महर्षि अरबिन्दो को अपना महाकाव्य ‘सावित्री’ लिखने में कितने साल लगे?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 28/10/2021

अंग्रेजी शासन के दौर में चूँकि कोई भारतीय भाषा देश में समान रूप से मान्य नहीं थी, इसलिए बुद्धिजीवियों के लिए अंग्रेजी संवाद का मुख्य माध्यम बन चुकी थी। यह 19वीं सदी के अंतिम वर्षों में अंग्रेजी भाषा की पत्रिकाओं की संख्या बढ़ाने वाला बड़ा कारण रहा। तब राष्ट्रवाद भी उभार पर था। उसकी पृष्ठभूमि में भारतीयों के मालिकाने वाले कई अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र भी अस्तित्व में आए। भाषा के साथ चूँकि राष्ट्रवाद का विचार भी अंग्रेजी ही था, इसलिए दोनों को ही तमाम भारतीय सहजता और प्रवाह से बरत रहे थे। 

जहाँ तक आंग्ल-भारतीय कविता का मसला है, तो उसमें दो बंगाली महिलाओं- आरू और उनकी बहन तोरू का उल्लेख ज़रूरी है। आरू की मृत्यु 20 वर्ष की अवस्था में ही 1874 में हो गई। जबकि तोरू का निधन 21 वर्ष की उम्र में 1877 में हुआ। इन दोनों की कविताएँ अंग्रेजी में होने के बावजूद चरित्र और विषय में भारतीय थीं। ऐसे ही, रोमेश चंद्र दत्त। वे कई ऐतिहासिक किताबों के लेखक के रूप में प्रसिद्ध हुए। मग़र उन्होंने ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ का जो अनुवाद किया, उसे आज भी उत्कृष्ट माना जाता है।

रबीन्द्रनाथ टैगोर का नाम साहित्यिक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय है। उनका योगदान बंगाली साहित्य में अधिक रहा। अलबत्ता, उनकी कुछ कविताओं के अंग्रेजी संस्करण भी तैयार हुए। उन्होंने अंग्रेजी में कई गद्य रचनाएँ भी लिखीं। उन्हें 1913 में साहित्य का विश्व-प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था।

पहले अतिवादी हिंदु रहे और बाद में संत हुए अरबिंदो घोष, अंग्रेजी साहित्यिक शैलियों से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने तमाम काव्य और आलोचनात्मक कृतियाँ लिखीं। इनमें महाकाव्य, ‘सावित्री’ विशेष उल्लेखनीय है। कहते हैं, इसे लिखने में 50 साल से ज़्यादा लगे थे। इसीलिए यह उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हो सका। 

एलिज़ाबेथ बैरेट ब्राउनिंग ब्रिटेन के विक्टोरियाई-कालखंड की लोकप्रिय कवियित्री थीं। भारत में कवियित्री सरोजिनी नायडू की तुलना उनसे की जाती है। नायडू ने 1905 में अपना पहला कविता संग्रह ‘द गोल्डन थ्रेशहोल्ड’ प्रकाशित किया था। एलिज़ाबेथ और नायडू की रचनाओं में निश्चत ही कुछ समानताएँ भी देखी जा सकती हैं।

जहाँ तक अंग्रेजी भाषा में भारतीय उपन्यासों का सवाल है तो वे 1920 के बाद ही प्रमुखता से आना शुरू हुए। इनमें कई यादग़ार रचनाएँ उल्लेखनीय हैं। जैसे- केएस वेंकटरमणि की ‘कंदन द पैट्रियट’ (1932), मुल्कराज आनंद की ‘द विलेज’ (1939), और आरके नारायण की ‘द डार्क रूम’ (1938), ‘द इंग्लिश टीचर’ (1945) आदि।

स्थानीय भाषाओं के साहित्य की बात करें तो उसमें बंगाली ही अगुवा थी। इस भाषा के उपन्यासकारों में एक उल्लेखनीय नाम बंकिम चंद्र चटर्जी का है। उन्होंने अपना पहला उपन्यास ‘राममोहन का जीवन’ अंग्रेजी में लिखा था। लेकिन बाकी उपन्यास बंगाली में लिखे। उनकी कृतियाँ ऐतिहासिक और संवेदना तथा अलंकारों से परिपूर्ण हैं। इतनी प्रभावी कि आगे उनकी नकल कई अन्य लेखकों ने भी की। आगे चलकर कई बंगाली उपन्यासकारों और कवियों की कृतियों का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी किया गया।

