नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश
सबसे पहले तो यह वीडियो देखिए ध्यान से। इसमें जो महिला दिख रही हैं, उनका नाम नायला क़ादरी बलूच है। वह बलूचिस्तान की आज़ादी के लिए संघर्ष कर रही हैं। सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। बताया जाता है कि वह फिलहाल कनाडा में रहती हैं। कहा यह भी जाता है कि उन्होंने 21 मार्च 2022 को विदेश में बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार बनाई थी। साथ ही ख़ुद को उस निर्वासित सरकार का प्रधानमंत्री भी घोषित कर दिया था। अलबत्ता, उनकी निर्वासित सरकार को किसी देश की मान्यता नहीं है। फिर भी नायला क़ादरी बलूच और उनके जैसे तमाम जुझारू बलूचिस्तानियों के संघर्ष को भारत समेत कई अन्य देशों का पूरा समर्थन है।
Listen to Balochistan's Prime Minister Nayla Qadri.
— Nikki (@nikkis_logic) April 28, 2025
This message deserves to be heard by every Indian and shared widely.#Balochistan pic.twitter.com/v1o1ADuntS
मतलब नायला क़ादरी बलूच का पद चाहे जो भी हो, या न हो, लेकिन उनकी प्रतिष्ठा पर्याप्त है। सो, अब इस पृष्ठभूमि के साथ उनके दावे पर ग़ौर करें। उनका दावा है कि पाकिस्तान की फ़ौज ने अब तक दुनिया में जितने लाख मुस्लिम मारे हैं, उतने किसी देश की सेना ने नहीं मारे। फिलिस्तीन में 10 हजार लोगों को एक रात में मार डाला। बलूचिस्तान में दो लाख, बांग्लादेश में 30 लाख, अफ़ग़ानिस्तान में चार लाख मुसलमानों का क़त्ल किया है पाकिस्तान की फ़ौज ने। उसे जहाँ पैसे मिलते हैं, वे वहीं जाकर लोगों को मारने को तैयार हो जाते हैं।
इसके बाद अब ख़ुद पाकिस्तान के मौज़ूदा रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ के बयान पर भी नज़र डाल लेनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक बाद उन्होंने अपने देश के एक समाचार चैनल को साक्षात्कार दिया।इसमें उन्होंने माना, “हम (पाकिस्तान) बीते तीन दशक से अमेरिका के लिए ‘गन्दा काम’ (आतंक को समर्थन देने का) कर रहे हैं। पश्चिम देशों और ब्रिटेन के लिए भी। वह हमारी ग़लती थी और उसका हमें ख़मियाज़ा भुगतना पड़ा।” यानि पाकिस्तान भी अब मान रहा है कि आतंक को समर्थन देना उसकी ग़लती थी।
इसके बाद अब पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को बेनक़ाब करने के भारतीय प्रयासों पर भी सरसरी नज़र डालना ज़रूरी बन पड़ता है। भारत ने पहले तो संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को ‘रफ़ स्टेट’ (दंगा-फ़सादी मुल्क़) कहकर उसकी क़रतूतों का ख़ुलासा किया। फिर दुनिया के कई प्रमुख देशों को चुन-चुनकर उन आतंकी वारदातों की जानकारी है, जिनके पीछे पाकिस्तान और ख़ासकर उसकी फ़ौज का हाथ रहा है। मिसाल के तौर पर मुम्बई में 26/11 का आतंकी हमला और ऐसे कई अन्य हमले। अमेरिका में 9/11 का आतंकी हमला, जिसके प्रमुख साज़िशकर्ता ओसामा-बिन-लादेन को अमेरिकी सैनिकों ने पाकिस्तान के एबटाबाद में घर में घुसकर मारा था।
इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान के क़ाबुल में 2008 और 2011 के आतंकी हमले, रूस की राजधानी मॉस्को में 2024 में हुआ आतंकी हमला, ब्रिटेन की राजधानी लन्दन की सड़कों पर 2005 में हुए बम धमाके। दुनिया में ऐसी कई आतंकी वारदातों में पाकिस्तान की फ़ौज और उसकी ख़ुफ़िया एजेंसी का हाथ रहा है। उसने इन वारदातों के लिए आतंकियों को न सिर्फ़ बुनियादी मदद, बल्कि प्रशिक्षण और वित्तीय मदद भी मुहैया कराई।
भारत द्वारा पुख़्ता सबूतों के साथ उपलब्ध कराई गई दस्तावेजी जानकारियों के बाद दुनिया के प्रमुख देश पाकिस्तान को किसी भी तरह प्रत्यक्ष मदद देने से कन्नी काटने लगे हैं। वह दुनिया में राजनयिक, सामरिक और आर्थिक तौर पर काफ़ी हद तक अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
हालाँकि, इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय के बहुत से लोग पाकिस्तान को मुसलमानों का हिमायती मानते हैं। मगर वे सोचें कि जो देश दुनियाभर में मुस्लिमों के ही सबसे ज़्यादा क़त्ल-ए-आम में शामिल रहा हो, उनकी इज़्ज़त ख़राब करने की वज़ह बन रहा हो, वह मुसलमानों का हिमायती कैसे हो सकता है?