टीम डायरी
जो दिखता है, वही हमेशा सही नहीं होता। जैसे कि इस वीडियो में। इसे पहली नज़र में देखने पर लगता है, जैसे कोई सिर कटा धड़ हाथ में शीशा लिए हुए बैठा हो। लेकिन दूसरे ही पल जब कैमरा दूसरे पहलू की तरफ़ जाता है तो वहाँ एक लड़की बैठी हुई दिखाई देती है।
«Confusing perspective»pic.twitter.com/I4NTqYuKE5
— Massimo (@Rainmaker1973) June 1, 2024
दरअस्ल, इसी में ज़िन्दगी का सबक छिपा है कि हमेशा किसी बारे में धारणा बनाने से पहले थोड़ी प्रतीक्षा करनी चाहिए। दूसरे पहलू के सामने की राह देखनी चाहिए। या दूसरा पहलू भी क्यों कहें? पूरा सच सामने आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। क्योंकि कई बार दो पहलुओं को मिलाकर भी सच मुकम्मल नहीं होता।
वह कहते हैं न, सिक्के के दो नहीं, तीन पहलू हुआ करते हैं। एक- जो हमने देखा। दूसरा- जो किसी दूसरे ने देखा। और तीसरा- वह जो पूरा है अपने आप में। ज़िन्दगी में इस छोटी सी बात को अगर याद रख लिया, तो कई ग़लतफ़हमियों से बचने का इंतिज़ाम हो जाएगा, सच मानिए।