इसी बीच, पश्चिमी शैली और पूर्वी विषयों के मेल-जोल का सिलसिला भी जारी रहा। इससे कई ऐसी रचनाएँ सामने आईं, जिनकी उम्मीद नहीं थी। जैसे- मराठी में जॉन्सोनियन निबंध। इसे 1875 में वीएस चिपलूणकर ने ‘निबंध माला’ के नाम से लिखा। इसी सिलसिले में यूरोपीय रचनाओं का कई प्रमुख भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी किया गया। अनुवाद के लिए जिन यूरोपीय लेखकों की रचनाओं को प्रमुखता दी गई, उनमें शेक्सपियर, इबसेन, टॉल्स्टॉय, विक्टर ह्यूगो, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ आदि शामिल थे। 

इस दौर में लगभग सभी भारतीय भाषाओं पर यूरोपीय साहित्यकारों का प्रभाव स्पष्ट देखा गया। विभिन्न भाषाओं की कई कहानियाँ, निबंध, उपन्यास आदि तो यूरोपीय लेखकों की शैली की एकदम नकल जैसी भी आईं। जैसे, कन्नड़ साहित्यकार गोपालकृष्ण अडिगा की ‘गोंडलपुरा’ (1943) में अंग्रेजी के टीएस इलियट की ‘द वेस्ट लैंड’ की झलक दिखती है। इसी तरह तेलुगु साहित्यकार वीरेसलिंगम की ‘राजशेखर चरित्रम’ (1881) में यूरोपीय लेखक ओलिवर गोल्डस्मिथ की ‘विकार ऑफ वेकफील्ड’ की झलक देखी जा सकती है। इसी तरह भारतीय रंगमंच में भी यूरोपीय नाट्य के संस्करण मौजूद हैं। 

वैसे, पश्चिम के प्रभाव की सबसे दिलचस्प विशेषताओं में से एक यह थी कि अंग्रेजी के शब्दों और मुहावरों ने भारतीय भाषाओं में अपनी जगह बना ली थी। अब तक अंग्रेजी के भाषाई-अंशों का प्रयोग स्थानीय भाषा में होना आम बात हो चुका था। इसका कई भारतीय लेखकों ने लाभ उठाया और आवश्यक ध्वन्यात्मक परिवर्तनों के बाद अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल अपनी रचनाओं में खूब किया।

इस तरह, भारतीय साहित्य पर अंग्रेजी विचारों और आदर्शों के प्रभाव की भले जो भी आलोचना हो, यह कहना ग़लत नहीं होगा कि वह वे नया बदलाव जरूर लेकर आए थे। कुल मिलाकर, ब्रिटिश शासन के अंत से पहले तक के परिणाम बहुत उत्साहजनक नहीं थे, लेकिन प्रयोगों के लिए नींव रखी जा चुकी थी, जिसने आज़ादी के बाद काफी प्रगति की।
(जारी…..)
अनुवाद : अभिनव, सम्पादन : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
67. कलकत्ता कला विद्यालय के प्राचार्य ईबी हैवेल ने इस क्षेत्र में कौन से अहम बदलाव किए?
66.कौन से मुस्लिम सुधारक ख़ुद को हिन्दुओं का ‘आख़िरी अवतार’ कहते थे?
65. बाल-विवाह के विरोधी किस समाज-सुधारक ने बेटी की शादी 13 की उम्र में की थी?
64. ब्रिटिश सरकार के दौर में महिला शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
63. देश जब आज़ाद हुआ, तब कितने प्रतिशत आबादी अशिक्षित थी?
62. लॉर्ड कर्जन को कुछ भारतीयों ने ‘उच्च शिक्षा के सर्वनाश का लेखक’ क्यों कहा?
61. आईसीएस में पहली बार कितने भारतीयों का चयन हुआ था और कब?
60. वायसराय जॉन लॉरेंस को ‘हमारा सबसे बड़ा शत्रु’ किस अंग्रेज ने कहा था?
59. कारखानों में काम करने की न्यूनतम उम्र अंग्रेजों ने पहली बार कितनी तय की थी?
58. प्लास्टिक उत्पादों से भारतीयों का परिचय बड़े पैमाने पर कब हुआ?
57. भारत में औद्योगिक विस्तार का अगुवा किस भारतीय को माना जाता है?
56. क्या हम जानते हैं, भारत में सहकारिता का प्रयोग कब से शुरू हुआ?
55. भारत में कृषि विभाग की स्थापना कब हुई?
54. अंग्रेजों ने पहली बार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र कितनी तय की थी?
53. ब्रिटिश भारत में कानून संहिता बनाने की प्रक्रिया पहली बार कब पूरी हुई?
52. आज़ादी के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी कौन सी थी?
51. आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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