Delivery Boy

प्रशिक्षित लोग नहीं मिल रहे, इसलिए व्यापार बन्द करने की सोचना कहाँ की अक्लमन्दी है?

निकेश जैन, इन्दौर मध्य प्रदेश

इन्दौर में मेरे एक मित्र हैं। व्यवसायी हैं। लेकिन वह अपना व्यवसाय बन्द करना चाहते हैं। क्यों? इसलिए उन्हें अपने व्यवसाय के लिए कुशल और प्रशिक्षित काम करने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं। अचरज की बात है न? मुझे भी अचरज हुआ था। मगर उन्होंने जब अपनी समस्या विस्तार से बताई तो मैं सोचने पर मज़बूर हुआ। 

मेरे मित्र एयर कण्डीशनिंग के व्यवसाय में हैं। वह बड़ी व्यावसायिक इमारतों और दफ़्तरों में एयर कण्डीशन लगाते हैं। उनके पास लगातार इस तरह के काम की माँग बनी हुई है। ख़ूब काम आ रहा है। क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। इस स्थिति के बावज़ूद प्रशिक्षित काम करने वालों की कमी के कारण वह अब अपना व्यवसाय समेटने का मन बना चुके हैं।  इस पर मैंने उनसे कहा कि बहुत से युवा हैं, जिन्हें लगातार काम की तलाश है। काम के लिए उपलब्ध भी हैं वे। फिर परेशानी कहाँ है? तो जानते हैं उन्होंने क्या कहा? 

उन्होंने कहा, “आज का युवा कोई अच्छा हुनर सीखने के बजाय फूड डिलीवरी ब्वाय बनने को ज़्यादा प्राथमिकता दे रहा है। इसलिए कि उस काम में उसे अच्छी-ख़ासी कमाई हो जाती है। हमारे व्यवसाय में जिस तरह के हुनरमन्द लोगों की ज़रूरत है, उसकी कमी का सबसे बड़ा कारण भी यही है। युवाओं को लगता है कि कोई हुनर सीखने के बाद भी शुरू में उतना पैसा नहीं मिलता, जितना डिलीवरी ब्वाय के तौर पर काम करने से मिल जाता है।” 

दिलचस्प समस्या है न?  एक तरफ़ तो हम सुन रहे हैं कि देश में बेरोज़गारी बहुत है। दूसरी तरफ़, कहानियाँ ऐसी भी हैं कि लोग काम करने वालों की कमी के कारण अपना व्यवसाय बन्द करने की सोचने लगे हैं। मुझे याद है, कुछ वक़्त पूर्व एलएण्डटी कम्पनी के प्रमुख ने भी कुछ इसी तरह की बात कही थी। उनके मुताबिक, एलएण्डटी अधिक परियोजनाओं को अपने हाथ में नहीं ले पा रही है क्योंकि काम करने वाले पर्याप्त प्रशिक्षित लोग नहीं हैं।  

इसमें मेरी राय यह है कि हमारे शिक्षण संस्थानों के माध्यम से तो इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए हर उद्योग-विशेष को ही समाधान की पहल करनी होगी। ठीक उसी तरह जैसे 1990 के आख़िरी और 2000 के शुरू वर्षों में सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इस उद्योग ने ही ख़ुद प्रयास किया था। उस समय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स वग़ैरा बहुत नहीं होते थे। तो सूचना-प्रौद्योगिकी ने हर क़िस्म के युवाओं को भर्ती किया। उन्हें प्रशिक्षित किया और अपने काम का बनाया। देश में एनआईआईटी और एपटेक जैसे प्रशिक्षण संस्थान इसके बाद शुरू हुए।

कुशल और प्रशिक्षित काम करने वाले लोग नहीं मिल रहे, इसलिए व्यवसाय बन्द करने की सोचना कहाँ की अक्लमन्दी है? यह ख़राब विचार है। इससे बेहतर है कि लोगों को नौकरी दी जाए, उन्हें हुनर सिखाया जाए, ज़रूरी प्रशिक्षण दिया जाए और इस तरह अपने व्यवसाय को लगातार बढ़ाया जाए।

सही है न? 

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निकेश का मूल लेख

A businessman friend in Indore wants to shrink his business. Why?

Because he is not able to find skilled workers! Surprising. Right?

But then he explained – He is in air conditioning business where he does large size installments in commercial buildings and offices. Indian economy is growing and so the need for commercial buildings.

He is getting more work but he is not willing to take that because skilled workers are not available in that area!

I said there are so many young guys who are available?

He said – today a young guy is happy delivering food which can fetch him a decent amount. He is not willing to develop the skills that we need in our field because developing that skill may not fetch him enough extra money initially so obviously it is not attractive…

Interesting problem. Isn’t it?

On one side I keep hearing about unemployment in younger generation and on the other side I hear stories from business people who are not able to find workers!

Sometime ago I recall L&T chairman also had said something similar that L&T is not able to take projects worth billions of dollar due to lack of skilled workers!

In my opinion, our colleges and ITIs are NOT going to solve this problem. This issues needs to be resolved by respective industry itself. Like what software industry did in 90s and early 2000. In software we had shortage of people and they started hiring anybody and everybody. Just trained them and deployed. That’s when training institutes like NIIT, APTech etc. were established.

Letting go business because you can’t find trained workers is a bad idea!

Instead hire people and train them for the skills you need.

Thoughts? 

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(निकेश जैन, कॉरपोरेट प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख अपेक्षित संशोधनों और भाषायी बदलावों के साथ #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने इसे लिंक्डइन पर लिखा है।)

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