Tirupati-Laddu

तिरुपति बालाजी के लड्‌डू ‘प्रसाद में माँसाहार’, बात सच हो या नहीं चिन्ताजनक बहुत है!

टीम डायरी

यह जानकारी गुरुवार, 19 सितम्बर को आरोप की शक़्ल में सामने आई कि तिरुपति बालाजी मन्दिर के लड्‌डू प्रसाद में ‘माँसाहार की मिलावट’ हुई है। ख़ुद आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू ने यह आरोप लगाया है। नीचे एक वीडियो दिया गया है। इसे सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कई लोग साझा कर रहे हैं। इस वीडियो में नायडू तेलुगु भाषा में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे हैं। जो लोग तेलुगुभाषी नहीं हैं, उन्हें भी उनके भाषण में आए तीन-चार शब्द साफ़ तौर पर सुनाई दे जाएँगे। एक- तिरुमला लड्‌डू, दूसरा- कंप्लेन्ट्स मतलब शिकायतें, तीसरा- प्रसाद अपवित्र, चौथा- एनीमल फैट यानि जानवर की चर्बी।   

जैसे ही नायडू का यह बयान सामने आया, मीडिया में भी इससे जुड़ा समाचार पहली सुर्ख़ी बन गया। इसके साथ-साथ एक काग़ज़ भी सार्वजनिक हुआ। बताया गया कि यह उस प्रयोगशाला की जाँच रिपोर्ट का परिशिष्ट है, जिसमें लड्‌डू प्रसाद के नमूनों की जाँच की गई। वह परिशिष्ट ऊपर दिखाई दे रहा है। साथ ही इस लेख के साथ लगी मुख्य तस्वीर में भी वह संलग्न है, देखा जा सकता है। इसमें तीन पदार्थों का उल्लेख है। पहला- ‘फिश ऑयल’ यानि मछली का तेल। दूसरा- ‘बीफ़ टैलो’ मतलब गौवंश की चर्बी। तीसरा- लार्ड अर्थात् सुअर की चर्बी। 

हालाँकि अपने इस सनसनीख़ेज़ बयान के साथ नायडू ने इसमें एक राजनीतिक कोण भी जोड़ दिया। उनके मुताबिक, यह तिरुपति देवस्थानम् में यह घपला राज्य की पूर्ववर्ती जगनमोहन सरकार के दौरान हुआ। लेकिन उन्होंने इसकी जाँच कराने के बाद अब वहाँ पूरी तरह शुचिता स्थापित कर दी है। बस इसीलिए, यहीं से सवाल भी खड़ा हो गया कि उनका बयान, उनके द्वारा कराई गई जाँच कहीं राजनीति से प्रेरित तो नहीं है? उनके आरोपनुमा बयान में सच्चाई पूरी है भी या नहीं? जाँच के बाद उन्होंने किसी पर कार्रवाई किए जाने का उल्लेख क्यों नहीं किया?

कम से कम अभी तो इन सवालों के ज़वाब नहीं है। फिर भी मामला हर सिरे से बहुत चिन्ताजनक है। क्योंकि अगर इतने बड़े देवस्थान के पवित्र प्रसाद में मिलावट हुई है, उसे दूषित करने का प्रयास किया गया है, तो यह बहुत गम्भीर अपराध है। साज़िश है। करोड़ों-करोड़ लोगों की आस्था से खिलवाड़ ही नहीं, क़रारी चोट है उस पर। और अगर आरोप निराधार हैं, झूठे हैं, तो भी विषय चिन्ता का ही है। इसलिए कि राजनेताओं ने अब राजनीतिक फ़ायदे के लिए देवस्थानों की गरिमा का ख़्याल रखना भी छोड़ दिया है क्या? ऐसी राजनीति के अंज़ाम कहाँ पहुँचेंगे आख़िर? 

सोशल मीडिया पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *