क्या रेस्टोरेंट्स और होटल भी अब ‘हनी ट्रैप’ के जरिए ग्राहक फँसाने लगे हैं?

ज़ीनत ज़ैदी, शाहदरा, दिल्ली

हमारा समाज ऐसा है, जिसमें हर कोई ख़ुद को सम्पूर्ण ज्ञानी मानता है। और अपनी या अपने फैसले की तुलना में दूसरे को कमतर या बेवकूफ़ाना समझते हैं। हालाँकि हम अपने बुज़ुर्गों की सुनें तो वे अक्सर कहा करते हैं, “ज्ञान बहुत ज्यादा या बहुत थोड़ा होना, हमेशा समस्या पैदा करता है।” आज अगर हम इसी बात को आम ज़िन्दगी में देखें तो यह बात शत-प्रतिशत सच साबित होती हैl क्योंकि ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ या इसी तरह के दीगर सोशल-मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अग्रेषित ज्ञान, ज़्यादातर वे लोग दे रहे होते हैं, जो इसके काबिल भी नहीं होते। फिर भी बड़ी तादाद में लोग आँखें बन्द कर के उन पर यक़ीन करते हैं और अक्सर किसी झमेले में फँस जाते हैं। 

भोले-भाले लोग तो दूर, अच्छा-ख़ासा पढ़ा-लिखा इंसान भी इन झमेलों से बच नहीं पाता। सीतापुर, उत्तर प्रदेश के एक पत्रकार अर्चित गुप्ता का मामला इस बाबत बिल्कुल ताज़ा है, जो धोखाधड़ी की चपेट में आए हैं। अर्चित ने ख़ुद इस मामले की सूचना सोशल मीडिया के ज़रिए दिल्ली पुलिस को दी है। उन्होंने बताया है कि डेटिंग एप के ज़रिए उनकी एक लड़की से पहचान हुई। बात मुलाक़ात तक पहुँची और लड़की ने उन्हें दिल्ली के राजौरी गार्डन के एक रेस्टोरेंट में बुलाया। वहाँ पता चला कि लड़की का असल नाम कुछ और है। यही नहीं, वहाँ लड़की ने कुछ ड्रिंक्स, स्नैक्स वग़ैरा मँगाया। लेकिन जब उसका बिल आया तो वह 15,886 रुपए का था।

यह देख अर्चित का माथा ठनका और उन्होंने अपने स्तर पर पड़ताल की। पता चला कि यह ठगी का नया तरीक़ा है। महानगरों के कई रेस्टोरेंट्स, होटल्स, आदि ने इस तरह की लड़कियों को इसी काम में लगा रखा है कि वे सोशल मीडिया, या डेटिंग एप्स के जरिए ग्राहकों को फँसाएँ। उन्हें लेकर आएँ, ताकि उनसे इस तरह की लूट की जा सके। अर्चित की पोस्ट की मानें तो इस धोखाधड़ी के शिकार कई लोग हो चुके हैं। 

अर्चित के अकाउंट से इस धोखाधड़ी की सूचना दिल्ली पुलिस को दी गई है।

और ये कोई इक़लौता मामला नहीं है। ऐसी न जाने कितने घटनाएँ रोज़ हमारे आस-पास पेश आती हैं, जब धोखाधड़ी करने वाले हज़ारों लोगों की मेहनत की कमाई को एक झटके में उड़ा ले जाते हैं। इसी तरह, सोशल मीडिया के अलावा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आ रहा कंटेंट भी बेहद चिन्ताजनक है। वहाँ कोई सेंसरशिप नहीँ। इससे अश्लीलता उरूज़ पर है। वहाँ ऐसी भाषा और दृश्य खुले-आम दिखाए जा रहे हैं, जिनका दिमाग़ों पर सही असर नहीं पड़ता। ये सब छोटे बच्चे भी देखते हैं। सोचिए, आज नहीं तो कल इसके क्या नतीज़े होंगे? 

ऐसे माहौल मे हमें चाहिए कि हम अतिरिक्त रूप से सतर्क रहें। क्योंकि सतर्कता से ही हमाारी सुरक्षा मुमकिन है। फिर चाहे वह माली हो, दिमाग़ी या फिर दिली।
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(ज़ीनत #अपनीडिजिटलडायरी के सजग पाठक और नियमित लेखकों में से हैं। दिल्ली के आरपीवीवी, सूरजमलविहार स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती हैं। लेकिन इतनी कम उम्र में भी अपने लेखों के जरिए गम्भीर मसले उठाती हैं। वे अपने आर्टिकल सीधे #अपनीडिजिटलडायरी के ‘अपनी डायरी लिखिए’ सेक्शन या वॉट्स एप के जरिए भेजती हैं।)
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