली अमेरिकी कम्पनी सेल्सफोर्स बहुत पहले ज़ोहो को ख़त्म करना चाहती थी। लेकिन ज़ोहो ने फिर भी अपना आधार बना लिया। अब वह उसी के जैसी सेवाएँ देने वाली कई अमेरिकी कम्पनियों का मज़बूत विकल्प बन चुकी है। 

यह सब अस्ल में हो क्या रहा है? यही कि पहले किसी नवाचार को उसके शुरुआती चरण में ही ख़त्म कर दो। ऐसा न हो पाए तो डेटा प्राइवेसी (जानकारियों की निजता) का आधार बताकर उसे प्रतिबन्धित कर दो। 

हालाँकि यह रणनीति काफ़ी पहले कारगर थी। लेकिन अब नहीं हो सकती क्योंकि दुनिया के कई देश अब पर्याप्त ताक़तवर हो चुके हैं। या फिर उन्होंने इस तरह के क़दमों को धता बताना सीख लिया है। 

उदाहरण के लिए भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि वह जल्द ही अपना एलएलएम (एआई प्लेटफॉर्म) लेकर आएगी। निजी-सार्वजनिक भागीदारी से इस मंसूबे को अमलीज़ामा पहनाया जाएगा। अगर यह सफल रहा तो अमेरिकी ‘ओपन एआई’ और चीनी ‘डीपसीक’ के लिए एक नया प्रतिद्वन्द्वी तैयार हो जाएगा। 

अब भारत से नवाचार किए जाने का समय आ गया है। क्या आप तैयार हैं?

—— 

निकेश का मूल लेख 

US and Italy blocked Deepseek!!

Protectionism is the new we*pon??

US wanted to block Tik Tok on the similar grounds and now wants them to make it an American company by selling it to a buyer there.

What’s happening?

First, try to k*ll an innovation at an early stage. If that fails then ban it in the name of data privacy?

This approach worked for long but now other countries either have become powerful enough or they have learnt to call the bluff!

Salesforce tried to k*ll Zoho long ago but Zoho stood its grounds and became an alternative to many US based products including CRM.

Indian government just announced their own initiative to build LLMs in public private partnership mode. If successful, it will become another alternative to OpenAI and Deepseek.

This is the time to innovate and build from India!

Are you ready?

—— 

(निकेश जैन, कॉरपोरेट प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख अपेक्षित संशोधनों और भाषायी बदलावों के साथ #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने इसे लिंक्डइन पर लिखा है।)

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निकेश के पिछले 10 लेख

46 – ‘ट्रम्प 20 साल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाते, तो हमारे बच्चे ‘भारतीय’ होते’!
45 – 70 या 90 नहीं, मैंने तो हफ़्ते में 100 घंटे भी काम किया, मगर उसका ‘हासिल’ क्या?
44 – भोपाल त्रासदी से कारोबारी सबक : नियमों का पालन सिर्फ़ खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए
43 – ध्याान रखिए, करियर और बच्चों के भविष्य का विकल्प है, माता-पिता का नहीं!
42 – भारत के लोग बैठकों में समय पर नहीं आते, ये ‘आम धारणा’ सही है या ग़लत?
41 – देखिए, मीडिया कैसे पक्षपाती तौर पर काम करता है, मेरे अनुभव का किस्सा है!
40 – ज़िन्दगी में कुछ अनुभव हमें विनम्र बना जाते हैं, बताता हूँ कैसे…पढ़िएगा!
39 – भारत सिर्फ़ अंग्रेजी ही नहीं बोलता!
38 – भारत को एआई के मामले में पिछलग्गू नहीं रहना है, दुनिया की अगुवाई करनी है
37 – क्रिकेट ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, सबसे अहम ‘टीम वर्क’

 

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