टीम डायरी
महान् संगीतकारों का जादुई संगीत वर्षों या दशकों नहीं, बल्कि सदियों-सहस्राब्दियों तक सुनने वालों के कानों में गूँजता रहता है। उदाहरण के लिए हिन्दुस्तान के मशहूर संगीतकार राहुल देब बर्मन यानि पंचम दा। पंचम दा के संगीत के करिश्माई सुर कल भी कानों में मिश्री घोलते थे, आज भी घोल रहे हैं और आने वाले कल में भी घोलते रहेंगे। क्योंकि उनके जैसा संगीत कालजयी हो जाता है, मतलब समय की सीमा से परे।
ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक है कि यह जादू, ये करिश्मा होता कैसे है? इसकी प्रेरणा कहाँ से मिलती है? अलबत्ता, जहाँ तक पंचम दा की बात है कि उनके बहुत से चाहने वाले जानते हैं कि उन्होंने प्रकृति और पर्यावरण को अपने संगीत की प्रेरणा बनाया। लेकिन इसके बावजूद उनकी रचनाधर्मिता के पीछे कई और भी रहस्य हैं। जैसे- ख़ुद पंचम दा ने हिन्दी फिल्मों की मशहूर अदाकार तबस्सुम को दिए साक्षात्कार में एक रहस्य खोला।
ख़ुद पंचम दा से ही सुन लीजिए इस बारे में, नीचे उनका वह दुर्लभ वीडियो दिया गया है।
इस तरह के क़िस्से, ये कहानियाँ, ये प्रेरणा-प्रसंग भी ऐसे होते हैं, जो किसी विशिष्ट प्रासंगिकता की सीमा में नहीं बँधते। फिर भी, ख़ुशक़िस्मती से अभी 27 जून को ही पंचम दा का जन्मदिन निकला है। तो सामग्री में प्रासंगिकता खोजने वालों के लिए भी यह वीडियो अपन एहमियत बना लेता है।
वैसे देखा जाए तो महान् संगीतकार ही नहीं, लगभग सभी रचनाधर्मी एक-दूसरे से प्रेरणा लेकर अपना अलहदा सृजन-संसार रचते हैं। अलबत्ता, कई बार कुछ संकुचित लोग ऐसे सृजनकर्म को नकल कह देते हैं। पर वह शायद इसलिए कि ऐसे लोग विशुद्ध नकल और बुद्धिमत्ता से ली गई प्रेरणा के बीच फ़र्क नहीं कर पाते।
ख़ैर, अपन तो पंचम दा के रहस्योद्घाटन का आनन्द लें, यही बेहतर है। क्योंकि यह हमारे लिए भी कई मायनों में, कई पहलुओं पर प्रेरणास्पद ही है।
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