टीम डायरी
एक प्रचलित कहावत है, ‘खाली दिमाग़ शैतान का घर’। मतलब अगर व्यक्ति के पास करने के लिए कोई ठीक-ठिकाने का काम-धन्धा न हो, तो खाली बैठे-बैठे उसे कोई न कोई ख़ुराफ़ात सूझता रहता है। इसीलिए पहले के बड़े-बुज़ुर्ग अपने बच्चों को किसी न किसी काम में लगाए रखते थे। हमेशा कहा करते थे। खेलते-कूदते रहो। पढ़ाई-लिखाई करो। दोस्तों के साथ घूमो-फिरो। पूजा-पाठ करो। अच्छी किताबें पढ़ो, आदि आदि।
मगर अब घरों में बड़े-बुज़ुर्गों के लिए बहुत जगह नहीं बची। दिलों में तो और कम हो चुकी है। माता-पिता भी अधिकांश: कामकाज़ी हो गए हैं। उनके पास बच्चों को देने के लिए बहुत समय नहीं है। जितना समय है, उतने में भी वे उन्हें कोई अच्छी आदतें सिखाने के बजाय यह बताते रहते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाने वाला कोई पेशा कैसे अपनाया जा सकता है। बच्चे कई बार वैसे पेशों में सफल हो जाते। कई बार नहीं भी होते।
तो जो सफल नहीं होते, अच्छी आदतों के अभाव में वे क्या करते हैं? इसकी दो ताज़ा मिसालें बताते हैं। पहली- दिल्ली के उत्तम नगर से पुलिस ने इसी शनिवार को शुभम उपाध्याय नाम के 25 साल के युवक को पकड़ा है। उसके पास काम-धन्धा नहीं था। बेरोज़ग़ार था। तो वह बीते कुछ दिनों से क्या कर रहा था? सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न विमानों में बम होने की फ़र्जी सूचनाएँ फैला रहा था। पुलिस ने उसे पकड़कर इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि वह सभी का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता था। और यह कोई पहला युवक नहीं है। अभी पिछले सप्ताह मुम्बई पुलिस ने भी ऐसी झूठी सूचनाएँ फैलाने वाले एक 17 साल के लड़के को ग़िरफ़्तार किया था। यहाँ ये भी बता दें कि 14 अक्टूबर के बाद से भारत में अब तक 275 विमानों में बम होने की झूठी सूचनाएँ फैल चुकी हैं।
अब दूसरा मामला- इसी अक्टूबर महीने की 21 तारीख़ की घटना है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद के कौशाम्बी में एक व्यक्ति को वॉट्सएप पर सन्देश मिला। वह किसी लड़की का था। उसने इस आदमी से मिलने की इच्छा जताई। ये साहब भी तैयार हो गए। जान, न पहचान, फिर भी। लड़की ने इन्हें कौशाम्बी मेट्रो स्टेशन के पास मिलने बुलाया था। ये पहुँच गए। वहाँ लड़की से मिले और फिर दोनों वहीं नज़दीकी कैफे में चाय-कॉफी पीने चल दिए। मगर जब वे वहाँ पहुँचे तो ‘भाईसाहब’ को थोड़ा सन्देह हुआ। क्योंकि जिस कैफे में लड़की उन्हें लेकर गई थी, वहाँ का माहौल उन्हें संदिग्ध लग रहा था। लिहाज़ा उन्हें अपने एक दोस्त के साथ अपनी लोकेशन साझा कर दी और उसे कुछ संकेत भी भेज दिया। इसे भूल-सुधार टाइप का क़दम कह सकते हैं। क्योंकि ग़लती तो वे कर चुके थे।
अभी कुछ मिनट ही बीते थे। इस बीच, लड़की ने एक कोल्ड ड्रिंक का ऑर्डर कर दिया। ‘भाईसाहब’ ने कुछ नहीं मँगाया क्योंकि उन्हें तो सन्देह था, जो कुछ ही देर में सच भी साबित हो गया। उन्हें मात्र एक कोल्ड ड्रिंक का बिल थमाया गया, 16,400 रुपए का। एक कोल्ड ड्रिंक, 16,400 रुपए। उन्होंने जब इतने रुपए देने से मना किया तो कुछ मुस्टन्डे क़िस्म के लड़के आ गए और ‘भाईसाहब’ से 50,000 रुपए ऐंठने की कोशिश करने लगे। वो तो भला हो उस दोस्त का, जिसके साथ उन्होंने लोकेशन साझा की थी। वह उतनी देर में पुलिस को लेकर वहाँ आ गया, तो इनकी जान बच गई और पैसे भी। बदमाशी करने वाले लड़के-लड़कियों को भी पकड़ लिया गया।
आगे पुलिस ने जाँच की पता चला कि ये एक नए तरह का गोरखधन्धा शुरू हुआ है। कुछ फुर्सती लड़के-लड़कियाँ एक गिरोह बना लेते हैं। इस गिरोह की लड़कियाँ ऐसे ही ‘भाईसाहब’ जैसे लोगों को डेटिंग एप के जरिए फँसाती हैं। उनको कहीं मिलने बुलाती हैं। वह जगह गिरोह के सदस्यों में से ही किसी की होती है। फिर वहाँ खाने-पीने की चीज़ें बुलवाती हैं। बदले में इसी तरह हज़ारों रुपए का बिल ‘भाईसाहब’ को थमा दिया जाता है। भुगतान करने में आना-कानी की तो बदनाम करने की धमकी दी जाती है। लोग ‘बेचारे’ डर के मारे पैसे दे देते हैं।
इसीलिए भईया, बड़े-बुज़ुर्गों की बातों को फिर से ध्यान करो। अपने बड़े होते बच्चों को किसी न किसी ढंग के काम में लगाकर रखो। इसी में भलाई है। उनकी और हम सबकी भी।
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