विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 7/4/2022
अमेरिका में भारत के एटार्नी हिमांशु राजन शर्मा से संपर्क किया है। …..अमेरिका में कानून की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही हिमांशु राजन शर्मा गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने में जुट गए थे। वे न्यूयॉर्क में शर्मा एंड डीयंग नाम की लॉ फर्म में पार्टनर हैं और गैस मामले में भारत के एटॉनी भी । साथ ही न्यूयॉर्क के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन और उसके तत्कालीन चेयरमैन वारेन एंडरसन के खिलाफ 2007 में जानकी लाल साहू और अन्य द्वारा दायर मुकदमे में लीडिंग वकील वे ही हैं। उनकी विशेषज्ञता मुश्किल अंतरराष्ट्रीय मुकदमे हैं। गैस पीड़ितों में से कुछ लोगों से स्वयं संपर्क कर उनके लिए उन्होंने न्यूयॉर्क में एंडरसन और यूनियन कार्बाइड के खिलाफ मुकदमा दायर किया। इस मुद्दे पर उनसे ईमेल के जरिए सवाल-जवाब किए।
• एंडरसन के भारत प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालतों में क्या किया जा सकता है?
→ यूनियन कार्बाइड कंपनी के अध्यक्ष होने के नाते उस पर आरोप गैरइरादतन हत्या का है, आपराधिक लापरवाही का नहीं। एंडरसन ने मुचलके की शर्तें तोड़ी और फरार हो गया। इसलिए भारत सरकार बहुत कुछ कर सकती है, जिससे भोपाल की अदालत में यूनियन कार्बाइड की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके। और उस पर गैरइरादतन हत्या का मामला चलाया जा सके। अमेरिकी कानून निश्चित ही भारत को अमेरिकी अदालत में अपील दायर करने की अनुमति देंगे ताकि यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन को भारतीय अदालत के समक्ष पेश होना पड़े।
• हमें क्या कदम उठाने चाहिए ताकि दोषियों को कठघरे में खड़ा किया जा सके?
→ भारत सरकार को दो बातों पर ध्यान देना चाहिए। पहला तो है भोपाल स्थित कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले रसायन से प्रभावित आसपास की 16 बस्तियों और दूषित पानी की सफाई सुनिश्चित कराने के लिए संघीय और प्रांतीय कानून का सहारा लेना। इसके लिए न्यूयॉर्क में लगातार कोशिश करनी होगी। भूस्वामी होने के कारण भारत सरकार का हक बनता है कि वह दुर्घटनास्थल की अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार सफाई का दावा करे। यूनियन कार्बाइड प्लांट की जमीन तो भारत ने यूसीसी को लीज पर दी है। दूसरा, भारत को ऐसे कदम तो उठाने ही होंगे जिससे 1984 के हादसे की जिम्मेदार कंपनी यूनियन कार्बाइड आपराधिक मामले में भारतीय अदालत में हाजिर हो। मुकदमा गैरइरादतन हत्या की धारा के तहत चलना चाहिए। अमेरिकी कोर्ट यूसीसी को भारतीय अदालत में हाजिर होकर मुकदमे का सामना करने को कहेगी।
• क्या आपको लगता है एंडरसन के खिलाफ उपलब्ध सबूत उसके प्रत्यर्पण के लिए काफी हैं?
→ मेरा मानना है कि यूनियन कार्बाइड के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। इसका अपनी भारतीय कंपनी के साथ सीधा जुड़ाव, उस पर नियंत्रण और उसको खतरनाक तकनीक देना आदि हर तरह से पर्याप्त सबूत हैं। ये सबूत भारत के पास हैं। यदि नहीं हैं तो आसानी से जुटाए जा सकते हैं। यूनियन कार्बाइड की अनुषंगी भारतीय कंपनी एक कीटनाशक का उत्पादन करती। उसकी तकनीक और पेटेंट यूका का था। इसलिए यूसीसी हर हाल में इस तकनीक के कारण होने वाले नुकसान की जिम्मेदार होती है। भले ही वजह 1984 का हादसा हो या अभी हो रहा पर्यावरण प्रदूषण।
• न्याय मिलने में देरी के लिए आप किसे जिम्मेदार ठहराते हैं?
