टीम डायरी, 28/4/2022
हमारा कोई दिन बिना नाम का नहीं होता। वैसे ही महीनों के नाम हैं। और तो और साल का भी नाम निर्धारित किया हुआ है। लेकिन ये नाम कैसे क्यों रखे गए होंगे? यह ख्याल आते ही हमें इनका जवाब नहीं मिल पाता। इसी तरह भारतीय पंचांग को हम बस दिनों, महीनों, तारीखों को ध्यान रखने के लिए ही याद करते हैं। क्या पंचांग इतना भर है? तो फिर क्या खास है इसमें? और प्राचीन भारत के खगोल शास्त्र के विषय में तो हम सोचते हैं कि वह वैज्ञानिक नहीं है, केवल कुंडली बनाने का तरीका भर है। क्या यही सच है? या सच्चाई कुछ और है?
इस तरह के सभी सवालों के जवाब मिलेंगे 30 अप्रैल, शनिवार को हो रही ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी में। इसका विषय है, ‘भारतीय खगोल शास्त्र एवं पंचांग की प्रामाणिकता।’ ‘हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय’, धर्मशाला और ‘भारत प्रज्ञाप्रतिष्ठानम्’, नई दिल्ली मिलकर यह संगोष्ठी आयोजित कर रहे हैं।
#अपनीडिजिटलडायरी इसमें जनसंचार सहयोगी है। संगोष्ठी का पूरा विवरण और उपस्थित अतिथियों, वक्ताओं के बारे में पूरी जानकारी आमंत्रण पत्र पर है, जो तस्वीर के तौर पर इस लेख के साथ दिया गया है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में आप सभी सादर आमंत्रित हैं। इसके लिए विभिन्न लिंक नीचे दी जा रही हैं
वेबिनार में जुड़ने के लिए गूगल लिंक
https://meet.google.com/uvp-rmti-iyp
आमंत्रण पत्रक हेतु कृपया निम्न लिंक पर क्लिक करें –
https://bit.ly/398j3FJ
राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने वाले सदस्यों को प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। प्रमाणपत्र प्राप्त करने के इच्छुक सदस्यों के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।
रजिस्ट्रेशन लिंक
https://bit.ly/3LW5G9E
यूट्यूब लाइव के माध्यम से जुड़ने हेतु लिंक
https://bit.ly/37FbvJJ
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