भारत का 78वाँ स्वतंत्रता दिवस : क्या महिलाओं के लिए देश वाक़ई आज़ाद है?

ज़ीनत ज़ैदी, दिल्ली

हम जब भारत का 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहे है तो एक बात ज़ेहन में रखना ज़रूरी है। वह ये कि क्या हम सच में आज़ाद हैं? विशेषकर, महिलाओं के लिए यह देश क्या वाक़ई आज़ाद है? कोई मेरी राय से असहमत हो सकता है, लेकिन मेरी नज़र में महिलाएँ आज अपने ही देश में, जो हमारा घर है, बँधी हुई सी रह रही हैं।

हम सब भारत भूमि को माँ मानते हैं। अपने त्योहारों पर कन्या पूजन करते हैं। बच्चियों पर हाथ उठाने से बचते हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाते हैं। लड़कियों को समान अधिकार देने-दिलाने की बातें करते हैं। और इसी देश में तमाम दरिन्दे बेटियों के साथ दुष्कर्म करते हैं। यही नहीं, वे दरिन्दे आज़ादी से घूमते भी रहते हैं। 

ताज़ा मिसालें मौज़ूद हैं, सबूत के तौर पर। मसलन- हाल ही में उत्तर प्रदेश का एक नेता मोइद खान नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म करता है। बार-बार करता है और उसका वीडियो भी बनाता है। बच्ची के घरवालों को इस बारे में तब पता चलता है, जब वह गर्भवती हो जाती है। घरवाले सहायता के लिए पुलिस के पास जाते हैं लेकिन वहाँ पहले-पहल रिपोर्ट लिखने से भी मना कर दिया जाता है। क्यों? क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में असरदार एक पार्टी का नेता है। 

उत्तर प्रदेश में ही गजेन्द्र सिंह नाम का, अधेड़ उम्र का एक सरकारी अधिकारी अपने परिचित के घर पर 6 साल की बच्ची से दुष्कर्म करता है। मगर इतने पर भी उसे सन्तुष्टि नहीं मिलती, तो वह वहीं घर में बँधी बकरी को भी हवस का शिकार बना लेता है! कितनी घिनौनी हरक़त!

इसी तरह, बंगाल के एक बड़े अस्पाताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म से कौन नावाक़िफ़ है भला? रात के 3:00 बजे अस्पाताल में ही दुष्कर्मी उस डॉक्टर के साथ दुष्कर्म करता है और फिर बेरहमी से उसकी हत्या कर देता है। लेकिन अब तक इस मामले में कार्रवाई के नाम पर क्या हुआ? बंगाल सरकार ने मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर अपना पल्ला झाड़ लिया और राज्य की सभी पार्टियाँ राजनीति में लग गईं!

ऐसे तमाम मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। इसीलिए हम लड़कियों को अक्सर ही यह एहसास होता रहता है कि इस देश की आज़ादी के इतने बरस बीत जाने के बाद भी हम सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि हम कहीं आज़ादख़्याली से घूम-फिर नहीं सकते। हम पर घरों से बाहर तो ख़तरा मँडराता ही है, घर में भी हम निश्चिन्त होकर नहीं बैठ पाते? अलबत्ता, औरतों से, लड़कियों से, बच्चियों से छेड़ख़ानी करने वाले, दुष्कर्म करने वाले, उनकी हत्याएँ करने वाले निश्चिन्त घूमते रहते हैं, हर वक़्त। उन्हें किसी बात का डर नहीं होता, न पुलिस का, न अदालतों का, न सरकारों का। उन्हें पता होता है कि अव्वल तो उनका कुछ होगा नहीं और अगर हुआ भी तो आसानी से बच जाएँगे! 

तो क्या हमने अपने देश में ऐसे आज़ाद माहौल की कल्पना की थी? हमें कोई बताए कि हम महिलाओं की सुरक्षा का ज़िम्मा कौन लेगा? पुलिस? प्रशासन? सरकार? हमारे घरवाले? या फिर हमें ख़ुद हर किसी से नाउम्मीद होकर अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अपने हाथ में लेनी होगी? कोई बताए कि हमारे दिल-दिमाग़ में घर कर गया डर किस तरह बाहर निकालेगा? उसके लिए ज़रूरी क़दम कौन उठाएगा? और इन सवालों के ज़वाब कौन देगा? 

