अनाज की बरबादी : मैं अपने सवाल का जवाब तलाशते-तलाशते रुआसी हो उठती हूँ

ज़ीनत ज़ैदी, शाहदरा, दिल्ली से

जब मैं देखती हूँ लोगों को कचरे में रोज़ खाना फेंकते हुए, तो सोच में पड़ जाती हूँ। क्या भोजन की कीमत सिर्फ कुछ रुपए हैं? मैं अपने सवाल का जवाब तलाशते-तलाशते अचानक रुआसी हो उठती हूँ। उस किसान की मेहनत को याद करके, जिसने अपना दिन-रात एक करके अनाज उगाया होगा। जबकि हवा, पानी के बाद अन्न ही है, जिसके बगैर मानव जीवन असम्भव है। हम चाहे दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद हों, लेकिन हमारी थाली हमेशा ही खुद में दुनियाभर के स्वाद को समेट लेती है। किसी मिट्टी का उगा चावल, तो किसी की दाल और मसाले। कहीं का तेल, तो कहीं का गेहूँ। इन सबके बिन भारतीय थाली का निर्माण हो ही नहीं सकता।

यह भोजन सिर्फ हमारे पेट भरने का ज़रिया मात्र नहीं है। बल्कि एक रिश्ता है प्रेम का। अन्नदाता और हमारे बीच प्रेम का प्रतीक है। कभी तपती गर्मी में, कभी शीत लहरों के बीच, तो कभी बारिश में। कितने जतन करके किसान ने पूरे साल की मेहनत लगाकार उस फसल को उगाया होगा। कभी तो बीमारी से जूझने के बावजूद वह फसल सींचने आया होगा। तब जाकर कहीं ये अनाज, ये भोजन की थाली हम तक पहुँचती है। अपने अन्दर मिट्टी के महक लिए। नदियों के पानी की मिठास लिए। लेकिन इस सबके बदले में हमने अन्नदाता को क्या दिया? हमने उसकी मेहनत को ज़ाया कर दिया। यही नहीं, भोजन बरबाद करके हमने उसका अपमान भी किया।

भोजन की बरबादी के मामले में घरों का हाल जो है सो है ही, शादियों और पार्टियो में तो यह समस्या असमान तक पहुँच गई है। हम प्लेट में इतना खाना ले लेते हैं, जिसे अकेले खाना मुश्किल होता है। सो, एक झटके में अधखाया भोजन कचरे के डिब्बे के हवाले कर दिया करते हैं। और ऐसे ही एक-एक आदमी का मिलाकर इतना खाना बर्बाद हो जाता है कि उससे ग़रीबों की पूरी बस्ती का पेट भर जाए। लेकिन नहीं भरता। गरीबों की बस्तियाँ-दर-बस्तियाँ रोज कभी एक जून ताे कभी दोनों जून भोजन को तरसती रहती हैं। भूखे पेट सोते हैं, उन बस्तियों में रहने वाले लोग। मगर हम उनके बारे में एक बार भी नहीं सोचते और भोजन बरबाद कर देते हैं।

यही सब सोचकर इस लेख को लिखने का ख़्याल आया। मक़सद सिर्फ इतना है कि हम जब भी खाने को फेंक रहे हों, तो मन में ये जरूर सोचें कि कोई होगा, जिसको ये भी नसीब नहीं होता। कोई है, जिसका पेट हमारे हाथ से अन्न की बरबादी रुक जाने मात्र से भर सकता है। सो, आगे से जब आप भोजन को फेंके या किसी और को फेंकते देखें तो रुकें ओर रोकें भी। याद करें कि हमारे ही देश में रोज लाखों मासूम बच्चे तक भूखे पेट सोते हैं। भूख से मर जाते हैं। ऐसे में, हम लोग इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं? नहीं हो सकते। नहीं होना चाहिए।

याद रखिए, अनाज की बरबादी दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा नज़रंदाज़ की जाने वाली भी। हमारे, आपके लापरवाह रवैये की वजह से ही शायद। लिहाजा, सभी से निवेदन है कि खाना जरूरत के अनुसर बनाएँ। और थाली में उतना ही लें, जितने खा सकें।
——
(ज़ीनत #अपनीडिजिटलडायरी के सजग पाठकों में से एक हैं। दिल्ली के आरपीवीवी, सूरजमलविहार स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ती हैं। उन्होंने यह आर्टिकल सीधे #अपनीडिजिटलडायरी के ‘अपनी डायरी लिखिए’ सेक्शन पर पोस्ट किया है।)
——-
ज़ीनत के पिछले लेख
4- लड़कियों को भी खुले आसमान में उड़ने का हक है, हम उनसे ये हक नहीं छीन सकते
3- उड़ान भरने का वक्त आ गया है, अब हमें निकलना होगा समाज की हथकड़ियाँ तोड़कर
2- दूसरे का साथ देने से ही कर्म हमारा साथ देंगे
1- सुनें उन बच्चों को, जो शान्त होते जाते हैं… कहें उनसे, कि हम हैं तुम्हारे साथ

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

View Comments

  • आपकी बात बिल्कुल सही है । मैं आपकी बातों से सहमत हूं।

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

तिरुपति बालाजी के लड्‌डू ‘प्रसाद में माँसाहार’, बात सच हो या नहीं चिन्ताजनक बहुत है!

यह जानकारी गुरुवार, 19 सितम्बर को आरोप की शक़्ल में सामने आई कि तिरुपति बालाजी… Read More

4 hours ago

‘मायावी अम्बा और शैतान’ : वह रो रहा था क्योंकि उसे पता था कि वह पाप कर रहा है!

बाहर बारिश हो रही थी। पानी के साथ ओले भी गिर रहे थे। सूरज अस्त… Read More

1 day ago

नमो-भारत : स्पेन से आई ट्रेन हिन्दुस्तान में ‘गुम हो गई, या उसने यहाँ सूरत बदल’ ली?

एक ट्रेन के हिन्दुस्तान में ‘ग़ुम हो जाने की कहानी’ सुनाते हैं। वह साल 2016… Read More

2 days ago

मतदान से पहले सावधान, ‘मुफ़्तख़ोर सियासत’ हिमाचल, पंजाब को संकट में डाल चुकी है!

देश के दो राज्यों- जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में इस वक़्त विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल… Read More

3 days ago

तो जी के क्या करेंगे… इसीलिए हम आत्महत्या रोकने वाली ‘टूलकिट’ बना रहे हैं!

तनाव के उन क्षणों में वे लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं, जिनके पास शान,… Read More

5 days ago

हिन्दी दिवस :  छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, बड़ा सा सन्देश…, सुनिए!

छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, लेकिन बड़ा सा सन्देश... हम सब… Read More

5 days ago