विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 21/4/2022
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंत्री समूह को गैस त्रासदी मामले पर हर हाल में 21 जून तक रिपोर्ट देने को कहा था। इसकी सबसे बड़ी यह रही कि प्रधानमंत्री समेत दर्जनभर केंद्रीय मंत्रियों को अगले कुछ दिनों में विदेश यात्रा पर निकलना है। अब जीओएम की रिपोर्ट मिलने के बाद प्रधानमंत्री 26-27 जून को जी-20 की बैठक के लिए निकलने से पहले ही इस पर कार्रवाई कर लेना चाहते हैं। गृह मंत्री पी. चिदंबरम 26 जून को सार्क बैठक के लिए पाकिस्तान जा रहे हैं। जबकि कुछ अन्य मंत्रियों को वर्ल्ड कप फुटबॉल देखने की जल्दी है। इनके अलावा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी वॉशिंगटन, नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल दक्षिण अफ्रीका, खेल मंत्री एमएस गिल चीन और कंपनी मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद आयरलैंड की यात्रा पर जाने वाले हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पहले ही विदेश दौरे पर हैं।
….सूचना के अधिकार के तहत 59 आवेदनों और महीनों तक दौड़धूप करके मंत्रियों और अफसरों की विदेश यात्राओं पर खर्च हुए धन का हिसाब 2008 में सरकार से मांगा। पता चला कि साढ़े तीन साल में केंद्र के 78 में से 71 माननीय मंत्रीगण 786 विदेश यात्राएं कर चुके थे। इनमें से 12 मंत्रियों में से हरेक ने तो ढाई लाख किमी से ज्यादा का सफर तय किया। इनकी हवाई यात्राओं में… 256 चक्कर पूरी धरती के लग जाते। इसमें अफसरों की हवाई यात्राएं शामिल नहीं हैं। अब यह राजकाज की बातें हैं।…जनता की जेब से जनसेवकों ने कितने सौ करोड़ रुपए इन यात्राओं पर फूंक दिए और इसका नतीजा देश के या जनता के हित में क्या निकला? हमने उन्हें चुना है। मतलब हमें उन पर भरोसा है। वे दुनिया में कभी भी, कहीं भी जाएं, वहां जाकर कुछ भी करें, भरोसा कायम रहना चाहिए कि इससे देश का और हमारा भला ही हो रहा होगा।
….भोपाल के बाकी 20 वार्डों को भी गैस पीड़ित घोषित करने की मांग जीओएम ने ठुकरा दी। शहर के 36 वार्ड ही गैस पीड़ित माने गए हैं। बाबूलाल गौर ने कहा, ‘गैस को किसी सीमा में नहीं बांधा जा इसलिए भोपाल के सभी 56 वाडाँ को गैस प्रभावित घोषित किया जाना चाहिए था।’ लेकिन सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ ने जीओएम के फैसले का समर्थन किया।…
पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह ने चुप्पी तोड़ी है।….लेकिन खोदा पहाड़ निकली चुहिया। अर्जुनसिंह ने यह कहने के लिए चुप्पी तोड़ी थी कि उन्होंने त्रासदी के मसले पर मीडिया से किसी तरह की बात नहीं की है। अर्जुन सिंह के हवाले से मीडिया रिपोटों में कहा गया था कि उन्होंने मामले के प्रमुख दोषी वॉरेन एंडरसन को भगाने में अपना हाथ होने के आरोप को खारिज कर दिया था। सिंह की ओर से सोमवार को जारी बयान में कहा गया है कि मीडिया में इस बारे में प्रकाशित रिपोर्ट गलत है। मतलब हमें उनकी आत्मकथा के छपकर बाजार में आने तक सच्चाई की खातिर इंतजार करना ही होगा। यह कुछ ऐसा ही है, जैसे मौन यह बताने के लिए तोड़ा जाए कि मैंने मौन नहीं तोड़ा था। क्या खूब अंदाज है।…
जीओएम की रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब नहीं है कि वॉरेन एंडरसन को देश में किसने भगाया। इससे पहले कांग्रेस के सभी प्रवक्ताओं ने आश्वस्त किया था कि जीओएम की बैठक में इस सवाल का जवाब मिलेगा। प्रवक्ता मनीष तिवारी ने सोमवार को कहा कि इस बारे में कोई टिप्पणी रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद ही की जा सकेगी। दूसरी तरफ एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, ‘जीओएम की बैठक में इस बारे में सोचा ही नहीं गया। इसके बजाय मंत्री समूह का ध्यान गैस पीड़ितों को मुआवजा बढ़ाने पर रहा। लेकिन इसमें भी वह सभी को खुश नहीं कर सकी है।
(जारी….)
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(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
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श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ
34. अब हर चूक दुरुस्त करेंगे…पर हुजूर अब तक हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे थे?
33. और ये हैं जिनकी वजह से केस कमजोर होता गया…
32. उन्होंने आकाओं के इशारों पर काम में जुटना अपनी बेहतरी के लिए ‘विधिसम्मत’ समझा
31. जानिए…एंडरसरन की रिहाई में तब के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की क्या भूमिका थी?
30. पढ़िए…एंडरसरन की रिहाई के लिए कौन, किसके दबाव में था?
29. यह अमेरिका में कुछ खास लोगों के लिए भी बड़ी खबर थी
28. सरकारें हादसे की बदबूदार बिछात पर गंदी गोटियां ही चलती नज़र आ रही हैं!
27. केंद्र ने सीबीआई को अपने अधिकारी अमेरिका या हांगकांग भेजने की अनुमति नहीं दी
26.एंडरसन सात दिसंबर को क्या भोपाल के लोगों की मदद के लिए आया था?
25.भोपाल गैस त्रासदी के समय बड़े पदों पर रहे कुछ अफसरों के साक्षात्कार…
24. वह तरबूज चबाते हुए कह रहे थे- सात दिसंबर और भोपाल को भूल जाइए
23. गैस हादसा भोपाल के इतिहास में अकेली त्रासदी नहीं है
22. ये जनता के धन पर पलने वाले घृणित परजीवी..
21. कुंवर साहब उस रोज बंगले से निकले, 10 जनपथ गए और फिर चुप हो रहे!
20. आप क्या सोचते हैं? क्या नाइंसाफियां सिर्फ हादसे के वक्त ही हुई?
19. सिफारिशें मानने में क्या है, मान लेते हैं…
18. उन्होंने सीबीआई के साथ गैस पीड़तों को भी बकरा बनाया
17. इन्हें ज़िन्दा रहने की ज़रूरत क्या है?
16. पहले हम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं… गुलाम, ढुलमुल और लापरवाह!
15. किसी को उम्मीद नहीं थी कि अदालत का फैसला पुराना रायता ऐसा फैला देगा
14. अर्जुन सिंह ने कहा था- उनकी मंशा एंडरसन को तंग करने की नहीं थी
13. एंडरसन की रिहाई ही नहीं, गिरफ्तारी भी ‘बड़ा घोटाला’ थी
12. जो शक्तिशाली हैं, संभवतः उनका यही चरित्र है…दोहरा!
11. भोपाल गैस त्रासदी घृणित विश्वासघात की कहानी है
10. वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया!