नासिक के चंद्रप्रकाश पाटिल को अगर जानते हैं तो भी फिर जाना जा सकता है

टीम डायरी, 4/3/2022

नासिक, महाराष्ट्र के चन्द्रप्रकाश पाटिल। उन्हें सिर्फ़ नासिक के लोग ही नहीं जानते, देश भर के लोग पहचानते हैं। साल में दो-तीन बार इनके बारे में कहीं न कहीं, कुछ न कुछ ख़बर आती रहती है। हालांकि तब भी सम्भव है कि बहुत से लोग इन्हें न जानते हों। इनके काम को न जानते हों। इसलिए #अपनीडिजिटलडायरी ने भी इनके सरोकारों के साथ जुड़ने की कोशिश की है। इसमें दूसरा मक़सद यह भी है कि भले चन्द्रप्रकाश के प्रयास जाने-माने हैं, लेकिन उनके बारे में बार चर्चा होना ज़रूरी समझा जा सकता है। कहा जाता है न, ‘रसरी आवत जात ही, सिल पर पड़त निसान’। यानि सिल अर्थात् पत्थर पर निशान बनाना है, तो रस्सी को कई बार उस पर घिसना पड़ता है। तब मक़सद पूरा होता है। 

तो चन्द्रप्रकाश की कहानी यूँ है कि ये हर रोज़ शहर के बीच से गुज़रने वाली गोदावरी नदी के पुल पर खड़े रहते हैं। बिना नागा, सुबह से रात करीब 11 बजे तक। इस दौरान जो कोई भी नदी में गंदगी डालने की कोशिश करता है, उसे रोकते हैं। समझाते हैं। कई बार लोगों से इनके झगड़े भी हाे जाते हैं। तब ये नदी का पानी बोतल में भरकर लाते हैं और उस झगड़ने वाले से उसे पीने के लिए कहते हैं। जब वह उससे इंकार करता है, तो उसे फिर समझाते हैं। जल, जंगल, ज़मीन, हवा के प्रदूषण के बारे में। और इस तरह अपनी बात पर मनवा कर ही दम लेते हैं। फिर पूरा कचरा समेटकर रात को कायदे से उसका निस्तारण कर देते हैं। चन्द्रप्रकाश यह काम बीते 5-6 साल से कर रहे हैं। न इनका ज़ुनून कम हुआ, न जज़्बा। 

तो है न, इनका काम काबिल-ए-तारीफ़? बार-बार पढ़े जाने, कहे जाने, समझे जाने, शेयर करने लायक? बस, इसीलिए डायरी के पन्‍नों पर इस काम ने, इस शख़्सियत ने अपनी जगह बनाई है। 

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

पहलगाम आतंकी हमला : मेरी माँ-बहन बच गईं, लेकिन मैं शायद आतंकियों के सामने होता!

पहलगाम में जब 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ, तब मेरी माँ और बहन वहीं… Read More

10 hours ago

सुनो सखी…, मैं अब मरना चाहता हूँ, मुझे तुम्हारे प्रेम से मुक्ति चाहिए

एक ‘आवारा’ ख़त, छूट गई या छोड़ गई प्रियतमा के नाम! सुनो सखी मैं इतने… Read More

13 hours ago

भारत ने फेंका पासा और पाकिस्तान का पैर कुल्हाड़ी पर, गर्दन फन्दे में! जानिए कैसे?

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला तो करा दिया, लेकिन उसे शायद ऐसी… Read More

2 days ago

चिट्ठी-पत्री आज भी पढ़ी जाती हैं, बशर्ते दिल से लिखी जाएँ…ये प्रतिक्रियाएँ पढ़िए!

महात्मा गाँधी कहा करते थे, “पत्र लिखना भी एक कला है। मुझे पत्र लिखना है,… Read More

3 days ago

वास्तव में पहलगाम आतंकी हमले का असल जिम्मेदार है कौन?

पहलगाम की खूबसूरत वादियों के नजारे देखने आए यात्रियों पर नृशंसता से गोलीबारी कर कत्लेआम… Read More

3 days ago

चिट्ठी, गुमशुदा भाई के नाम : यार, तुम आ क्यों नहीं जाते, कभी-किसी गली-कूचे से निकलकर?

प्रिय दादा मेरे भाई तुम्हें घर छोड़कर गए लगभग तीन दशक गुजर गए हैं, लेकिन… Read More

5 days ago