प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार)
विकास, नई दिल्ली से
बड़ा मौज़ूँ सा सवाल है। अक्सर ज़ेहन में आया करता है कि हिन्दुस्तान में अंग्रेजी अनिवार्य है क्या? ये नाहक ही नहीं आया है। दरअस्ल, हिन्दी में काम करने वाले लोग लगातार कम होते जा रहे हैं, क्योंकि अधिकांश लोगों की शिक्षा इन दिनों अंग्रेज़ी में होती है। हिन्दी में जो लोग काम करना चाहते हैं। हिन्दी सम्वाद, व्यवहार करना चाहते हैं, उन्हें अंग्रेज़ी में भी अनिवार्यतः करना ही पड़ता है।
हम सबकी मानसिकता ऐसी बना दी गई है कि अगर हम अंग्रेज़ी नहीं लिख पाए तो शर्म से मारे जाएँगे। इसीलिए हिन्दी वाले भी अंग्रेज़ी में लिखकर खुद को धन्य समझते हैं। लेकिन क्या हिन्दी न लिख पाने पर भी हमें ऐसी ही शर्म आती है? हिन्दी में बात, व्यवहार, पत्राचार वग़ैरा कर के ख़ुद को धन्य समझते हैं क्या? शायद नहीं। इसीलिए लगता है कि अंग्रेज़ी कीअनिवार्यता लिखित में हो न हो, व्यवहार में तो है।
इसी कारण से सवाल फिर यह भी रह जाता है, अनुत्तरित, कि जब व्यवहार में सही, अंग्रेज़ी अनिवार्य है, तो कोई एक और भाषा में काम करने का कष्ट क्यों उठाएगा? भले वह हिन्दी या अन्य कोई मातृभाषा ही क्यों न हो?
—–
(विकास, निजी कम्पनी में नौकरी करते हैं। #अपनीडिजिटलडायरी के संस्थापक सदस्य हैं।)
पिता... पिता ही जीवन का सबसे बड़ा संबल हैं। वे कभी न क्षीण होने वाला… Read More
“Behind every success every lesson learn and every challenges over comes their often lies the… Read More
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम ने शनिवार, 14 जून को इतिहास रच दिया। उसने पाँच दिनी… Read More
अहमदाबाद से लन्दन जा रहा एयर इण्डिया का विमान गुरुवार, 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो… Read More
क्या आपकी टीम अपने घर से दफ़्तर का काम करते हुए भी अच्छे नतीज़े दे… Read More
बीते महीने की यही 10 तारीख़ थी, जब भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान… Read More