→ मेरे कई भारतीय वकील मित्र बताते हैं कि सिस्टम धराशायी ही होने वाला है। 25 साल या और ज्यादा समय की देरी भारत में असामान्य बात नहीं है। इसलिए गैस त्रासदी का मामला इससे अलग नहीं है। हां इन 25 सालों में एक के बाद एक हर सरकार ने वादे तो किए लेकिन न्यायिक सुधार के लिए जबानी जमाखर्च के अलावा कुछ नहीं किया।
• गैस पीड़ितों को अपर्याप्त मुआवजा मिला। यह कैसे बढ़ सकता है।
→ मुआवजा तो यकीनन बेहद कम है। डाऊ केमिकल्स के प्रवक्ता ने कहा ही था, ‘मुआवजा एक भारतीय के लिए तो काफी है।’ यह डाऊ और यूसीसी की रंगभेद नीति का साफ खुलासा करता है। भारतीय स्तर पर भी मुआवजा कम ही है। यह बात कई अध्ययनों में साबित हो चुकी है। गैस पीड़ितों के लिए मुआवजा बढ़ाया जाना ही एकमात्र रास्ता है। भावी पीढ़ी की जरूरतों को देखते हुए तो यह जरूरी ही है। आपराधिक जुर्माने के जरिए भी पीड़ितों को मुआवजा दिया जा सकता है।
…. केंद्र सरकार भोपाल के लिए कुल पांच हजार करोड़ रुपए का राहत पैकेज घोषित कर सकती है। यह पैकेज गैस त्रासदी के कारण शहर के 5.72 लाख पीड़ित बाशिंदों, शहर के पर्यावरण और सामाजिक ढांचे को हुए नुकसान के मुआवजे के रूप में होगा। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय समूह (जीओएम) सोमवार को इसकी सिफारिश कर सकता है। पिछले तीन दिन में जीओएम के चार सत्रों की अध्यक्षता करने वाले चिदंरबम ने बताया कि सारी तैयारियां हो चुकी हैं। हम सोमवार को अपनी सिफारिशें प्रधानमंत्री को सौंप देंगे। मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने केंद्र के प्रस्तावित पैकेज पर संतुष्टि जताते हुए कहा, ‘उम्मीद है कि हमारी ज्यादातर मांगें पूरी होंगी।’ जीओएम ने गैस त्रासदी के मुआवजे के रूप में यूनियन कार्बाइड से हुए 47 करोड़ डॉलर (2169 करोड़ रुपए) के समझौते की राशि को बढ़ाने की भी सिफारिश की है।
पैकेज में पीड़ितों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने की बात है। यह रकम उन्हें मिल चुकी मुआवजा राशि के लगभग बराबर होगी। मध्यप्रदेश सरकार ने भोपाल के शेष 20 वार्डों को भी गैस पीड़ित मानकर प्रभावित तीन लाख से ज्यादा लोगों को 25-25 हजार रुपए मुआवजा देने की मांग की है। जीओएम ने इसे भी पैकेज शामिल किया है। पैकेज में गैस पीड़ितों में कैंसर के शिकार 2,462 मरीजों को जीवन पर्यंत एक-एक हजार रुपए प्रतिमाह चिकित्सा सहायता देने की मांग भी शामिल है। इसके अलावा भोपाल में पर्यावरणीय सुधार कार्यों के लिए 982 करोड़ रुपए के एक्शन प्लान की भी सिफारिश है।
(जारी….)
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(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
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श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ
33. और ये हैं जिनकी वजह से केस कमजोर होता गया…
32. उन्होंने आकाओं के इशारों पर काम में जुटना अपनी बेहतरी के लिए ‘विधिसम्मत’ समझा
31. जानिए…एंडरसरन की रिहाई में तब के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की क्या भूमिका थी?
30. पढ़िए…एंडरसरन की रिहाई के लिए कौन, किसके दबाव में था?
29. यह अमेरिका में कुछ खास लोगों के लिए भी बड़ी खबर थी
28. सरकारें हादसे की बदबूदार बिछात पर गंदी गोटियां ही चलती नज़र आ रही हैं!
27. केंद्र ने सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी
26.एंडरसन सात दिसंबर को क्या भोपाल के लोगों की मदद के लिए आया था?
25.भोपाल गैस त्रासदी के समय बड़े पदों पर रहे कुछ अफसरों के साक्षात्कार…
24. वह तरबूज चबाते हुए कह रहे थे- सात दिसंबर और भोपाल को भूल जाइए
23. गैस हादसा भोपाल के इतिहास में अकेली त्रासदी नहीं है
22. ये जनता के धन पर पलने वाले घृणित परजीवी..
21. कुंवर साहब उस रोज बंगले से निकले, 10 जनपथ गए और फिर चुप हो रहे!
20. आप क्या सोचते हैं? क्या नाइंसाफियां सिर्फ हादसे के वक्त ही हुई?
19. सिफारिशें मानने में क्या है, मान लेते हैं…
18. उन्होंने सीबीआई के साथ गैस पीड़तों को भी बकरा बनाया
17. इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?
16. पहले हम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं… गुलाम, ढुलमुल और लापरवाह!
15. किसी को उम्मीद नहीं थी कि अदालत का फैसला पुराना रायता ऐसा फैला देगा
14. अर्जुन सिंह ने कहा था- उनकी मंशा एंडरसन को तंग करने की नहीं थी
13. एंडरसन की रिहाई ही नहीं, गिरफ्तारी भी ‘बड़ा घोटाला’ थी
12. जो शक्तिशाली हैं, संभवतः उनका यही चरित्र है…दोहरा!
11. भोपाल गैस त्रासदी घृणित विश्वासघात की कहानी है
10. वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया!
अलग समस्या का समाधान अलबेले तरीक़े से होता है। यह साबित किया है कि बेंगलुरू… Read More
डर गुस्से की तरह नहीं होता। यह अलग-अलग चरणों में आता है, जिन्हें गिना नहीं… Read More
ज़िन्दगी में कुछ अनुभव हमें विनम्र बना जाते हैं, बताता हूँ कैसे...पढ़िएगा! मैं बस से… Read More
श्रृंखला की पिछली कड़ी और कड़ियों में हमने देखा कि सनातन वैदिक धर्म में श्रौत… Read More
एक पौराणिक कथा है, भस्मासुर की। उसका असली नाम वृकासुर था। उसने बड़ी तपस्या से… Read More
...और ऐसी गैरज़िम्मेदाराना करतूत पर कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं। हाँ, अमेरिका के… Read More