धूम्रपान निषेध दिवस : अपने लिए खुशी या अपनों के लिए आँसू, फ़ैसला हमारा!

ज़ीनत ज़ैदी, शाहदरा, दिल्ली

‘धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’, ये वाक्य हमें हर गली-चौराहे और नशीली चीज़ों पर अक्सर लिखा हुआ दिखता है। हम सब जानते हैं, मानते हैं कि यह 100 प्रतिशत सच भी है। लेकिन क्या इतना लिख देने भर से कोई नतीज़ा निकल रहा है? बिल्कुल नहीं। क्योंकि अगर निकलता, तो बीते 30 बरस से हर साल मार्च के दूसरे बुधवार (जो आज 13 तारीख़ को है) को ‘विश्व धू्म्रपान निषेध दिवस’ (World No Smoking Day) मनाने की ज़रूरत ही क्यों पड़ती? और फिर विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) भी मनाया जाता है। वह इस बार 31 मई को है। उसकी भी ज़रूरत क्यों होती? इतना ही नहीं, इस बार तो ‘धूम्रपान निषेध दिवस’ की विषय-वस्तु ही है, ‘बच्चों को धूम्रपान से बचाना’। अब फिर सोचिए। दुनियाभर में बच्चे भला कितना ही धूम्रपान करते होंगे?

ज़वाब के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवम्बर 2023 तक के आँकड़े देखिए। ये बताते हैं कि दुनियाभर में हर साल क़रीब 80 लाख लोग धूम्रपान और तम्बाकू आदि के सेवन के कारण मारे जाते हैं। इनमें से भी 13 लाख लोग तो धूम्रपान करते ही नहीं। तम्बाकू उत्पादों का भी सेवन नहीं करते। फिर भी मौत के मुँह में समा जाते हैं। क्यों? क्योंकि वे धूम्रपान करने वालों के सीधे सम्पर्क में रहकर बहुत सा ज़हर अपने फेंफड़ों में भर लेते हैं।  

ज़रा सोचिए। इन 13 लाख लोगों में से अधिकांश कौन होंगे? यक़ीनन, धूम्रपान करने वाले लोगों के परिजन, बच्चे और दोस्त वग़ैरा ही न? यानी इस तरह धूम्रपान करने वाला व्यक्ति अपने लिए तो मौत को दावत देता ही है, अपने परिवार के लोगों, बच्चों, दोस्तों-यारों को भी मौत के मुँह में धकेल देता है। और कमाल की बात है कि उसे इसका एहसास तक नहीं होता। अगर होता तो ज़्यादा नहीं, कम से कम, अपने बच्चों के लिए ही धूम्रपान छोड़ देता। 

मगर ऐसा नहीं होता। तो फिर क्या किया जाए? दरअस्ल, किसी की भी नशे की लत छुड़वाने के लिए हमारे लिए यह जानना ज़रूरी है कि उसके पीछे की वजह क्या है? आखिर इंसान नशे का सेवन करना क्यों चाहता है? मेरा ख़्याल है, अधिकांश लोगों के पास इसकी सिर्फ़ एक ही बड़ी वज़ह है, ‘दिल-ओ-दिमाग़ में घर कर गया कोई ख़ालीपन।’ उसे भरने के लिए पहले वे धूम्रपान को वक़्ती तौर पर अपना साथी बनाते हैं। फिर धीरे-धीरे वही उनकी लत बन जाता है। अलबत्ता, कुछ लोग यक़ीनन शौक़ में यह बुरी आदत शुरू करते हैं। पर ऐसे चुनिन्दा ही होंगे।

तो अब सवाल आता है कि क्या इस तरह के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाए? जी नहीं, हमें ध्यान देना चाहिए कि यही वह वक़्त है, जब उन्हें हमारे स्नेह, सहयोग और समर्थन की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। इसलिए हम क़ोशिश करें कि उन्हें धूम्रपान छोड़ने का सिर्फ़ मशवरा न दें। बल्कि उनके साथ खड़े हों। उनकी हिम्मत बनें। उनका हौसला बनें। ताकि उन्हें अपने ख़ालीपन को भरने के लिए धूम्रपान का सहारा न लेना पड़े। हम उनकी परेशानी को जानकर उसे हल करने की कोशिश करें। उन्हें बताएँ कि उनका नशा सिर्फ़ उन्हें नहीं, उनके परिजनों, प्रियजनों को भी जान का जोख़िम दे रहा है। नशा सिर्फ़ वह कर रहा है, पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष नतीज़े पूरा परिवार भुगत रहा है।

बहुत लोग जानते होंगे कि एक सिगरेट में क़रीब 4,000 तरह के रसायन होते हैं। इनमें से 50 तो सीधे कैंसर का कारण बनते हैं। इस बारे में सिगरेट जैसे उत्पाद बनाने वाली कम्पनियाँ हमें चेतावनी देती हैं, लेकिन इसका असर हम पर कुछ नहीं होता। सरकार ने भी नशीले सामान बेचने वालों को तो दंड देने का कानून में प्रावधान किया है। पर कानून को ठीक ढंग से लागू कराने का कोई गम्भीर प्रयास देशभर में कहीं नज़र नहीं आता। ऐसे उत्पादों का उत्पादन प्रतिबन्धित करने पर तो कोई बात ही नहीं होती क्योंकि ये सरकारी आमदनी का सबसे बड़ा ज़रिया हैं। 

हज़ारों नशा-मुक्ति केन्द्र भी हमारे आस-पास हैं। लेकिन वे नशामुक्त समाज गढ़ने में पूरी भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं। तो क्या करें? ज़वाब सिर्फ़ एक है। हमें ख़ुद ज़िम्मेदारी उठानी होगी। इसके लिए अव्वल तो हम ख़ुद में ही इच्छा-शक्ति विकसित करें कि किसी भी सूरत में नशे को संगी-साथी नहीं बनाना है। और अगर पहले की किसी ग़लती से हमारा साथ इस बुराई से हो भी गया है, तो किताबें, संगीत, सैर-सपाटा जैसे अच्छे नए दोस्त बनाकर इस बुरे, पुराने संगी को जितनी जल्दी हो, छोड़ दें। और कहने की बात नहीं कि इसमें परिवार और दोस्त वग़ैरा पूरा साथ दें। 

फ़ैसला हमारा है, हमें अपने लिए ख़ुशियाँ चुनना है या अपनों के लिए आँसू। 

जय हिन्द। 

#NoSmokingDay 
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(ज़ीनत #अपनीडिजिटलडायरी के सजग पाठक और नियमित लेखकों में से हैं। दिल्ली के आरपीवीवी, सूरजमलविहार स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती हैं। लेकिन इतनी कम उम्र में भी अपने लेखों के जरिए गम्भीर मसले उठाती हैं। वे अपने आर्टिकल सीधे #अपनीडिजिटलडायरी के ‘अपनी डायरी लिखिए’ सेक्शन या वॉट्स एप के जरिए भेजती हैं।)
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