याद रखिएगा, आज़ादी का ‘अमृत महोत्सव’ सही मायनों में उस दिन मनेगा, जिस दिन देश की किसी भी बेटी के साथ भारत भूमि पर दुष्कर्म नहीं होगा। जब हम अपने घरों, मुहल्लों, क़स्बों, शहरों, में आज़ादख़्याली से घूम-फिर सकेंगे। उससे पहले हर आज़ादी बेमानी है। सोचिएगा इस पर। ये अस्ल आज़ादी का मसला है।   

जय हिन्द 

——
(ज़ीनत #अपनीडिजिटलडायरी के सजग पाठक और नियमित लेखकों में से हैं। दिल्ली के आरपीवीवी, सूरजमलविहार स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं। लेकिन इतनी कम उम्र में भी अपने लेखों के जरिए गम्भीर मसले उठाती हैं।अच्छी कविताएँ भी लिखती है। वे अपनी रचनाएँ सीधे #अपनीडिजिटलडायरी के ‘अपनी डायरी लिखिए’ सेक्शन या वॉट्स एप के जरिए भेजती हैं।)
——-
ज़ीनत के पिछले 10 लेख 

26 – बेहतर है कि इनकी स्थिति में सुधार लाया जाए, एक कदम इनके लिए भी बढ़ाया जाए
25 – ‘जल पुरुष’ राजेन्द्र सिंह जैसे लोगों ने राह दिखाई, फिर भी जल-संकट से क्यूँ जूझते हम?
24 – ‘प्लवक’ हमें साँसें देते हैं, उनकी साँसों को ख़तरे में डालकर हमने अपने गले में फ़न्दा डाला!
23 – साफ़-सफ़ाई सिर्फ सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं, देश के हर नागरिक की है
22 – कविता : ख़ुद के अंदर कहीं न कहीं, तुम अब भी मौजूद हो 
21 – धूम्रपान निषेध दिवस : अपने लिए खुशी या अपनों के लिए आँसू, फ़ैसला हमारा!
20 – बच्चों से उम्मीदें लगाने में बुराई नहीं, मगर उन पर अपेक्षाएँ थोपना ग़लत है
19- जानवरों के भी हुक़ूक हैं, उनका ख़्याल रखिए
18 – अपने मुल्क के तौर-तरीक़ों और पहनावे से लगाव रखना भी देशभक्ति है
17- क्या रेस्टोरेंट्स और होटल भी अब ‘हनी ट्रैप’ के जरिए ग्राहक फँसाने लगे हैं?

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

‘देश’ को दुनिया में शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है क्योंकि कानून तोड़ने में ‘शर्म हमको नहीं आती’!

अभी इसी शुक्रवार, 13 दिसम्बर की बात है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लोकसभा… Read More

2 days ago

क्या वेद और यज्ञ-विज्ञान का अभाव ही वर्तमान में धर्म की सोचनीय दशा का कारण है?

सनातन धर्म के नाम पर आजकल अनगनित मनमुखी विचार प्रचलित और प्रचारित हो रहे हैं।… Read More

4 days ago

हफ़्ते में भीख की कमाई 75,000! इन्हें ये पैसे देने बन्द कर दें, शहर भिखारीमुक्त हो जाएगा

मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर को इन दिनों भिखारीमुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा… Read More

5 days ago

साधना-साधक-साधन-साध्य… आठ साल-डी गुकेश-शतरंज-विश्व चैम्पियन!

इस शीर्षक के दो हिस्सों को एक-दूसरे का पूरक समझिए। इन दोनों हिस्सों के 10-11… Read More

6 days ago

‘मायावी अम्बा और शैतान’ : मैडबुल दहाड़ा- बर्बर होरी घाटी में ‘सभ्यता’ घुसपैठ कर चुकी है

आकाश रक्तिम हो रहा था। स्तब्ध ग्रामीणों पर किसी दु:स्वप्न की तरह छाया हुआ था।… Read More

7 days ago