दीपक गौतम, सतना, मध्य प्रदेश से
प्रिय मुनिया
तुम्हें यह पाँचवीं पाती लिखते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। क्योंकि तुम्हारे लाड़-प्यार की चाशनी में डूबे ये आधे-अधूरे अल्फाज़ शायद रस्म अदायगी नहीं रह जाएँगे। तुम्हारी मोहब्बत मेरे लापरवाह रवैये पर भारी पड़ रही है। शायद इसीलिए तुम्हें चिट्ठियाँ लिखने का सिलसिला रुक-रुक कर ही सही, चल रहा है। मेरी गिलहरी तुम आज 27 जनवरी 2023 को एक साल की हो गई हो। अब तुम घुटनों के बल चलना सीख गई हो। जल्द ही तुम अपने पैरों पर चल रही होगी। तुम्हें यूँ देखना कितना सुखद है, इसका तुम अन्दाज़ा भी नहीं सकती हो। ज़िन्दगी के कुछ गिने-चुने सुनहरे पल अमिट स्मृतियों के रूप में सदा के लिए मन में क़ैद हो जाते हैं। तुम्हें सबसे पहली बार गोद लेकर जो एहसास हुआ था, ये ठीक वैसा ही है। मैं तुम्हें यह पाँचवाँ पत्र तुम्हारे दो माह की पूरा होने पर मार्च 2022 में लिखना चाह रहा था। लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। अब ये तुम्हारे एक वर्ष पूरे करने पर लिख रहा हूँ। इसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ। सच कहूँ तो यह समय मैंने ज़्यादातर तुम्हारे साथ वक़्त बिताने में ख़र्च किया है। इसलिए मुझे इसकी परवाह बिल्कुल नहीं है कि इस बीच मुझसे क्या छूट गया है। ईश्वर तुम्हें लम्बी उम्र प्रदान करे।
प्रिय, मुनिया
बीते 10-12 महीनों में बहुत कुछ बदल गया है। मैं इस पत्र में देश-दुनिया की बात नहीं करूँगा। क्योंकि तुम्हारे साथ बीत रहा वक़्त मेरे लिए सबसे मूल्यवान है। मैं लाख चाह लूँ कि तुम्हें पहली बार गोद में भरने का पल वापस आ जाए, लेकिन वो नहीं आएगा। इसलिए तुम्हारी पहली करवट से लेकर उठकर बैठने और घुटनों के बल चलने तक का हर एक पल समेटने में ही मेरा सारा वक़्त चला गया। आगे समाचार यह है कि तुम अपने पहले जन्म दिन पर लम्बा सफर तय करके डेढ़ माह बाद नाना-नानी के घर से वापस सतना पहुँची हो। तुम्हारी माँ भी तुम्हारे पहले जन्म दिन पर यहाँ नहीं है। इसलिए पहले जन्म दिवस को कुछ अलग तरह से मनाया गया है। तुम्हारे पहले जन्मदिन पर हमने कुछ देने की पहल शुरू की है। मैं इसका और अधिक विस्तार पत्र में नहीं लिखूँगा। बस इतना कहूँगा कि यदि ज़रूरतमंद और ग़रीब लोगों की किसी तरह मदद कर सको, तो अवश्य करना। उम्मीद कि तुम इसे और आगे ले जाओगी।
प्रिय मुनिया
मेरी जान तुम्हें यह जानकर ख़ुशी होगी कि तुमने अपनी पहली यात्रा महज डेढ़ माह की उम्र में की थी। तब सतना से वाया लखनऊ होते हुए तुम 2022 की होली के ठीक बाद अहमदाबाद पहुँची थी। इतनी कम उम्र में तुमने देश के 3 राज्यों की सीमाओं को अपने नन्हें कदमों से छुआ था। और अब एक साल पूरे होने पर तुमने 4 राज्यों और लगभग आधा दर्जन शहरों की आबोहवा का लुत्फ लिया है। मेरी नन्हीं गिलहरी पिछली बार तुमने नाना-नानी के घर से वापस आने में एक ही पखवाड़े का समय लिया था। इस बार तुम लगभग डेढ़ माह बाद नानी के घर से वापस आई हो। इस दौरान समय बस तुम्हें याद करते हुए बीता। घर में अक्सर तुम्हारी कमी खलती रही। मेरी जान तुम्हारे साथ बीते वक़्त की कुछ स्मृतियों को तस्वीरों में क़ैद करने के लिए तुम्हारी माँ और मौसी ने कई सैकड़ा तस्वीरें उतारी हैं, जिन्हें आगे चलकर तुम देख पाओगी। तुम्हारी ख़ूब सुन्दर-सुन्दर तस्वीरें पाकर तुम्हें ख़ुशी होगी। इस पत्र के साथ तुम्हें इस वक़्त की ख़ूबसूरत यादों में लिपटी ये तस्वीरें मिलेंगी, जो तुम्हारे लिए यादग़ार साबित होंगी।
मेरी गिलहरी तुम आज पूरे एक साल की हो गई हो। तुमने यूँ फुदकते-फुदकते मेरी रूह को जन्नत अता की है। तुम्हें पाने का वो सुखद पल याद करता हूँ, तो लगता है कि जब ज़िन्दगी आशिकाना हो जाए, प्रेम की बूँदों ने जीवन का अंकुर फोड़ा हो, ऐसा पल स्वर्णिम होकर अमर हो जाता है। क्योंकि जब बेटियाँ घर आती हैं, तो लगता है कि माँ गोद में आ जाती है। और माँ को पाने का एहसास शब्दों से बयान कर पाने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। इसलिए हमारी ज़िन्दगी में होने के लिए तुम्हारा शुक्रिया। तुम्हें ढेर सारा प्यार और दुलार मेरी गिलहरी मम्मा-पापा लव्स यू
शुभाशीष। ईश्वर तुम्हें लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन प्रदान करें। शेष अगले पत्र में।
तुम्हारा पिता
दीपक गौतम
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© Deepak Gautam
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(दीपक, स्वतंत्र पत्रकार हैं। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में लगभग डेढ़ दशक तक राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, राज एक्सप्रेस तथा लोकमत जैसे संस्थानों में मुख्यधारा की पत्रकारिता कर चुके हैं। इन दिनों अपने गाँव से ही स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। इन्होंने बेटी के लिए लिखा यह बेहद भावनात्मक पत्र के ई-मेल पर अपनी और बेटी की तस्वीर के साथ #अपनीडिजिटलडायरी तक भेजा है।)
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