नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश
बीते महीने की यही 10 तारीख़ थी, जब भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान बड़े पैमाने पर अपनी मिट्टीपलीद करा लेने के बाद पाकिस्तान ने संघर्ष विराम के लिए भारत से मिन्नतें की थीं। इसके बाद आख़िर भारत ने भी दरियादिली दिखाते हुए संघर्ष विराम का पाकिस्तानी आग्रह स्वीकार कर लिया। तब तक भारत अपना उद्देश्य पूरा कर ही चुका था। पाकिस्तान के भीतर आतंक के नौ बड़े अड्डे तबाह किए जा चुके थे। उनमें सैकड़ों आतंकी और उनके समर्थक मारे गए थे। इसके बाद पाकिस्तान ने जब ज़वाबी कार्रवाई की तो भारत की ओर से दागी 19 ब्रह्मोस मिसाइलों तथा भारतीय वायुसेना के ताबड़तोड़ हमलों ने पाकिस्तान का कोना-कोना दहला दिया था। उसके 12 से अधिक सामरिक ठिकानों को तहस-नहस कर दिया था। इनमें पाकिस्तानी वायुसेना के प्रमुख अड्डे शामिल थे। नीचे दिए ग्राफिक में पूरा विवरण है। यह ग्राफिक भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से जारी किया गया है।
हालाँकि, इसके बाद भी कोई दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि भारत-पाकिस्तान के बीच में वाक़ई स्थायी संघर्ष विराम हो चुका है और अब दोनों देशों के बीच कोई युद्ध नहीं होगा। ऐसा मानने के कारण हैं। इनमें पहला तो यही कि ख़ुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह चुके हैं, “भारत का ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ अभी सिर्फ़ ठहरा है। समाप्त नहीं हुआ है। बल्कि अब यह सीमा पार से संचालित आतंक के ख़िलाफ़ भारत की नई नीति बन चुका है। यानि भविष्य में किसी भी आतंकी हमले का भारत इसी तरह ज़वाब देगा। आतंक की हर कार्रवाई युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी।”
ठीक इसी तरह की बात बार-बार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कह रहे हैं। विदेश मंत्री ने तो बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में मंगलवार, 10 जून को यहाँ तक कहा, “भारत अब आतंकी गतिविधि को तनिक भी बर्दाश्त नहीं करेगा। हमारा सन्देश बिल्कुल साफ है। यदि वे (पाकिस्तानी आतंकी) अप्रैल जैसी बर्बरतापूर्ण (पहलगाम आतंकी हमला) फिर करेंगे, तो हम उन्हें मुँहतोड़ ज़वाब देंगे। हमें इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि वे कहाँ छिपे हुए हैं। अगर वे पाकिस्तान में बहुत भीतर भी कहीं छिपे हुए होंगे, तो हम उन्हें वहाँ तक घुसकर भी मारेंगे।”
मतलब ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का अगला चरण कब तक ठहरा रहता है यह पूरी तरह पाकिस्तान पर निर्भर रहेगा। वह जैसे ही भारत में किसी आतंकी कार्रवाई को अंज़ाम देने की कोशिश करेगा, जिसकी संभावना से इंकार नहीं कर सकते, वैसे ही ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ अपने अगले विध्वंसक रूप में सामने आएगा, यह तय है। इसके अलावा एक और प्रमुख कारण है, ‘सिन्धु जल सन्धि’। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद से सिन्धु जल सन्धि को निलम्बित कर दिया है। इसके बाद से इस सन्धि के तहत जिन तीन नदियों (सिन्धु, झेलम और चिनाब) को 80 प्रतिशत से अधिक पानी पाकिस्तान को मिल रहा था, उसे रोक दिया है। इससे पाकिस्तान में भयंकर जल-संकट की स्थिति बनने लगी है।
पाकिस्तान में इन नदियों पर बने बाँध सूख रहे हैं। खरीफ की फसलों की बुवाई नहीं हो पा रही है। जो हुई है, वह फसल सिंचाई न हो पाने की वज़ह से बर्बाद हो रही है। पाकिस्तान अब तक भारत को चार बार पत्र लिख चुका है कि सिन्धु जल सन्धि पर फिर से बात शुरू की जाए। जिससे कि नदियों में पानी का समुचित बहाव शुरू किया जा सके। मगर भारत ने पाकिस्तान के सामने दो शर्तें ऐसी रखी हैं, जिन्हें मानना उसके बूते की बात नहीं। इनमें पहली है- भारत जिन आतंकी सरगनाओं को सजा दिलाना चाहता है, उन्हें उसके हवाले कर दिया जाए। दूसरी- पाकिस्तान अपने क़ब्ज़े वाले कश्मीर को स्वेच्छा से खाली कर दे। इसके बाद ही सिन्धु जल सन्धि पर कोई बातचीत होगी।
मतलब, कुल मिलाकर पाकिस्तान के सामने इधर कुआँ, उधर खाई वाली स्थिति है। और चूँकि पाकिस्तानी फौज जिहाद का नारा बुलन्द करती ही है। कश्मीर को अपने गले की नस बताती ही है। आतंकियों का खुलकर समर्थन करती ही है। यह सब किसी से छिपा नहीं है, तो यह भी तय मानिए कि देर-सबेर पाकिस्तान को कुआँ या खाई में गिरना है। वैसे भी, पाकिस्तान के बारे में अब यह धारणा बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है कि वह कोई मुल्क़ नहीं है, जिसके पास फौज़ होती है। बल्कि पाकिस्तान एक फौज़ है, जिसके पास मुल्क़ है। यानि यह देश उसकी फौज़ का बन्धक है। यह बात भारत समझ चुका है। इसीलिए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के पहले चरण में पाकिस्तान के नागरिक ठिकानों को निशाना बनाए बिना उसकी फौज़ की कमर तोड़ी गई। अब अगले चरण में उसे ध्वस्त करने की तैयारी है।
इसीलिए लिखा था, पहले से बड़ा और विध्वंसक होने वाला है ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का अगला चरण!