विकास वशिष्ठ, मुम्बई
कल आम चुनाव के नतीज़े आ गए। चुनाव आम था, सो हर आदमी ख़ास था। ख़ास थी उसकी बातें। चाय की टपरियों से लेकर दफ़्तरों की मेज़ तक पर इन नतीज़ों की चर्चा रही। रहनी भी चाहिए। आख़िर पाँच साल में एक बार ऐसा मौक़ा आता है। और फिर अबकी बार तो तक़रीबन एक चौथाई सदी के बाद ऐसा मौक़ा आया था।
इन नतीज़ों पर बाज़ार भी रोया तो समर्थक भी। पता चला है कि बाज़ार को चुनाव नतीज़ों वाले दिन दोपहर तक ही क़रीब 43 लाख करोड़ रुपए का झटका लग गया। बहुत से लोग तो इसी झटके के कारण रोए। फिर भी बहुत से लोगों ने कहा, “कोई भी जीते यार… चाय मँगाओ, पीते हैं।”
बनारस में बाबा को पिछड़ते देख किसी ने कहा, “ई तो कांड हो गया महाराज!”
सोशल मीडिया वाले मीम दफ़्तरों से भी चल निकले। जब पूरा सोशल मीडिया नीतीश के पलटने पर मीम पोस्ट कर रहा था, तब किसी ने उत्तर प्रदेश में भाजपा की हालत देखकर कहा, “हमसे गुंडई नहीं।” दरअस्ल, ये सब मीम नहीं, जनभावनाएँ हैं और ये चुनाव इन्हीं जनभावनाओं पर केन्द्रित रहा।
याद कीजिए, इस चुनाव में बड़ा मुद्दा क्या था? मुझे ठीक से याद नहीं आता। इसका एक कारण ये हो सकता है कि मैंने चुनाव के दौरान ठीक से अख़बार पढ़े ही न हों। या फिर एक कारण ये कि मुद्दे बयानबाज़ी में कहीं दब गए हों। लेकिन इन नतीज़ों से कहीं न कहीं सब ख़ुश दिख रहे थे।
फिर भी इन नतीज़ों में एक सबसे बड़ी सीख छिपी है, जो सम्भवत: उभारकर सामने लाई जानी चाहिए। ख़ास तौर पर जनमानस बनाने वाले अख़बारों को। तक़रीबन ख़त्म हो चुकी मान ली गई एक पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा और नतीज़े सबके सामने हैं। सो, सबक ये कि
“रास्ते चलने से ही बनते हैं।” – फ्रांज़ काफ़्का
(यह क़ोट साभार यशवन्त व्यास जी)
——–
(नोट : विकास #अपनीडिजिटलडायरी के संस्थापकों में शामिल हैं। राजस्थान से ताल्लुक़ रखते हैं। मुंबई में नौकरी करते हैं। लेकिन ऊर्जा अपने लेखन से पाते हैं।)
——
विकास की डायरी के पिछले पन्ने
2 – एक फ्रेम, असीम प्रेम : हम तीन से छह दोस्त हो सकते थे, नहीं हो पाए
1 – माँ की ममता किसी ‘मदर्स डे’ की मोहताज है क्या? आज ही पढ़ लीजिए, एक बानगी!
अभी इसी शुक्रवार, 13 दिसम्बर की बात है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लोकसभा… Read More
देश में दो दिन के भीतर दो अनोख़े घटनाक्रम हुए। ऐसे, जो देशभर में पहले… Read More
सनातन धर्म के नाम पर आजकल अनगनित मनमुखी विचार प्रचलित और प्रचारित हो रहे हैं।… Read More
मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर को इन दिनों भिखारीमुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा… Read More
इस शीर्षक के दो हिस्सों को एक-दूसरे का पूरक समझिए। इन दोनों हिस्सों के 10-11… Read More
आकाश रक्तिम हो रहा था। स्तब्ध ग्रामीणों पर किसी दु:स्वप्न की तरह छाया हुआ था।… Read More