चरैवेति, चरैवेति…जीवन में इसका क्या अर्थ है, जानिए इस अहम आयोजन के जरिए

टीम डायरी, 27/2/2022

युद्ध के मैदान में महान योद्धा भ्रमित हो उठा है। क्या करे क्या न करे। तब श्रीकृष्ण उसे सहज भाव से अपने क्षत्रिय के कर्त्तव्यों के निर्वाह का आदेश देते हैं। और युद्ध की दिशा निश्चित हो जाती है।

ऐसे ही, वैदिक ऋषि भी सदैव जीवन के क्षेत्र में स्पष्ट आदेश देता है, “कर्त्तव्य का पालन कीजिए और अवसाद मुक्त रहिए।”

भारतीय ऋषि जीवन को सुखकर बनाने हेतु विविध उपायों का सुझाव देते रहे हैं। जैसे, हम तनाव और अवसाद के क्षणों से कैसे मुक्त हों? हमारी किंकर्त्तव्यविमूढता कैसे दूर हो? इसके उपाय में ऋषि जीवन के नैरन्तर्य की घोषणा करते हुए सहज भाव से कह उठता है, “चरैवेति चरैवेति” अर्थात्- चलते रहो, चलते रहो।

और जीवन को प्रबन्धित करने के सूत्रों को हम 28/2/2022 को असिस्टेंट प्रोफेसर दीनदयाल वेदालंकर जी से जानने का प्रयास करेंगे। #अपनीडिजिटलडायरी के सहयोग से।

इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए लिंकः https://meet.google.com/tpe-jfgy-skp

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